शहर के पुराने एरियाज और तराई वाले इलाकों में वॉटर लॉगिंग की दिक्कत सबसे ज्यादा
पुराने शहर में कमजोर ड्रेनेज सिस्टम के चलते भी मानसून में पब्लिक को होगी बड़ी दिक्कत
BAREILLY:
शहर में सैटरडे सुबह हुई बूंदाबांदी ने मानसून के जल्द आने की दस्तक दे दी है। गर्मी से बेहाल पब्लिक भी मानसून के जल्द आने और शहर में छा जाने का बेसब्री से इंतजार कर रही, लेकिन मानसून के आने के साथ ही शहर में पब्लिकके लिए मुसीबतों के बादल छाने की भी दुश्वारी है। मानसून के बादल राहत भरी बारिश ही नहीं करेंगे। बल्कि इनसे जनता के लिए आफत भी बरसेगी। यह कुदरत का कोई दोष नहीं बल्कि शहर को डेवलेप करने वाली जिम्मेदार संस्थाओं की अधूरी तैयारियों का खमियाजा है। हर बार मानसून शहर में आने के साथ ही कई एरियाज के लिए मुश्किलें भी लेकर आता है, जिसके लिए शहर की जनता भी काफी हद तक जिम्मेदार है।
तो डूबेगा आधा शहर
शहर का ड्रेनेज सिस्टम भारी बारिश के दबाव को झेलने लायक नहीं। कुछ घंटों की लगातार बारिश आधे शहर को जलभराव में डुबोने के लिए काफी है। निगम से जुड़े जानकार ही मानते हैं कि मानसून में शहर का 45 फीसदी से ज्यादा हिस्सा वॉटर लॉगिंग या जलभराव की समस्या से जूझता है। इनमें पुराने शहर के ज्यादातर इलाके ही शामिल नहीं, बल्कि पॉश इलाके माने जाने वाले नए डेवलेप्ड कॉलोनीज भी हैं। मानसून में भारी बारिश के चलते कई इलाकों में घरों के अंदर घुटनों तक पानी भर जाता है।
निचले इलाकों में दिक्कत
शहर के निचले लेवल वाले इलाकों में जलभराव की समस्या सबसे ज्यादा है। सामान्य लेवल से निचले लेवल पर बसी कॉलोनीज में हर बार मानसून में जलभराव की समस्या सबसे ज्यादा रहती है। इनमें सुभाषनगर, मढ़ीनाथ, नेकपुर, बिहारीपुर ढाल, प्रियदर्शी नगर, गणेश नगर, शांति विहार, हजियापुर, इज्जतनगर थाना, गुलाबनगर, संजय नगर और इंदिरा नगर समेत कई इलाके हैं। निचले लेवल पर बसा होने के चलते इन एरियाज में पानी की निकासी की कोई परमानेंट व्यवस्था नगर निगम की ओर से न हो सकी। हर बार जलभराव की समस्या पर या तो कुछ घंटे का इंतजार कर पानी के ड्रेन होने का इंतजार किया जाता है। या फिर समवेल लगाकर पानी की निकासी की व्यवस्था की जाती है।
पुराने शहर में मुसीबत
पुराने शहर के इलाकों में ड्रेनेज सिस्टम की कमजोर व्यवस्था से जलभराव की मुसीबत रहती है। कांकड़ टोला, जोगी नवादा, रोहली टोला, रबड़ी टोला, चक महमूद, एजाज नगर गोटिया, मीरा की पैठ, सैलानी, ईसाईयों की पुलिया और बारादरी समेत कई इलाके भारी बारिश में पानी में डूब जाते हैं। पुराने शहर की तंग गलियों में सीवर लाइन की सफाई में दिक्कत होने और नालों के चोक होने से हालात बदतर हो जाते हैं। यह हाल सिर्फ पुराने शहर का नहीं। पॉश इलाके माने जाने वाले रामपुर गार्डन, डीडीपुरम शील चौराहा और सिविल लाइंस के कुछ हिस्से भी भारी बारिश में जलभराव से जूझते हैं।
2013 में आइर् थी आफत
पिछले साल कमजोर मानसून के चलते शहर को जलभराव की समस्या से कम जूझना पड़ा। कमजोर मानसून की टीस से ज्यादा लोगों में जलभराव न होने की खुशी ज्यादा थी, लेकिन वर्ष 2013 में हालात बेहद बदतर थे। 2013 में बरेली में रिकार्ड बारिश के चलते मानसून के आगाज के साथ ही शहर में आफत बरस पड़ी थी। बरसात में पानी की निकासी की निगम की व्यवस्था का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उस साल बारिश में तत्कालीन नगर आयुक्त का घर तक पानी में कुछ फीट डूब गया था। उस साल चोक नालों और समय से उनके साफ न होने पर निगम को मानसून बीतने तक पब्लिक के गुस्से का शिकार होना पड़े, जिससे सबक लेकर निगम ने अगले साल यानि 2014 में नाला सफाई का बजट 20 लाख से बढ़ाकर 40 लाख कर दिया था।
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संजय नगर में बिना बारिश के भी जलभराव की समस्या बनी रहती है। नवदिया से आने नाले में फ्लो ज्यादा होने से समवेल लगाकर पानी निकाला जाता है। बारिश में तो दिक्कत ज्यादा बढ़ जाती है। वार्ड में 71 लाख से नए नाले के निर्माण का प्रस्ताव पास हुआ है। - बब्लू पटेल, पार्षद पति
सुभाषनगर में जलभराव की समस्या परमानेंट है। यहां शहर के 4 बड़े नाले की निकासी पुलिया से होती है। सुभाषनगर का लेवल निचला होने से हर बार लोग जलभराव की समस्या से परेशान रहते है। घंटों तक पानी के निकलने का इंतजार करना होता है। - आलोक तायल, पार्षद