गुलाल व रंग 50-150
पिचकारी 80-800
कार्टून करेक्ट्र्स व पम्प 80-250
(बरेली ब्यूरो)। होली का त्योहार नजदीक आ चुका है और इसे लेकर बरेली के बाजारों में तरह-तरह की पिचकारी और रंग-गुलाल अवेलेबल हैं। जहां दो वर्ष पहले तक बरेली के बाजारों पर चाइनीज पिचकारियों व प्रोडक्ट्स का बोलबाला था, वहीं अब पूरा मार्केट बदल चुका है। अब पूरी तरह से अपने देश में बनीं पिचकारियां ही मार्केट की शोभा बढ़ा रहीं हैं और चाइनीज पिचकारियां मार्केट से आउट हो चुकीं हैं। लोगों का कहना है कि हम लोग भी वोकल फॉर लोकल को सपोर्ट कर रहे हैं। दुकानदारों ने भी बाहर से सामान मंगाना बंद कर दिया है। अब जो अपने देश में बनने वाली पिचकारियां हैं वो भी काफी अच्छी हैं जिन्हें लोग काफी पसंद कर रहे हैं।
सजकर तैयार हुई मार्केट
कुतुबखाना के बिहारीपुर ढाल पर स्थित खिलौनाघर के स्वामी आलोक अग्रवाल ने बताया कि कोरोना काल से पहले मार्केट में चाइनीज प्रोडक्ट्स की सबसे ज्यादा डिमांड होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है, लोग अब देसी पिचकारियां ही लेना पसंद कर रहे है और इसका कारण इनकी अच्छी फिनिशिंग है। इसका एक कारण यह है कि अब देश में ही ऐसी पिचकारियां बनने लगी हैं जो पहले सिर्फ चाइना से ही बनकर आती थी। अपने देश में बनी पिचकारी चाइनीज के मुकाबले 25-30 प्रतिशत सस्ती हैं। वहीं बाहर से मंगाने के कारण दुकानदारों को टैक्स भी ज्यादा देना पड़ता था, पर अब देश से ही पिचकारी मंगाने पर दुकानदारों को कम टैक्स देना पड़ता है।
टॉटी बैलून, कार्टून करेक्ट्र्स की डिमांड
दुकानदारों ने बताया कि इस बार होली पर देश में बने प्रोडक्ट्स कार्टून करेक्ट्र्स, टॉटी बैलून व पम्प की सबसे ज्यादा डिमांड हैं। खिलौनाघर के स्वामी ने बताया कि देशी पिचकारियों की कीमत 80 रुपए से शुरू होकर 500 रुपए तक है। वहीं गुलाल फॉग, गुलाल बम व स्प्रे की भी काफी डिमांड है।
बच्चों को खूब भा रही पि_ू पिचकारी
घंटाघर के बॉबी खुराना ने बताया कि इस बार बाजार में देसी प्रोडक्ट्स को लोग काफी पसंद कर रहे हैं। क्योंकि देसी पिचकारी सस्ती और अच्छी क्वालिटी की हैं। वहीं बच्चों को पि_ू पिचकारी काफी भा रही है। इसी के साथ ही बाजारों में मोदी मास्क धूम मचा रहा है।
चाइनीज की अपेक्षा देश में बनी पिचकारी काफी सस्ती और अच्छी क्वालिटी की हैं। इस बार वोकल फॉर लोकल को सपोर्ट कर रहे हैं।
संजय खंडेलवाल, कस्टमर
होली को लेकर काफी तैयारी की है। बच्चों में भी होली को लेकर काफी उत्साह है। बच्चों को देसी पिचकारी और प्रोडक्ट्स आकर्षित कर रहे है।
-रंजीत सिंह, कस्टमर
कोरोना काल के बाद से बाजारों से चाइनीज पिचकारियों को बोलबाला खत्म हो गया है। इस बार बाजारों में मात्र 10 प्रतिशत ही चाइनीज प्रोडक्ट्स है। जबकि 2 वर्ष पहले 80 प्रतिशत चाइनीज प्रोडक्ट्स का बाजारों पर कब्जा था।
आलोक अग्रवाल,