- 17 जून से 16 जुलाई तक रहेगा अधिकमास में मांगलिक कार्य नहीं कर सकेंगे जातक

BAREILLY:

ट्यूजडे से मलमास की लग रहा है। ऐसे में सभी मांगलिक कार्य एक माह तक नहीं किए जा सकेंगे। ज्योतिषाचार्यो के मुताबिक जिस मास चंद्र मास में सूर्य संक्रांति नहीं होती वह माह अधिक मास, मलमास अथवा पुरुषोत्तम मास कहलाता है, लेकिन जिस चन्द्र मास में दो संक्रांतियों का मिलन हो रहा हो उसं 'क्षयमास' के नाम से जाना जाता है। इस बार अधिकमास 17 जून से 16 जुलाई तक रहेगा। इस दौरान निष्काम पूजन व भजन किया सौ गुना फलदायी होता है।

अधिकमास में क्या करें

ज्योतिषाचार्य प्रखर मिश्रा के अनुसार 17 जून को सुबह स्नान के बाद भगवान सूर्य नारायण को पुष्प, अक्षत और लाल चंदन से पूजन करें। 'ऊँ विष्णु रूपरू सहस्त्रांशु सर्वपाप प्रणाशनरू, अपूपान्न प्रदानेन मम पापं व्यपोहतु' मंत्रजाप करें तो पूजन दान का शुभ फलदायी होता है।

अधिकमास में क्या नहीं करें

मलमास में नित्य कर्म, नैमित्तिक कर्म और काम्य कर्मो को वर्जित माना गया है। इसमें विवाह संस्कार, मुंडन संस्कार, नववधु का गृह प्रवेश, नव यज्ञोपवीत कर्म करना, नए वस्त्रों को धारण, व्रत उद्यापन, व्रत अनुष्ठान, नई गाड़ी खरीदना, बच्चे का नामकरण संस्कार करना, देव प्रतिष्ठा करना अर्थात मूर्ति स्थापना करना, कुआं, तालाब या बावड़ी आदि बनवाना, बाग अथवा बगीचे लगाना एवं अन्य कई मांगलिक कार्य करना वर्जित है।

अतिशुभ फलप्राप्ति के लिए जातक करें

- आरम्भ के दिन व्रत तथा उपवास रखना चाहिए।

- प्रारंभ के दिन दान व शुभ कर्म करने शुभ होता है।

- पूरे माह व्रत का पालन करते हुए माह भर भूमि पर ही सोना चाहिए।

- सात्विक भोजन और भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए।

- मंत्र जाप, अधिकमास कथा का पठन अथवा श्रवण करना चाहिए।

- मान्यता के मुताबिक जो व्यक्ति व्रत तथा पूजा करता है गोलोकवासी होता है।

- अधिकमास समाप्ति पर स्नान, दान तथा जप का अत्यधिक महत्व होता है।

- मास समाप्ति पर व्रत का उद्यापन करके ब्राह्माणों को भोजन कराना चाहिए।

- रामायण गीता और अन्य धार्मिक व पौराणिक ग्रंथों के दान करना चाहिए।