(बरेली ब्यूरो)। जिले में सात ब्लड बैंक हैं। इनमें तीन प्राइवेट, तीन संस्थागत व एक जिला हॉस्पिटल में हैं। वर्तमान स्थिति यह है कि अधिकांश ब्लड बैंक एनिमिक हो चुके हैं, यानि उन्हें खुद रक्त की जरूरत है। कई बैंक्स के स्टॉक खाली हैं। हद यह कि कुछ ने तो अपना स्टेटस भी अपडेट नहीं किया है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की पड़ताल में पता चला कि कुछ ग्रुप्स का ब्लड तो बैंकों में मौजूद है, कुछ का बिल्कुल नहीं है। बात करें रेयर ब्लड ग्रुप ओ, बी, एबी निगेटिव की तो इनकी कमी सभी ब्लड बैंकों में मिली। जिला हॉस्पिटल का ब्लड बैंक तो पूरी तरह एनिमिक हो चुका है। वहां के बैंक में मात्र 20 यूनिट ही ब्लड वर्तमान में मौजूद है।

ब्लड डोनर के देना होता ब्लड
ब्लड बैंकों में ब्लड की कमी का कारण यह भी होता है कि कुछ पेशेंट्स ऐसे होते हैं, जिनके पास डोनर नहीं होते। ऐसे में उन्हें बिना डोनर से डोनेट कराए ही ब्लड देना होता है। यह समस्या एचआईवी पीडि़त, पे्रग्नेंट महिला, या ऐसे पेशेंट के साथ आती है, जिनके पास कोई ब्लड डोनेट करने वाला नहीं होता, किंतु उन्हें ब्लड लेना होता है। ऐसी स्थिति में अधिकतर ब्लड बैंकों में ब्लड की कमी हो जाती है। अगर कोई रेयर ग्रुप का पेशेंट होता है तो उसे ब्लड मिलना भी मुश्किल हो जाता है।

रक्तदान को लेकर जगरूकता की कमी
ग्रामीण इलाकों में रक्तदान को लेकर अलग सोच बन गई है। वहां के लोगों का कहना है कि रक्तदान से कमजोरी आती है तथा अन्य समस्याएं भी सामने आती हैं। इसकी वजह से वे ब्लड डोनेट करने से बचते हैं। अगर कोई ब्लड डोनेट करता है तो उसे भी रोकते हैं। लोगों को जागरूक करने के लिए समय-समय पर शिविर भी लगाए जाते हैं। उसके बावजूद जागरूकता नहीं आ पा रही।

कोविड के बाद घटा ब्लड डोनेशन
कोविड पीरियड में जैसे-जैसे संक्रमण में बढ़ोतरी हुई, ब्लड डोनेशन में कमी आने लगी। उस दौरान भी लोगों को प्लाज्मा की जरूरत पड़ी थी, लेकिन लोग ब्लड डोनेट करने से बच रहे थे। यह ही कारण है कि आज भी बैंकोंं में ब्लड की समस्या बनी हुई है।


ब्लड बैंक नहीं अपडेट
ब्लड बैंकों के अपडेशन के लिए प्रदेश सरकार ने ई-रक्तकोष नाम से पोर्टल शुरू कर दिया है, जिससे लोगों को इसके्र माध्यम से जिले की सभी बैंकों की अपडेट मिल सके। इन बैंक्स को पोर्टल पर प्रत्येक दिन की अपडेट रखना होता है कि किस बैंक में किस ग्रुप का कितना ब्लड है या नहीं है। जिले में सात ब्लड बैंक हैं, इनमें सेकुछ तो अपडेट हो रहे हैं, कुछ के अपडेट में होल ब्लड नॉट अवेलेबल, सर्च फार एनॉदर कंपोनेंट नजर आ रहा है।

वर्जन
यह ब्लड बैंक 2021 में शुरु हुआ था। यहां पर लगभग सभी ग्रुप का ब्लड होता है, लेकिन रेयर केसों की सुविधा होने पर उन्हें अदर हॉस्पिटल के लिए रेफर कर दिया जाता है। क्योंकि कभी यहां भी ब्लड की कमी हो जाती है। ज्यादातर कमी तब होती है, जब बिना डोनेट किए ब्लड दिया जाता है। ऐसी स्थिति में ब्लड की बहुत कमी आ जाती है। -संजय निगम, मैनेजर, सत्या ब्लड बैंक

लगभग 33 साल पुरानी गंगाशील ब्लड बैंक है। यह चैरिटेबल है। हमारा रोज का स्टॉक ई-रक्त कोष पर दिया जाता है। कोशिश रहती है कि ब्लड की कमी न रहे। लेकिन रेयर केसों में ब्लड की कमी हो जाती है। लोगों में रक्तदान के लिए जागरुकता की कमी भी इसका कारण है।
धर्मेंद्र, मैनेजर, ब्लड बैंक गंगाशील


फैक्ट एंड फिगर
07 ब्लड बैंक हैं जिले में
03 ब्लड बैंक हैं चैरिटेबल
03 प्राइवेट ब्लड बैंक
01 ब्लड बैंक जिला हॉस्पिटल में
150 यूनिट ब्लड रहना चाहिए प्राइवेट बैंक्स में
500 यूनिट तक संस्थागत ब्लड बैंक में होना चाहिए
132 यूनिट तक ब्लड प्राइवेट बैंकों में है मौजूद
50 यूनिट तक जिला हॉस्पिटल की ब्लड बैंक में हमेशा रहना चाहिए
20 यूनिट ही ब्लड वर्तमान में है मौजूद