लड़कपन में 'हवा' होता कानून

अंदर नहीं तो क्या हुआ बाहर बाइक के लिए स्टैंड तो है ही।

लड़कपन में 'हवा' होता कानून

लड़कपन में 'हवा' होता कानून

ये तस्वीरें थर्सडे की हैं। सिटी में ये नजारा आम है, अधिकांश स्कूलों के बच्चे ऐसे ही बाइक पर फर्राटा भरते हैं। इन्हें ना किसी का डर है और न ही कोई फिक्र।

और पूरी हो गई जिम्मेदारी

स्कूलों ने अपने स्टूडेंट्स को स्कूल में बाइक्स न लाने की सख्त हिदायत दी है। इसके लिए उन्होंने स्कूल कैंपस में बाइकर्स के लिए स्टैंड भी प्रोवाइड नहीं कराया है। और इतना करके ही स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो चुके हैं। स्कूलों के बाहर खड़ी बाइक्स देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस स्कूल के कितने स्टूडेंट्स स्कूल आने के लिए बाइक का इस्तेमाल करते हैं। आंकड़ों की बात करें तो एक स्कूल के क्लास 9 से 12 तक के तकरीबन 20-25 परसेंट स्टूडेंट्स स्कूल आने के लिए बाइक प्रिफर करते हैं।

लाइसेंस भी नहीं बन सकता

क्लास 9 और 10 के स्टूडेंट्स माइनर्स की कैटेगरी में आते हैं। ये स्कूल आने के लिए पॉवर बाइक्स यूज तो करते हैं पर इनके पास लाइसेंस नहीं होता है। स्टूडेंंट्स कई बार ट्रिपलिंग भी करते हैं। इससे कई बार खुद स्टूडेंट्स दुर्घटनाओं के शिकार होते हैं और दूसरों को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

स्कूलों के बाहर हैं पार्किंग

शहर के सभी स्कूलों में कैंपस में बाइक लाने की परमीशन नहीं है। पर सभी स्कूलों में स्टूडेंट्स अपनी बाइक्स लेकर आते हैं। जबकि स्कूलों में केवल साइकिल स्टैंड की ही व्यवस्था है। इसके लिए स्कूलों के बाहर अस्थाई स्टैंड बनाए गए हैं। खास बात यह है कि यह सभी स्टैंड स्कूलों के बहुत ही नजदीक बने हुए हैं पर इनसे स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन को कोई प्रॉब्लम नहीं हैं।

तर्क भी कम नहीं

स्टूडेंट्स की मानें तो बाइक से स्कूल आने से स्टडीज के लिए उनका काफी समय सेव हो जाता है। उनका कहना है कि उन्हें स्कूल आने से पहले और बाद में कोचिंग जाना होता है। इसके लिए बाइक ठीक रहती है। वहीं साइकिल या पब्लिक ट्रांसपोर्ट यूज करने से काफी टाइम किल हो जाता है।

स्कूल में बाइक्स लाना एलाउ नहीं है। कैंपस में केवल साइकिल स्टैंड बना है। हम स्टूडेंट्स से बाइक लाने के लिए मना भी करते हैं। इसके बावजूद अगर कोई बाइक से आ रहा है और उसे बाहर कहीं पार्क करता है तो इसके लिए हम कुछ नहीं कर सकते हैं।

-सिस्टर लिस्मिन, प्रिंसिपल, सेंट फ्रांसिस

कोई भी स्टूडेंट बाइक लेकर नहीं आता है। उन्हें कॉलेज आने के लिए बाइक लाना मना है। अगर वह बाइक लेकर आते हैं तो इस बात का ध्यान पेरेंट्स को रखना चाहिए। हमने तो कॉलेज में बाइक स्टैंड ही नहीं बनाया है। स्कूल में तो स्कूटी के लिए भी परमिशन

नहीं है।

-फादर ग्रेगरी, प्रिंसिपल, बिशप कोनराड

स्कूल में तो बाइक लाना सख्त मना है। इसके बावजूद अगर स्टूडेंट्स बाइक लेकर आते हैं तो पेरेंट्स को बच्चे को रोकना चाहिए। टाइम किल होने का तर्क बिल्कुल भी ठीक नहीं है। जो बच्चे साइकिल से स्कूल आते हैं तो क्या वह सारा काम ढंग से नहीं करते। बाइक केवल स्टेटस सिंबल है।

-राजेश अग्रवाल, डायरेक्टर, जीआरएम

स्कूल में बाइक लाना मना है। मुझे पता लगा है कि कुछ स्टूडेंट्स स्कूल के बाहर ही अपनी बाइक्स पार्क कर देते हैं। इसके लिए वह कुछ शॉपकीपर्स को पे भी करते हैं पर कॉलेज की तरफ से कैंपस में केवल साइकिल लेकर आना ही एलाउड है। बाहर बाइक

पार्क करने के लिए भी स्टूडेंट्स को मना किया गया है।

-राधा सिंह, डायरेक्टर, सेक्रेड हाट्र्स

कॉलेज कैंपस में तो बाइक खड़ी करना एलाउ नहीं है। पर हमें स्कूल के बाद तुरंत कोचिंग जाना होता है, इसलिए टाइम सेविंग के लिए बाइक लाना जरूरी होता है।

-सुभाष, स्टूडेंट

कैंपस में बाइक खड़ी नहीं कर सक ते हैं, इसलिए स्कूल कैंपस के बाहर खड़ी करते हैं। घर काफी दूर है इसलिए बाइक से कॉलेज आते हैं।

-मो। फाइक, स्टूडेंट