लगा दिया ताला
आभा का कहना है कि वह संडे को अपने पति के घर डेढ़ साल बाद रहने पहुंची तो उसे घर में रहने नहीं दिया गया। उसके कमरे में ताला लगा दिया गया। इसके अलावा बाहर के किचन में भी ताला लगा दिया गया। उसे कुछ भी खाने को नहीं दिया गया। आभा के पिता एस एन नगलाकर पुलिस के डिस्ट्रिक्ट कंट्रोल रूम में कार्यरत हैं। एस एन नगलाकर ने बताया कि सेप्रेशन का केस खत्म होने के बाद उनकी बेटी अपने पति के घर रहने पहुंची। लेकिन उसे रहने नहीं दिया गया। आभा के पति रविशंकर की तरफ से बारादरी थाना में शिकायत की गई कि आभा उनके घर में जबरन रहने आयी है।
समझौते के लिए बुलाया था
मंडे को बारादरी इंस्पेक्टर द्वारा दोनों पक्षों को थाना में समझौते के लिए बुलाया गया। दोनों पक्ष थाना में पहुंचे। लेकिन किसी काम से इंस्पेक्टर को फील्ड में जाना पड़ा। सभी लोग दो घंटे तक इंतजार करने के बाद वापस चले गए। आभा अपने पति के घर चली गई। आभा ने बताया कि ट्यूजडे को इस बारे में मीडिया को जानकारी मिली तो वहां पर दो महिला पुलिस कांस्टेबल पहुंची। तब उसे खाना दिया गया।
चल रहा है विवाद
आभा ने बताया कि 10 मई 2011 को उसके पति द्वारा उसे फर्जी कॉपी जांचने के मामले में फंसाया गया था। उस वक्त आभा शिक्षा विभाग में स्टेनो थी। इस काम में रविशंकर के भाई राकेश ने मदद की। राकेश डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में फार्मासिस्ट हैं। उसके बाद रविशंकर ने उसके खिलाफ महिला सेल में सेप्रेशन का केस डाला। महिला सेल में केस इसी माह खत्म हुआ तो वह पति के घर रहने के लिए पहुंच गई।
दहेज की थी डिमांड
आभा के पिता का कहना है कि रविशंकर द्वारा दहेज में कार मांगी गई थी। इसके अलावा मकान बनवाने के लिए दस लाख के लोन की डिमांड की गई थी। इस संबंध में दिसम्बर 2011 में कोर्ट में दहेज का केस भी रजिस्टर करवाया गया है। कापी वाले मामले में उनकी बेटी को तीन महिने तक सस्पेंड रहना पड़ा था। उसकी हाइकोर्ट से जमानत ली गई थी। आभा का देवर उन्हें फोन पर नौकरी से हटवाने की धमकी देता रहता है।