Case-1
रोहित (नेम चेंज्ड) एक एमएनसी प्रोफेशनल हैं। उन्हें ऑफिस से घर आने के बाद भी लैपटॉप पर काम करना होता है। उन्हें थकान की वजह से लैपटॉप लैप में रखकर यूज करने की आदत है। उन्हें थाईज में इचिंग और बर्निंग की प्रॉब्लम शुरू हुई। जब इचिंग बढ़ गई तो उन्होंने इसे एलर्जी मानकर डॉक्टर से कंसल्ट किया। डॉक्टर ने उन्हें टोस्टेड स्किन सिंड्रोम की प्रॉब्लम बताई और लैपटॉप को स्किन से दूर रखने की सलाह दी।
Cse-2
अनीस (नेम चेंज्ड) एक बैंक इंप्लॉई हैं। उन्हें लेट नाइट तक लैपटॉप पर काम करने की आदत है। वह अपना लैपटॉप लैप में ही रखकर यूज करते हैं। लैपटॉप यूज करने के तीन साल बाद उन्हें बर्निंग प्रॉब्लम हुई। प्रॉब्लम बढ़ी तो वाइफ के कहने पर वह डर्मेटोलॉजिस्ट के पास पहुंच गए। डॉक्टर ने उन्हें टोस्टेड स्किन सिंड्रोम बताया और लैपटॉप के साथ कूलिंग पैड यूज करने के लिए कहा। उनकी प्रॉब्लम इतनी बढ़ गई है कि ट्रीटमेंट बंद करने के बाद वह फिर से शुरू हो जाती है।
Laptop ke side effects
लैपटॉप है तो जाहिर है कि आप भी उसे अपनी लैप में रखकर ही यूज करते होंगे। पर क्या आप जानते हैं कि जिस टेक्नोलॉजी ने आपकी लाइफ को ईजी गोइंग बनाया है, वह कितनी खतरनाक है। जो लोग ऐसा कर रहे हैं उनके लिए अल्टीमेटम यह है कि उनकी लैप कभी भी टोस्ट हो सकती है। शहर के यूथ में पिछले एक से डेढ़ साल में यह देखने में आया है कि उनकी थाईज की स्किन झुलसी हुई है। आम तौर वह इसे एलर्जिक प्रॉब्लम मानकर छोड़ देते हैं पर वास्तव में यह टोस्टेड स्किन सिंड्रोम की वजह से हुई है। अगर इग्नोर किया तो लॉन्ग टर्म में आपको जानलेवा खतरों से रूबरू होना पड़ सकता है।
44 डिग्री सेल्सियस हीट रिलीज
सिटी के डर्मेटोलॉजिस्ट्स की मानें तो सिटी में मंथली 40-50 केसेज आ जाते हैं, जो टोस्टेड स्किन सिंड्रोम के शिकार होते है। आम तौर पर पेशेंट इसे एलर्जिक प्रॉब्लम ही मानते हैं। और इतना सीरियसली नहीं लेते हैं। अगर इस प्रॉब्लम को समय रहते दूर न किया जाए तो धीरे-धीरे यह परसिस्ट कर जाती है। जब तक आप ट्रीटमेंट करते हैं, तब तक तो ठीक रहता है पर जैसे ही ट्रीटमेंट ब्रेक होता है, प्रॉब्लम फिर से शुरू हो जाती है। आम तौर यह प्रॉब्लम उन लोगों में देखने में आई, जो एक दिन में 4-6 घंटे तक लैपटॉप गोद में रखकर काम करते हैं. स्टडीज के मुताबिक, लैपटॉप से 44 डिग्री सेल्सियस की हीट रिलीज होती है।
घट रहा sperm count
लैपटॉप की हीट से मेल्स के स्पर्म काउंट में भी कमी आ रही है। जिन लोगों में टोस्टेड स्किन की प्रॉब्लम हुई है, उनमें जेनेटिक प्रॉब्लम्स भी दिखाई दे रही हैं। इस प्रॉब्लम को ट्रीटमेंट के जरिए रिकवर तो किया जा सकता है, पर जरूरत इस बात की है कि अगर मेल्स को इन्फर्टिलिटी से बचना है तो उन्हें लैपटॉप को लंबे समय तक यूज करने के लिए उसे साइड में रखकर यूज करना चाहिए। वहीं लैप में लैपटॉप यूज करने से फेस पर भी रेडनेस बढऩे लगती है।
Cooling pad यूज करना best
कई बार एसी में काम करते हुए लैपटॉप की हीट फीलगुड फीलिंग देती है, पर यही फीलिंग आपकी स्किन को झुलसा देती है। इसके लिए यह जरूरी है कि लैपटॉप को गोद में रखकर यूज न करें। लैपटॉप और स्किन के बीच कोई हार्ड मैटर जरूर यूज करें। इससे आपकी स्किन डायरेक्टली लैपटॉप के कॉन्टेक्ट में नहीं आएगी और उसका प्रभाव भी नहीं पड़ेगा। इसके लिए मार्केट में कूलिंग पैड्स ईजिली अवेलेबल हैं, जो हीट को स्किन तक आने से रोकते हैं।
ऐसे होती है शुरुआत
आम तौर पर सबसे पहले स्किन पर इचिंग और बर्निंग की फीलिंग होती है। उसके बाद धीरे-धीरे स्किन में रेड स्पॉट्स पड़ जाते हैं। लंबे समय में कई बार स्किन का शेप भी बिगडऩे लगता है। खास बात यह है कि पुराने जमाने में यह प्रॉब्लम लोहार और ज्वैलरी बनाने वालों को होती थी। दरअसल वे ज्यादातर आग के पास रहते थे। पर अब यह प्रॉब्लम लैपटॉप यूजर्स में दिखाई दे रही है और टाइम बीतने के साथ इसके केसेज भी बढ़ रहे हैं।
Long term में skin cancer!
लैपटॉप थाई की प्रॉब्लम होने पर अगर लैपटॉप का लैप में रखकर यूज करना बंद न किया गया तो यह लांग टर्म में स्किन कैंसर भी कॉज कर सकता है। वहीं इसके यूज से बॉडी में फंगल इन्फे क्शंस भी जल्दी ही होने लगते हैं। इसकी वजह यह है कि हीट एरिया में फंगस जल्दी ग्रो करता है। टोस्टेड एरिया में तो यह फंगल इन्फेक्शन बहुत किसी भी समय बन सकता है।
मेरे पास मंथली टोस्टेड स्किन सिंड्रोम के 5-6 केसेज आ जाते हैं। आम तौर पर पेशेंट्स एलर्जिक प्रॉब्लम के साथ मेरे पास आते हैं। वह इसे रैशेज, इचिंग आदि की प्रॉब्लम ही मानते हैं।
डॉ। जेपी सिंह, डर्मेटोलॉजिस्ट
स्किन रैशेज के पेशेंट्स तो वीक में 2-4 आ ही जाते हैं। लास्ट टू ईयर्स से इस तरह की प्रॉब्लम्स
ज्यादा हो गई हैं। लैपटॉप यूज करने से फेस में भी रेडनेस की प्रॉब्लम्स आती हैं।
डॉ। वीके चावला, डर्मेटोलॉजिस्ट