Three plan

कॉन्फ्रेंस के दौरान एसोसिएशन का इलेक्शन भी हुआ। दरभंगा के प्रो। परमानंद झा को एसोसिएशन का चेयरपर्सन इलेक्ट किया गया। आई नेक्स्ट से हुई बातचीत में उन्होंने अपनी प्लानिंग डिस्कस की।

एसोसिएशन के सभी मेंबर्स साल में एक बार इस कॉन्फ्रेंस के दौरान मिलते हैं। कॉन्फ्रेंस इंडिया में इंग्लिश स्टडीज को प्रमोट करने और इंग्लिश लिटरेचर और इंग्लिश लैंग्वेज के बेहतरी के लिए काम करती है। मेरे दिमाग में फिलहाल तीन प्लान हैं

  • कॉन्फ्रेंस के अब तक के 50 प्रेसीडेंट्स की प्रेसिडेंशियल स्पीचेज का कलेक्शन तैयार करना। यह यूथ के लिए काफी फ्रूटफुल रहेगा.
  • एनुअल कॉन्फ्रेंस में बेस्ट पेपर रीडिंग के लिए अवार्ड देना.
  • जो ओल्ड डेलिगेट्स वो पिछले 25-30 साल से हर साल कॉन्फ्रेंस में आ रहे हैं उन्हें फेलिसिटेट करना.

पुलिस का पहरा

एनॉग्रल सेशन के लिए एसआरएमएस को चुने जाने की वजह से बीसीबी स्टूडेंट भड़के हुए थे। कॉन्फ्रेंस के बाकी के दो दिन वे कॉलेज में कुछ गड़बड़ न कर दें। इसलिए पूरे समय पुलिस का पहरा लगा रहा। क्लोजिंग सेरेमनी की चीफ गेस्ट मेयर सुप्रिया ऐरन रहीं। अध्यक्षता प्रो। रामास्वामी ने की। स्पेशल गेस्ट मंजू बग्गा थीं। इंग्लिश डिपार्टमेंट की एचओडी डॉ। पूर्णिमा अनिल ने संचालन किया। इस अवसर पर डॉ। विक्रम चोपड़ा की बुक 'शेक्सपियर-द इंडियन आईकॉनÓ की लॉन्चिंग हुई।

मिला जुला रेस्पॉन्स

इंडिया के डिफरेंट पाट्र्स से आए डेलिगेट्स ने अपने तीन दिन के एक्सपीरिएंस हमसे शेयर किए

मुझे यह शहर काफी अच्छा लगा और यहां का कॉलेज भी बहुत अच्छा लगा। मेरी बुक्स को यहां के लोगों ने सराहा। विल मिल दिस प्लेस।

-रोस्विथा जोशी, नॉवेलिस्ट, दिल्ली

मैं पहली बार बरेली आया हूं। इस कॉलेज के बारे में काफी सुना था। काफी बड़ा कॉलेज है और यह कॉन्फ्रेंस भी काफी अच्छी रही।

-डॉ। एसके पांडेय, प्रतापगढ़

कॉन्फ्रेंस का एक्सपीरिएंस काफी अच्छा रहा। बस ठंड कुछ ज्यादा थी। अच्छा होता अगर यह कॉन्फ्रेंस अक्टूबर या फरवरी में होती।

-डॉ। आरपी सिंह, लखनऊ

यहां ठंड भले ही ज्यादा रही हो लेकिन यहां की वार्म हॉस्पिटेलिटी ने इस ठंड का असर कम कर दिया। वाकई यह कॉलेज बहुत अच्छा है।

-प्रो। परमानंद झा, दरभंगा

नेशनल लेवल की कॉन्फ्रेंस से जो उम्मीद हमने लगाई थी वह कुछ ज्यादा थी। अरेंजमेंट उस लेवल का नहीं था।

-डॉ। एलेन, राजस्थान

इलेक्शन में रिसर्च स्कॉलर्स को वोट करने का अधिकार नहीं था। उन्हें भी वोट करने का अधिकार देना चाहिए था।

-डॉ। सौम्या यादव, हरियाणा

कॉन्फ्रेंस तो ठीक ही थी लेकिन यहां का अरेंजमेंट कुछ खास नहीं था। स्पेशली नेशनल लेवल की गैदरिंग के हिसाब से कुछ भी नहीं था।

-डॉ। दलवीर सिंह, दिल्ली

यहां पर केवल 20 परसेंट एकेडमिक आस्पेक्ट पर ध्यान दिया गया। बाकी 80 परसेंट पॉलिटिक्स और बाकी गैरजरूरी चीजों ने कवर किया।

- डॉ। तस्लीम, कश्मीर