--Gene micro inject कर बढ़ाई जाएगी fertility
--Animals पर प्रयोग सफल, human के लिए permission का इंतजार
BAREILLY : अपने घर में बच्चों की किलकारी सुनना हर कपल्स की चाह होती है, लेकिन कई वजहों से कुछ कपल्स इससे महरूम रह जाते हैं। बदलते समय के साथ इनफर्टिलिटी की प्रॉब्लम्स भी बढ़ती जा रही है, लेकिन इनफर्टिलिटी के शिकार मेल्स के लिए एक खुशखबरी है। राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी, तिरुवनंतपुरम के वैज्ञानिकों के रिसर्च पर विश्वास करें तो यह सब एक आसान माइक्रो इंजेक्ट के जरिए संभव होगा। यह सब कैसे संभव होगा ये हमें हाल ही में सिटी में अपनी मौजूदगी के दौरान वैज्ञानिकों ने बताई।
Infected gene बन रहा रोड़ा
टेस्टिस में स्पर्म बनाने में सहयोगी 80 जीन में किसी जिन के इफेक्टेड होने की वजह से इंनफर्टिलिटी की समस्या आती है। साइंटिस्ट पैनल ने स्मॉल एनिमल्स में अपने प्रयोग के दौरान इस बात का ध्यान रखा कि इफेक्टेड जीन के स्थान पर उसी ग्रुप के एनिमल्स के एक्टिव जीन को माइक्रो इंजेक्ट किया जाए। उनका यह प्रयोग सफल रहा और फ्यूचर में रोग ग्रसित जानवर में भी स्पर्म बनने लगा। ये एनिमल्स रिप्रोडक्शन में सक्षम पाए जाने लगे। साइंटिस्ट्स का यह रिसर्च अभी तक चूहे, खरगोश, बकरी और गाय आदि पर सफल हो चुका है। माना जा रहा है कि रिसर्च को गवर्नमेंट की ओर से परमिशन मिलते ही ह्यूमन के ऊपर प्रयोग के तौर पर आजमाया जाएगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो फ्यूचर में लोगों की बड़ी उम्र में भी लोग बच्चे पैदा कर सकेंगे।
तो मिलेगा संतान सुख
करियर या फिर किसी अन्य वजह से देर से दांपत्य सूत्र में बंधने वाले कपल्स को कई बार संतान पैदा करने में फिजिकली, जेनेटिकली प्रॉब्लम्स फेस करने पड़ते हैं। संतान के लिए वो डॉक्टर्स की क्लिनिक का तो चक्कर लगाते ही हैं, कई लोग अंधविश्वास के कारण बाबाओं की ठगी का भी शिकार हो जाते हैं, लेकिन अब संतान पैदा करने में सक्षम स्पर्म के लिए वैज्ञानिकों का जीन क्लोनिंग पर आधारित यह रिसर्च इस बात का उम्मीद जगाने लगा है कि ऐसे दंपत्ति में जीन माइक्रो इंजेक्ट के बच्चे पैदा करने के लिए फिजिकली स्वस्थ बनाया जा सकता है।
बढ़ रही है infertility
पंद्रह परसेंट पुरुषों में स्पर्म न बनने की शिकायत बढ़ी है। इंडियन कौंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार देश में पुरुषों के बीच स्पर्म न बनने की लगातार शिकायत बढ़ रही है। हार्ड वर्क, मानसिक तनाव, धूम्रपान, खान-पान में बदलाव और दूषित जलवायु की वजह से यह प्रॉब्लम्स और अधिक जटिल हुई है। यह प्रॉब्लम अक्सर स्पर्म बनाने में जिम्मेदार जीन के इफेक्टेड होने की वजह से बढ़ी है। ह्यूमन पर टेस्ट के लिए परमिशन मिलने के बाद फ्यूचर में उनका टारगेट होगा कि ऐसे जीन को बाहर निकालकर उसकी जगह एक्टिव और रोग रहित जीन को प्रोड्यूस किया जाए।
मेल में तैयार होने वाले स्पर्म की राह में कौन सा जीन प्रॉब्लम क्रिएट कर रहा है, इस पर रिसर्च किया जा रहा है। इफेक्टेड जीन के स्थान पर जीन क्लोनिंग के जरिए एक्टिव जीन माइक्रो इंजेक्ट कर प्रॉब्लम से निजात पाया जा सकता है।
- प्रदीप कुमार, साइंटिस्ट राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट तिरुवनंतपुरम, केरला