-सिटी का एक और युवक हुआ कबूतरबाजी का शिकार

-90 हजार देकर गया सउदी, 6 दिन तक नहीं मिला खाना

-वहां मजदूरी करवाते थे, मना करने पर खाना नहीं दिया

-15 दिन में ही जिंदगी बचाकर वहां से भागा, यहां आकर हुआ हॉस्पिटल में एडमिट

BAREILLY: नर्क से बदतर जिंदगी किसे कहते हैं, इस बात को मुजाहिद अच्छी तरह से बता सकता है। बड़ी उम्मीदों के साथ सउदी में जॉब के लिए गया था, लेकिन क्भ् दिनों में वह इस कदर टूट गया कि जिंदगी उसको नर्क लगने लगी। बड़ी मुश्किलों से वह अपनी जिंदगी बचाकर वहां से वापस लौट पाया है। बरेली पहुंचा तो हालत इतनी खराब थी कि सीधे हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ा। अब मुजाहिद एक ही बात कहता है कि किसी को भी विदेश जाकर नौकरी करने की सलाह नहीं दूंगा।

क्या है पूरा मामला, पढि़ए

मुजाहिद पुत्र मिराज खान, प्रेमनगर थाना के भूड़ मोहल्ले में रहता है। वह यहां पर ग्रिल बनाने का काम करता था। उसके मौसेरे भाई ने उसके काम के आधार पर सउदी में अच्छी नौकरी मिलने की बात कही। उससे कहा कि वह सउदी में रोजना क्000 रुपए आसानी से कमा लेगा। एक हजार रुपए की बात सुनकर उसके अरमानों को पंख लगने लगे, और वह सउदी जाने की तैयारी करने लग गया। नवंबर ख्0क्ब् में पासपोर्ट बनवाया। जिसके बाद मौसेरे भाई शहनवाज ने दिलदार बजरिया निवासी इकरार से मुलाकात करवाई। जिसके बाद इकरार ने उसका वीजा व नौकरी दिलाने का अश्वासन दिया। इसके लिए उसने इकरार को 90 हजार रुपए दिए।

7 मई को पहुंचा रेहात

म् अप्रैल को वीजा मिलने के बाद वह सात मई को सउदी पहुंच गया। यहां पर उसे दो दिन रेहात में होटल में रखा गया। फिर उसे करीब भ्00 किमी दूर जंगल में भेज दिया गया। यहां पर उससे ग्रिल बनवाने की बजाए मकान की पुताई का काम दिया गया। वहां के लोगों से जब मुजाहिद ने पुताई का काम करने से इंकार किया तो, उसे मिट्टी ढोने का काम में लगा दिया गया। जब उसने काम नहीं किया तो उसे म् दिन तक भूखा रखा गया, जिससे वह बीमार हो गया। बीमार होने पर उसे सिर्फ ख् घंटे के लिए हॉस्पिटल ले जाया गया और फिर काम पर लगा दिया गया।

घर वापसी के लिए देने पड़े 70 हजार

मुजाहिद कहता है कि जिंदगी एकदम नर्क सी हो गई थी। इन हालातों में वह बुरी तरह से टूट गया था। वह कहता है कि एकाएक लगा कि सारे ख्वाब बिखर कर टूट गए हैं। परेशान हालत में उसने घर वापसी की कोशिश करने लगा। जब वहां पर मौजूद लोगों से संपर्क किया तो पता चला कि बिना पैसा खर्च किए वापसी नहीं हो पाएगी। लोगों से बताया कि 70 हजार रुपए खर्च करने होंगे। उसने यह जानकारी परिजनों को दी। जिसके बाद परिजनों ने इकरार से संपर्क कर रुपए जमा कराए। तब जाकर उसके वापस देश आने का इंतजाम हो पाया।

यहां आया तो एडमिट हुआ हॉस्पिटल में

थर्सडे रात करीब फ् बजे वह वापस बरेली पहुंचा तो उसने राहत की सांस ली। मुजाहिद कहता है कि यहां आया तो लगा कि आजादी मिल गई। हालत खराब होने पर परिजनों ने उसको डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में एडमिट कराया है। मुजाहिद का कहना है कि विदेशों में नौकरी दिलाने के नाम पर खेल किया जा रहा है। उनके साथ जो हुआ उसकी कंप्लेन पुलिस से करेंगे।

नहीं दूंगा किसी को सलाह

सउदी से लौटे मुजाहिद का कहना है कि वह किसी को लालच में आकर सउदी अरब जाने की सलाह नहीं देंगे। वह लोगों को भी रोकने के प्रयास करेंगे। उसका कहना है कि भारत काफी अच्छा है। यहां ही अच्छे रुपए मिल जाते हैं। अब कभी विदेश नहीं जाउंगा। वहां मेरा जीना मुश्किल हो गया था। मुजाहिद बताते हैं कि उनके पास विदेश जाने के लिए रुपए नहीं थे। इसके लिए उसने अपने चाचा व अन्य रिश्तेदारों से थोड़-थोड़े रुपए इकट्ठा किए।

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ये भी हो चुके हैं शिकार

करीब एक महीने पहले भी इज्जतनगर के फरीदापुर चौधरी निवासी तकरीर, मोहम्मद आदिल, नजीम, मोहित, नवीउद्दीन और आरिफ भी मलेशिया में अच्छी नौकरी पाने के लालच में कबूतरबाजी का शिकार हुए थे। उन्हें नसीम ने दिल्ली के सिद्धार्थ अहूजा की मदद से विदेश भिजवाया था। जब सभी वहां गए तो उनसे बंधुआ मजदूर की तरह काम कराया गया। किसी तरह सभी वापस आए तो आईजी से मामले की शिकायत की थी। आईजी के आदेश पर इज्जतनगर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है।

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कुछ ऐसे चलता है विदेशों में नौकरी दिलाने का गोरखधंधा

-कबूतरबाजों के एजेंट लोगों को विदेशों में अच्छी नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों को फंसाते हैं।

-इसके लिए न्यूज पेपर में विदेश में नौकरी या किसी अन्य प्रचार के माध्यम से लोगों को फंसाया जाता है।

-पासपोर्ट से लेकर वीजा और फ्लाइट में बैठाने और अच्छी नौकरी दिलाने तक की गारंटी ली जाती है।

-इसके लिए पहले वीजा के नाम पर हजारों रुपए एजेंट ऐंठ लेते हैं।

-विदेश में पहुंचकर वहां पर मजदूरी करवाई जाती है। वीजा भी वहां पर जमा कर लेते हैं, ऐसे में वहां से आने का रास्ता भी नहीं होता है।

--एजेंट अपने ठिकाने बदलते रहते हैं, जिस कारण से वह जल्दी चंगुल में नहीं आते है।