एक्सपीरियंस्ड फैकल्टी मस्ट
यूनिवर्सिटीज और कॉलेजेज को अपने यहां सेंटर फॉर पोस्ट ग्रेजुएट लीगल स्टडीज की स्थापना करनी होगी। जिसमें एक्सपीरियंस सीनियर फैकल्टी का अप्वाइंटमेंट होगा जो पीजी कोर्स के साथ रिसर्च स्टूडेंट्स को भी गाइड करेंगे। फैकल्टी में 10 से कम टीचर्स नहीं होने चाहिए। जिसमें से कम से कम 4 प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर मस्ट होंगे। स्टूडेंट्स और टीचर्स का रेशियो भी 5:1 से कम नहीं होना चाहिए। टीचर्स की एक कमेटी बनाई जाएगी जो करिकुलम को लेटेस्ट बनाने और इंप्रूवमेंट पर स्पेशल अटेंशन देंगे। टीचिंग मेथड्स में ट्यूटोरियल, सेमिनार्स, फिल्डवर्क, प्रोजेक्ट्स समेत कई एक्टिविटीज शामिल होंगी।
बेस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर होगा डेवलप
टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ के साथ डिपार्टमेंट को सॉलिड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करना होगा। प्रिंट और ऑनलाइन मैटेरियल्स के साथ वे इक्विप्ड लाइब्रेरी, टेली कॉन्फ्रेंसिंग, रिसर्च व टीचिंग के लिए टेक्नोलॉजिकली एडवांस्ड इक्विपमेंट्स, इंटरनेट से लैस फैकल्टी समेत अन्य संसाधन उपलब्ध कराने होंगे।
सेमेस्टर की जगह ट्राइमेस्टर
वन ईयर प्रोग्राम को तीन ट्राइमेस्टर में डिवाइड किया जाएगा। हर ट्राइमेस्टर में 12 वीक की पढ़ाई होगी। सेमेस्टर के हिसाब से चलें तो हर सेमेस्टर में 18 हफ्तों की पढ़ाई और हर हफ्ते में 30 घंटे की पढ़ाई कंपलसरी है। जिसमें क्लासरूम टीचिंग, लाइब्रेरी वर्क, सेमिनार्स और रिसर्च वर्क भी शामिल है।
मार्किंग सिस्टम में भी चेंज
वन ईयर डिग्री प्रोग्राम में माक्र्स की जगह स्टूडेंट्स को ग्रेड दिए जाएंगे। वन ईयर प्रोग्राम 24 क्रेडिट्स का होगा। जिसमें 3 कंपलसरी सब्जेक्ट्स होंगे। हर कंपलसरी सब्जेक्ट 3 क्रेडिट्स का होगा। वहीं 6 ऑप्शनल सब्जेक्ट्स भी होंगे। हर ऑप्शनल सब्जेक्ट 2 क्रेडिट्स का होगा। इसके साथ ही 3 क्रेडिट्स का डिजर्टेशन भी होगा। जिसे यूनिवर्सिटी 5 क्रेडिट्स तक इंक्रीज कर सकती है। हर ट्राइसेमेस्टर में 9 और एक सेमेस्टर में 12 क्रेडिट्स से ज्यादा का कोर्स नहीं होगा।
एडमिशन के होंगे सख्त नियम
एलएलबी डिग्रीधारी स्टूडेंट्स को मेरिट के आधार पर ही एडमिशन दिए जाएंगे। यह मेरिट ऑल इंडिया एडमिशन टेस्ट के आधार पर डिसाइड की जाएगी। इसमें 70 परसेंट माक्र्स टेस्ट के और बाकी 30 परसेंट माक्र्स वर्क एक्सपीरिएंस, पब्लिकेशंस और स्टेटमेंट ऑफ परपज से तय होगी। जो यूनिवर्सिटी टेस्ट और मेरिट सुनिश्चित करेगी उसके स्टूडेंट्स को 30 परसेंट का वेटेज भी मिलेगा।
कोर्स स्ट्रक्चर
वन ईयर डिग्री प्रोग्राम का कोर्स स्ट्रक्चर भी डिसाइड कर दिया गया है। जिसे तीन भागों में डिवाइड किया गया है।
फस्र्ट फेज: फाउंडेशन या फिर कंपलसरी पेपर्स होंगे।
सेकेंड फेज: ऑप्शनल या स्पेशिएलाइजेशन पेपर्स
थर्ड फेज: डिजर्टेशन होगा।
स्पेशिएलाइजेशन पेपर्स: 6 क्लस्टर्स में डिवाइड किया गया है। इसमें इंटरनेशनल एंड कंपैरेटिव लॉ, कॉर्पोरेट एंड कमर्शियल लॉ, क्रिमिनल एंड सिक्योरिटी लॉ, फैमिली एंड सोशल सिक्योरिटी लॉ, कंस्टीट्यूशनल एंड एडमिनिस्ट्रेटिव लॉ और लीगल पेडागोगी एंड रिसर्च सब्जेक्ट्स शामिल
आसान नहीं होगा कोर्स को लागू करना
इस प्रोग्राम को लागू करना स्टेट यूनिवर्सिटीज और कॉलेजेज के लिए टेढ़ी खीर होगी। जो गाइडलाइंस फॉलो करने में कम से कम 4 वर्ष तो लग ही जाएगा। सेंट्रल यूनिवर्सिटीज और नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज इस कोर्स को लागू कर सकते हैं। क्योंकि उनके पास फंड की कमी नहीं होती और गाइडलाइंस के हिसाब से इंफ्रास्ट्रक्चर भी बिल्ड कर सकते हैं। दो वर्ष के कोर्स को एक वर्ष में समेटा तो है ही साथ ही नया टॉपिक भी जोड़ा गया है, जिसके लिए फैकल्टी ढूंढना भी आसान नहीं होगा।
- डीके सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, लॉ, बीसीबी
यह एक्सपेरिमेंट हेल्दी नहीं मानती
एलएलएम प्रेस्टीजियस डिग्री मानी जाती है। जिसके बाद स्टूडेंट्स टीचिंग लाइन में आते हैं। इस डिग्री के साथ एक्सिपेरिमेंट करना मैं हेल्दी नहीं मानती। देश की यूनिवर्सिटीज को स्टडी कर उसके मौजूदा संसाधनों की रिपोर्ट तैयार करनी चाहिए थी और यूनिवर्सिटीज के डीन व प्रोफेसर्स से मश्विरा लेना चाहिए था. विदेशी माड्यूल लाकर डिग्री हासिल करने का टाइम घटा कर स्टूडेंट्स के लिए जरूर फायदा पहुंचाया है लेकिन इसके बाद वे टीचिंग लाइन में न आकर कॉपोर्रेट फील्ड में जाएंगे।
- प्रो। रीना, डीन लॉ डिपार्टमेंट, आरयू
Report by: Abhiskek Singh