- डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल और निजी नर्सिग होम में फेल्सीपेरम मलेरिया के केसेज

- निगम की फॉगिंग की कवायद अभी ठंडी, गंदे एरिया में खतरे के आसार

- नॉर्थ-ईस्ट रीजन और ईस्ट यूपी में ज्यादा प्रकोप, वेस्ट यूपी में भी दी दस्तक

BAREILLY: बादलों की लुकाछिपी का खेल खेल रहा मानसून भले ही बरेली में अभी अपने रंग में न दिखा हो, लेकिन इस मौसम के साथ आने वाले मच्छर अपने रंग में आने लगे हैं। आधे अधूरे मानसून के साथ मलेरिया ने बरेली में अपनी पूरी दस्तक दे दी है। बरेली में वायरल फीवर की आड़े में मलेरिया ने दबे पांव लोगों को अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया है। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल और शहर के निजी नर्सिग होम व हॉस्पिटल में मलेरिया के कंफर्म मरीज पाए गए हैं। इसमें भी खतरा सिर्फ मलेरिया का नहीं बल्कि फेल्सीपेरम मलेरिया को लेकर ज्यादा है, जो जरा सी लापरवाही में जानलेवा साबित होता है।

फिर खतरे की घंटी

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की ओपीडी में पिछले एक पखवाड़े से वायरल फीवर की चपेट में आने से मरीजों की भीड़ लग रही है। इन्हीं केसेज के बीच करीब एक हफ्ते पहले मलेरिया का भी एक कंफर्म केस पकड़ में आया। वहीं मंडे को शहर के ही एक निजी नर्सिग होम में मलेरिया का एक और कंफर्म केस मिला, जो असल में फेल्सीपेरम मलेरिया है। फेल्सीपेरम मलेरिया नॉर्मल मलेरिया से इतर ज्यादा संवेदनशील और खतरनाक है। पिछले साल डेंगू की चपेट में आए शहर के लिए इस बार अगस्त की शुरुआत में ही मलेरिया ने खतरे की घंटी बजा दी है।

जानलेवा है फेल्सीपेरम मलेरिया

मच्छरों से होने वाली मलेरिया बीमारियां दो तरह की होती है। एक वाइवेक्स मलेरिया जिसे आमतौर पर मलेरिया कहा जाता है। डॉक्टर्स के मुताबिक यह खतरनाक तो है, लेकिन जानलेवा नहीं। वाइवेक्स मलेरिया में सिर्फ भ् परसेंट केसेज ही क्रिटिकल होते हैं। इससे उलट फेल्सीपेरम मलेरिया के केसेज के फ्0 फीसदी बेहद क्रिटिकल और लापरवाही बरतने या इलाज में देरी होने पर जानलेवा है। यह दिमाग में बुखार चढ़ने के लिए भी जिम्मेदार है, जिसके बाद मरीज की रिकवरी की राह बेहद मुश्किल हाे जाती है।

मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर का जिम्मेदार

मलेरिया की चपेट में आए मरीज को जहां इररेगुलर तेज बुखार, कंपकंपी, सर्दी और बदनदर्द की शिकायत होती हैं। वहीं फेल्सीपेरम मलेरिया का शिकार मरीज समय रहते सही इलाज न मिलने से जान तक गंवा देता है। फेल्सीपेरम मलेरिया बिगड़ने पर मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर की वजह बनता है। इससे मरीज की किडनी, लीवर और ब्रेन डैमेज होने की चांसेज होते हैं। वहीं कई मामलों में यह हार्ट ब्लॉक कर देता है, जिससे मरीज की मौत हो जाती है। इस बीमारी को ब्लैक वॉटर फीवर भी कहा जाता है क्योंकि इसमें मरीज की यूरिन ब्लैक होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि खून टूटकर पेशाब के रास्ते से बाहर आता है और मरीज की जानलेवा हालत बन जाती हैं।

बरेली में 'अनकॉमन' दस्तक

एक्प‌र्ट्स के मुताबिक फेल्सीपेरम मलेरिया देश के नॉर्थ ईस्ट में सबसे ज्यादा प्रभावी है। नगालैंड, मिजोरम ,त्रिपुरा, ओडिशा के अलावा झारखंड और बिहार में यह बीमारी बेहद कॉमन हैं। वहीं ईस्ट यूपी में गोरखपुर, रूड़की और राजस्थान के बीकानेर में भी इसके केसेज मिलते हैं, लेकिन वेस्टर्न यूपी के लिहाज से यह बीमारी बेहद अनकॉमन है। ऐसे में बरेली में इस बीमारी के केसेज मिलने से डॉक्टर्स ने चिंता जताई है। पिछले साल डेंगू के डंक से घायल शहर के लिए फेल्सीपेरम मलेरिया के केसेज बेहद गंभीर खतरा है।

निगम में फॉगिंग पर िरपोर्ट तलब

मलेरिया के संभावित खतरे को देखते हुए नगर निगम में भी शहर में फॉगिंग का छिड़काव किए जाने को लेकर रिपोर्ट मांगी गई। अपर नगर आयुक्त सच्चिदानंद सिंह ने नगर स्वास्थ्य अधिकारी से मानसून में फॉगिंग कराए जाने को लेकर जानकारी मांगी थी, जिस पर नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ। एसपीएस सिंधु ने बेहद ह्यूमिड माहौल में फॉगिंग कराए जाने से कई दिक्कतें होने की बात कही। उन्होंने बताया कि माहौल में काफी हुयूमिडिटी की वजह से फॉगिंग व नमी मिलकर स्मॉग बनाते हैं, जिससे अस्थमा पेशेंट्स के लिए परेशानी होती है। नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने कुछ समय बाद फॉगिंग कराए जाने की जरूरत बताई। ऐसे में निगम की फॉगिंग की कवायद देर से शुरू होने पर मलेरिया के पांव पसारने का खतरा बढ़ रहा है।

बचाव जरूरी है-

क्- पूरी बांह वाली शर्ट और शॉ‌र्ट्स के बजाए पैंट्स पहनने को तरजीह दें।

ख्- घर और आसपास पानी और कूड़े को इकट्ठा न होने दें।

फ्- कूलर में रखे पानी में ऑईल मिल दें जिससे मलेरिया के लार्वा खत्म हो जाएं।

ब्- कॉलोनी व वार्ड में नालियां साफ रहे, निगम की मदद से नालों की पूरी सफाई हो।

भ्- मलेरिया का मच्छर रात को काटता है, ऐसे में मॉस्किटों रेपलेंट का यूज करें।

म्- बच्चों को मॉस्किटो रेपलेंट से परहेज हो तो उन्हें मच्छरदानी में सुलाएं।

7- मलेरिया के लक्षण दिखते ही डाइग्नोस करवाएं, तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

इन सिप्टम्स पर रखें नजर

शरीर में कंपकंपी के साथ बुखार आना

बुखार उतरने के बाद अगले दिन फिर तेज फीवर चढ़ना

मरीज को कंबल में भी बहुत जाड़ा लगना

बदनदर्द, सिर में दर्द, कई बार बेहोशी

फेल्सीपेरम मलेरिया में दौरे और उल्टी की भी कंप्लेन

फेल्सीपेरम मलेरिया का एक कंफर्म केस पकड़ में आया है। यह वेस्टर्न यूपी में अनकॉमन बीमारी है। ऐसे में खतरा बढ़ गया है। इस बीमारी में जरा भी लापरवाही से मरीज की मौत भी हो जाती है। मच्छरों से बचाव करें। - डॉ। राजीव गोयल, कॉर्डियोलोजिस्ट

हफ्ता भर पहले मलेरिया का एक मरीज ओपीडी में आया। मानसून है बारिश का पानी इकट्ठा हो रहा है इससे मलेरिया का खतरा बढ़ गया है। फेल्सीपेरम मलेरिया की बरेली में दस्तक गंभीर खतरा है। ऐसे केसेज हर साल बढ़ रहे हैं। - डॉ। अजय मोहन अग्रवाल, फिजिशियन

नगर स्वास्थ्य अधिकारी को शहर में फॉगिंग कराने व नालों में एंटी लार्वा का छिड़काव करने के निर्देश दे दिए गए हैं। शहर में फॉगिंग वार्ड वाइस होगी। हर दिन ब्-भ् वार्ड में फॉगिंग कराने के निर्देश दिए गए हैं। - डॉ। आईएस तोमर, मेयर