चोक नाले जलभराव की बड़ी वजह, सीवर लाइन से जुड़े नाले बारिश में बनते हैं मुसीबत

मॉनसून की दस्तक, डेडलाइन तक सभी नालों की सफाई स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती

<चोक नाले जलभराव की बड़ी वजह, सीवर लाइन से जुड़े नाले बारिश में बनते हैं मुसीबत

मॉनसून की दस्तक, डेडलाइन तक सभी नालों की सफाई स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती

BAREILLY:

BAREILLY:

मानसून सिर पर है और शहर के नाले अभी तक महज 60 फीसद ही साफ हो पाए हैं। हैरत की बात यह है कि नालों क ो साफ करने की डेडलाइन भी कुछ ही दिन और बची है। ऐसे में, शहर का जलभराव की समस्या से बच पाना मुश्किल है। ऐसे में, शहरवासियों को एक बार फिर नगर निगम की सुस्ती का शिकार होना पड़ेगा। क्योंकि नगर निगम के सफाई के दावों के इतर शहर के ज्यादातर नाले-नालियां चोक ही नजर आ रहे हैं। जलभराव की आंशका को लेकर पब्लिक और जनप्रतिनिधियों में नाराजगी व्याप्त है।

109 नालों की होनी है सफाई

शहर की ड्रेनेज व्यवस्था के लिए कुल 109 नाले हैं, जिनसे शहर का पानी ड्रेन होता है। इनमें 8 बड़े नाले और 101 छोटे व मंझोले नाले हैं। जिनकी अंदाजन लंबाई करीब 67,355 मीटर है। 8 बड़े नालों पर ही शहर के पानी को बाहर निकालने और जलभराव से बचाने का जिम्मा है। इनमें बाग अहमद अली नाला, जगतपुर नाला, सतीपुर नाला, सुभाषनगर-सिकलापुर नाला, बड़ा बाजार-बिहारीपुर नाला, हजियापुर नाला, शाहजहांपुर रोड नाला और मढ़ीनाथ-बदायूं रोड नाला।

<मानसून सिर पर है और शहर के नाले अभी तक महज म्0 फीसद ही साफ हो पाए हैं। हैरत की बात यह है कि नालों क ो साफ करने की डेडलाइन भी कुछ ही दिन और बची है। ऐसे में, शहर का जलभराव की समस्या से बच पाना मुश्किल है। ऐसे में, शहरवासियों को एक बार फिर नगर निगम की सुस्ती का शिकार होना पड़ेगा। क्योंकि नगर निगम के सफाई के दावों के इतर शहर के ज्यादातर नाले-नालियां चोक ही नजर आ रहे हैं। जलभराव की आंशका को लेकर पब्लिक और जनप्रतिनिधियों में नाराजगी व्याप्त है।

क्09 नालों की होनी है सफाई

शहर की ड्रेनेज व्यवस्था के लिए कुल क्09 नाले हैं, जिनसे शहर का पानी ड्रेन होता है। इनमें 8 बड़े नाले और क्0क् छोटे व मंझोले नाले हैं। जिनकी अंदाजन लंबाई करीब म्7,फ्भ्भ् मीटर है। 8 बड़े नालों पर ही शहर के पानी को बाहर निकालने और जलभराव से बचाने का जिम्मा है। इनमें बाग अहमद अली नाला, जगतपुर नाला, सतीपुर नाला, सुभाषनगर-सिकलापुर नाला, बड़ा बाजार-बिहारीपुर नाला, हजियापुर नाला, शाहजहांपुर रोड नाला और मढ़ीनाथ-बदायूं रोड नाला।

बजट बड़ा, डेडलाइन छोटी

निगम की ओर से शहर को मानसून में जलभराव से बचाने के लिए इस साल लंबा चौड़ा बजट जारी किया गया। ख्0क्फ् में जहां नाला सफाई पर महज ख्0 लाख का बजट बना। वहीं ख्0क्ब् में इसे बढ़ाकर ब्0 लाख कर दिया गया। ख्0क्भ् आते

-आते उन्हीं क्09 नालों की सफाई के लिए बजट बढ़कर म्0 लाख कर दिया गया। निगम के जिम्मेदारों ने नाला सफाई के लिए बजट तो बड़ा बनाया, लेकिन इसे सही समय पर शुरू करने में लेटलतीफ रहा। ख्भ् मई से नाला सफाई अभियान को फाइलों में मंजूरी मिल गई, जिसकी डेडलाइन फ्0 जून रखी गई। एक हफ्ते की देरी के बावजूद मानसून अगले कुछ दिनों में शहर में बरसने को तैयार है, लेकिन नालों की सफाई का करीब ब्0 फीसदी काम अधूरा पड़ा है।

नालों पर एनक्रोचमेंट, निगम बेबस

हर मानसून में शहर में होने वाले जलभराव के लिए निगम के साथ ही जनता भी पूरी तरह जिम्मेदार है। वजह शहर के ज्यादातर नाले एनक्रोचमेंट के शिकार हैं। इन पर लोगों ने पक्के स्लैब ही नहीं डाले हैं। बल्कि पक्के मकान व दुकान भी बना लिए हैं। जिन्हें हटाने में निगम का पूरा अमला बेबस और कमजोर साबित पड़ जाता है। नालों पर एनक्रोचमेंट के चलते इनके पूरी तरह साफ होने में मुश्किलें आती है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग बिना पूरी तरह नाला साफ किए अभियान आगे बढ़ा देता है, जिसके चलते इस बार भी स्वास्थ्य विभाग के तमाम दावों के बावजूद साफ कर दिए गए नालों में भी गंदगी व सिल्ट है। वहीं सफाई के बाद जनता भी इन्हें फिर से गंदगी से पाट देने में गुरेज नहीं करती।