(बरेली ब्यूरो)। महाशिवरात्रि व्रत निशीथ व्यापिनी फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। यदि दो दिन निशीथ व्यापिनी हो या दोनों ही दिन न हो तो पर्व दूसरे दिन मनाया जाएगा। चतुर्दशी दूसरे दिन निशीथ के एक भाग को और पहले दिन सम्पूर्ण भाग को व्याप्त करे तो यह पर्व पहले ही दिन मनाया जाएगा। इस बार यह पर्व एक मार्च मंगलवार को मनाया जाएगा। बालाजी ज्योतिष संस्थान के पं .राजीव शर्मा का कहना है कि इस दिन चतुर्दशी तिथि सूर्योदय से पूरे दिन रहेगी, धनिष्ठा नक्षत्र भी पूरे दिन रहेगा, बेहद शुभ &शिव योग&य पूर्वाहन 11:16 बजे के बाद लगेगा, इस दिन अपराह्न 4:31 बजे से पंचक प्रारम्भ होगी। भद्रा अपराह्न 2 बजे तक रहेगी। बुध ग्रह का धनिष्ठा नक्षत्र में रात्रि 8:28 बजे तक रहेगा।

ऐसे करें अभिषेक
इस दिन दूध, दही, घी, शहद, पंचामृत, इत्र ,चंदन, गुलाब जल से अभिषेक करें। गंगाजल से रुद्राष्टाध्याई का पाठ या ओम नम: शिवाय बोलते हुए जल चढ़ाएं। भगवान शिव को वस्त्र, पुष्पमाला, बेलपत्र, भांग, धतूरा आदि भगवान भोलेनाथ को श्रद्धा भाव से अर्पण करें। संतान प्राप्ति के लिए गौ दुग्ध, लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गन्ने का रस, स्थिरता के लिए शहद या घी, रोग शांति के लिए गिलोय का रस या जल में कुशा डालकर अभिषेक करें। उधर, पशुपतिनाथ मंदिर में पुजारी ने विधि विधान के साथ रुद्राभिषेक कराया।

ज्योतिष में शिवरात्रि रहस्य
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दर्शी तिथि में चंद्रमा सूर्य के समीप होता है। अत: वही समय जीवन रूपी चंद्रमा का शिवरूपी सूर्य के साथ योग- मिलान होता है। इसलिए इन चतुर्दशी को शिवपूजा करने से जीव को अभिष्टतम पदार्थ की प्राप्ति होती है। यही शिवरात्रि रहस्य है।

पूजन सामग्री
शिव पूजन में प्राय: भयंकर वस्तुएं ही उपयोग होती हैं। इसमें भांग,धतूरा,मदार आदि इसके अतिरिक्त रोली, मौली, चावल, दूध, चंदन, कपूर, विल्बपत्र, केसर, दूध, दही, शहद, शर्करा, खस, भांग, आक-धतूरा एवं इनके पुष्प, फल, गंगाजल, जनेऊ, इत्र, कुमकुम, पुष्पमाला, शमीपत्र, रत्न-आभूषण, परिमल द्रव्य, इलायची, लौंग, सुपारी, पान, दक्षिणा बैठने के लिए आसन आदि।

शिवपूजन में ध्यान रखने योग्य मुख्य बातें
-पूजा के समय पूर्व या उत्तर मुख होकर बैठना चाहिए, संकल्प किया जाना चाहिए।
-भस्म, त्रिपुड़ और रूद्राक्ष माला यह शिवपूजन के लिए विशेष सामग्री है जो पूजन के समय शरीर पर होना चाहिए।
-भगवान शिव की पूजा में तिल व चम्पा के पुष्प का प्रयोग नहीं होना चाहिये
-शिव की पूजा में दूर्वा, तुलसीदल चढ़ाया जाता है, तुलसी में मंजरियों से पूजा श्रेष्ठ मानी जाती है
-भगवान शंकर के पूजन के समय करतल नहीं बजाना चाहिये
-शिव की परिक्रमा सम्पूर्ण नहीं की जाती है, जिधर से चढ़ा हुआ जल निकलता है उस नाली का उलंघन नहीं किया जाना चाहिए।
-शिव की पूजा में केसर, दुपहरिका, मालती,चम्पा, चमेली,कुंद, जूही आदि के पुष्प नहीं चढ़ाना चाहिए
-दो शंख, दो चक्रशिला, दो शिवलिंग, दो गणेश मूर्ति, दो सूर्य प्रतिमा, तीन दुर्गा जी की प्रतिमाओं का पूजन एक बार में नहीं करना चाहिए
-भगवान शंकर की आधी बार, विष्णु की चार बार, दुर्गा की एक बार, सूर्य की सात बार, गणेश जी की तीन बार परिक्रमा करनी चाहिए
-शिवजी को भांग का भोग अवश्य लगाना चाहिए

शिव आराधना से लाभ
-भगवान शिव के ध्यान में व्यक्ति रोगमुक्त होता है, क्योंकि वे वैधनाथ हैं।
-भगवान शिव शांतिपुंज हैं दिव्य हैं अत: उनकी पूजा अर्चना से शरीर में अदभुत ऊर्जा, बल, साहस की अनुभूति होती है
-भगवान शिव मृत्युंजय हैं, अत: इनकी आराधना हमें अकाल मृत्यु के भय से मुक्त करती है तथा सदैव रोगमुक्त भी रखती है
-शिव गृहस्थ के आदर्श हैं जो अनासक्त रहते हुए भी पूर्ण गृहस्थ स्वरूप हैं इनकी उपासना से गृहस्थ जीवन में अनुकूलता प्राप्त होती है
-भगवान शिव कुबेर के अधिपति भी हैं अत: लक्ष्मी प्राप्ति हेतु इनकी आराधना का विशेष महत्व है
-भगवान शिव सौभाग्य दायक हैं
-शिव मोक्ष के अधिष्ठाता है अर्थात मोक्ष की कामना से भी इनकी भक्ति करनी चाहिए


नवग्रहों को करें शांत
-चंद्र- शिवलिंग पर दूध में काले तिल मिलाकर स्नान कराएं
-सूय- आक पुष्प एवं विल्बपत्र से पूजा करें
-मंगल- गिलोय बूटी के रसे अभिषेक करें
-बुध- विधारा जड़ी के रस से अभिषेक करें
-गुरु:-दूध में हल्दी मिलाकर अभिषेक करें
-शुक्र-पंचामृत शहद व घी से अभिषेक करें
-शनि- गन्ने के रस व छाछ से स्नान कराएं


परिधि व शिव योग में करें शिवार्चन

खास-खास
-खास शुभ &परिधि योग&य पूर्वाहन 11:16 बजे तक
-11:16 के बाद बेहद खास &शिव योग&य में करें शिवार्चन
-महानिशीथ काल (घंटा 24/17 से 24/38 तक )
-महाशिवरात्रि व्रत का पारण दो मार्च को सुबह
-महाशिवरात्रि के सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त में करें कालसर्प दोष निवारण/शांति
-इस बार गोचर में भी बन रहा है &काल सर्प योग&य
-धनिष्ठा नक्षत्र के निम्न शुभ/चौघडिय़ा समय में करें काल सर्पदोष शान्ति

निम्न शुभ चौघडिय़ा मुहूर्त
-चर, लाभ, अमृत का चौघडिय़ा: प्रात: 9:36 से अपराह्न 1:58 बजे तक
-शुभ का चौघडिय़ा अपराह्न 01:24 बजे से अपराह्न 4:40 बजे तक

प्रथम पहर की पूजा सायं 6:16 बजे
-शुभ समय में व्रत पूर्ण कर, करें चार प्रहर की पूजा
- प्रथम प्रहर की पूजा सांय काल/प्रदोष काल 6:08 बज़े
-दूसरे प्रहर की पूजा रात्रि 09:24 बजे
-तीसरे प्रहर की पूजा रात्रि 12:33 बजे 02 मार्च
-चतुर्थ प्रहर की पूजा प्रात: काल 3:41 बजे 02 मार्च