आई-नेक्स्ट टीम ने थर्सडे सुबह 11.30 से लेकर 4 बजे तक सिटी के सबसे अधिक संवेदनशील इलाकों का दौरा किया और जाना सुरक्षा का हाल। आई-नेक्स्ट का उद्देश्य सिर्फ आपको और आपके रहनुमाओं को सुरक्षा का आईना दिखाना है। कट्टा लाइव आपको दिखा रखा है आईना. 

रेलवे स्टेशन

सिर्फ नाम की है सिक्योरिटी

हुजूर कहते हैं

एडीआरएम मुरादाबाद मंडल एके सिंघल बरेली जंक्शन की सुरक्षा व्यवस्था पर बात करते हुए कहते हैं कि बरेली जंक्शन की सुरक्षा में आरपीएफ जवान तैनात हैं। इसके अलावा हम जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगाने पर विचार कर रहे हैं। हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जा चुके हैं, जबकि बाकी के स्टेशनों पर लगाए जाने बाकी हैं। जल्द ही अन्य दूसरी जगहों पर भी कैमरे लगा दिए जाएंगे। आरपीएफ का स्टाफ कांबिंग करता रहता है। जहां से भी हमें सिक्योरिटी से संबंधित सुझाव मिलते हैं हम उन पर विचार करके तुरंत अमल में लाने का प्रयास करते हैं।

हकीकत यह है हुजूर

एक तरफ जहां पूरे देश में रेलवे स्टेशंस को हाई अलर्ट पर रखा गया है, वहीं बरेली रेलवे स्टेशन का हाल सबसे जुदा है। रेलवे एडमिनिस्टे्रशन द्वारा जारी किए गए बेसिक इंस्ट्रक्शंस भी यहां फॉलो नहीं किए जाते हैं। एक दिन पहले 18 अप्रैल को जब डीआरएम सुनील माथुर का बरेली दौरा करने का प्रोग्राम था जब यहां की सुरक्षा से लेकर सफाई तक की व्यवस्था चाक चौबंद थी। वहीं 19 अप्रैल को आई-नेक्स्ट की टीम ने जब ग्राउंड लेवल पर जाकर जायजा लिया तो हकीकत आपके सामने है। रेलवे स्टेशन के मेन गेट पर लगाया गया मेटल डिटेक्टर गेट काफी समय पहले से खराब पड़ा है। कुछ दिन पूर्व तक इसे मेन गेट पर वैसे ही रखकर छोड़ दिया गया था। अब तो हाल यह है कि इस मेटल डिटेक्टर को भी साइड में खड़ा कर दिया गया है। हकीकत से रूबरू करवाने के लिए आई-नेक्स्ट रिपोर्टर अपनी कमर में कट्टा लगाकर आराम से प्लेटफॉर्म पर टहलता रहा, लेकिन किसी ने रोकने या पूछने की कोशिश नहीं की। यहां तक आरपीएफ थाने के पास आराम से उसने फोटो भी खिंचवाई लेकिन कोई पूछने वाला नहीं था। दोपहर 12 बजकर 20 मिनट से लेकर 12 बजकर 45 मिनट तक कमर में कट्टा लगाकर प्लेटफॉर्म पर रिपोर्टर मौजूद रहा।

खुदा न करे

ऊपर वाले की रहमत है कि अपना बरेली स्टेशन अब तक आतंकियों के नापाक इरादों से दूर है लेकिन आतंक का साया न दिन देखता है, न समय और न जगह। ऐसी स्थिति में अगर बरेली स्टेशन पर कुछ हो जाए तो जिम्मेदारी एक दूसरे के सिर डालकर बात टाल दी जाएगी।

कचहरी परिसर, कलेक्ट्रेट

पुलिसकर्मियों की होती है ठिठौली

बार-बार एक ही राग

सिटी का सबसे हाईली सिक्योरिटी जोन कचहरी परिसर और कलेक्ट्रेट परिसर है। यहां सबसे अधिक पुलिसकर्मी हर वक्त मौजूद रहते हैं। वैसी स्थिति में जबकि यहां कई बार कैदियों के संबंध में आरोप लग चुके हैं, पुलिसकर्मी हमेशा मौज में रहते हैं। सुरक्षा के नाम पर यहां कोई व्यवस्था नहीं है। आप आराम से यहां कुछ भी लेकर चले जाएं आपको न कोई रोकने वाला होगा न टोकने वाला। परिसर में मौजूद पुलिसकर्मी सिर्फ हंसी मजाक करते नजर आएंगे। हाल ही में जब एक साथ पांच कैदियों ने कोर्ट परिसर में जहर खाकर आत्महत्या की कोशिश की थी तब पुलिस नींद से थोड़ी जगी थी। दो- तीन दिन वहां की सुरक्षा व्यवस्था चौकस थी। वक्त के साथ सभी सुरक्षा पुराने ढर्रे पर चली गई है। आई-नेक्स्ट रिपोर्टर आराम से पुलिसकर्मियों के पास संदेहास्पद स्थिति में कंधे पर बैग लटकाकर पहुंच गया लेकिन किसी ने टोकने की जहमत नहीं उठाई।

हुजूर कहते हैं

वहीं एसएसपी संजीव गुप्ता कहते हैं कि एसएसपी ऑफिस से कलेक्ट्रेट और कचहरी तक काफी भीड़ रहती है। इस एरिया की सिक्योरिटी के लिए 20 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। यही नहीं कलेक्ट्रेट के गेट पर एक सीसीटीवी कैमरा भी लगाया गया है।

उठो ड्यूटी करोफोटो खिंच गई है

आई-नेक्स्ट फोटो जर्नलिस्ट ने बड़े आराम से पुलिसकर्मियों की तस्वीरें खींची। कचहरी परिसर में मौजूद पुलिसकर्मी हंसी मजाक करते रहे। अचानक एक वकील साहब की नजर कैमरे पर पड़ती है। वे पुलिसकर्मियों के पास पहुंचकर कहते हैंउठो आराम मत करो। तुम लोगों की फोटो खिंच गई है। इतना सुनते ही सभी पुलिसकर्मी अपनी जगह से उठकर इधर-उधर घूमने लगते हैं, जबकि दो-तीन पुलिसकर्मी फोटो जर्नलिस्ट से फोटो डिलीट करने की बात कहने लगते हैं।

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल

नहींटूटी है ठीक से नींद

देख कर भी अंजान

आए दिन हॉस्पिटल परिसर में कुछ न कुछ बवाल होता है। हाल ही में दो बार बच्चा चोरी करने की वारदात हो चुकी है। शहर के सबसे बीच में होने के कारण यह एरिया हमेशा ही सेंसिटिव रहता है। इतना सब होने के बावजूद सुरक्षा के नाम पर यहां सबसे अधिक अनदेखी है। जब भी कैंपस में कोई आपराधिक वारदात होती है तो सुरक्षा का राग अलापा जाता है लेकिन हकीकत आपके सामने है। हॉस्पिटल कैंपस में आप आराम से कट्टा हाथ में लेकर टहलते हैं, पुलिसकर्मियों के सामने आते हैं लेकिन कोई न तो आपको रोकता है न टोकता है। बच्चा वार्ड के सामने जहां दो बार हाल ही में वारदात हो चुकी है वहां भी सिक्योरिटी गार्ड सिर्फ नाम के लिए बैठे नजर आते हैं। यहां भी आई-नेक्स्ट रिपोर्टर संदिग्ध बैग लेकर और हाथ में कट्टा लेकर टहलता है लेकिन किसी पर कोई असर नहीं पड़ता है।

एक हकीकत यह भी

हॉस्पिटल परिसर की एक स्याह हकीकत शाम ढलते ही नजर आती है। शाम के बाद कैंपस में शराबियों और जुआरियों की महफिल सज जाती है। कई बार यहां भर्ती पेशेंट्स के तीमारदारों ने इसकी शिकायत एडमिनिस्ट्रेशन से की है लेकिन आज तक कोई परिवर्तन नहीं आया है।

साहब की बातें

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के सीएमएस सुरक्षा व्यवस्था को अपनी प्रायरिटी पर मानते हैं। वहीं डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के सीएमओ एके त्यागी सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुख्ता इंतजामों की पहल जरूरी मानते हैं। वहीं मौजूदा सुरक्षा व्यवस्था पर संतुष्टि जताते हुए वह इसे आम आदमी पर मनोवैज्ञानिक असर मानते हैं। उन्होंने बताया कि डीएम के डायरेक्शन पर डिस्ट्रिक्ट की सुरक्षा व्यवस्था की गई है लेकिन इस व्यवस्था में भी सेंध लग जाए इससे इनकार नहीं किया जा सकता है।

अलखनाथ मंदिर

सब कुछ भगवान भरोसे

हकीकत से सामना

दिन के करीब 2 बजकर 15 मिनट हो रहे हैं। नाथ नगरी के हाइपर सेंसेटिव एरिया में शामिल अलखनाथ मंदिर परिसर के पास टीम आई-नेक्स्ट पहुंचती है। उद्देश्य सिर्फ इतना है कि परिसर की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया जाए। इस मंदिर को कई बार आतंकी संगठनों के निशाने पर आने की सूचना खुफिया सूत्रों द्वारा दी जा चुकी है। ऐसी स्थिति में यहां सिक्योरिटी के नाम पर एक गार्ड तक मौजूद नहीं है। मंदिर परिसर में मौजूद दुकानदार बताते हैं कि सोमवार को जब यहां सबसे अधिक भीड़ होती है तब भी सुरक्षा नाम मात्र की रहती है। यहां भी आराम से आप कोई भी हथियार लेकर पहुंच जाएं कोई रोकने टोकने वाला नहीं है।

ऊपरवाले की रहमत

अलखनाथ मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह भगवान के हाथों में है। ऊपर वाले की दुआओं का असर है कि अब तक सिर्फ आतंकी की नजर पडऩे की बात ही सामने आई है, अगर कभी कुछ हो गया तो यहां भी जांच की बात और सिक्योरिटी बढ़ाने की बात कह कर मामला निपट जाएगा। वहीं एसएसपी संजीव गुप्ता कहते हैं कि अलखनाथ मंदिर में कोई पुलिसकर्मी सुरक्षा के लिए नहीं रहता। सिर्फ मोबाइल पुलिस कभी-कभार यहां पर चक्कर लगा लेती है। रात में सुरक्षा के लिए दो पुलिसकर्मी गश्त पर रहते हैं।

बरेली क्लब

No security zone

यह हकीकत है

बरेली क्लब शहर का ऐसा पॉश एरिया है जहां आए दिन बड़ी-बड़ी पार्टियों का आयोजन होता रहता है। शहर के तमाम वीआईपी यहां रोजाना पहुंचते हैं। पार्टी करते हैं। खेलते हैं। इनजॉय करते हैं। हालांकि वे इस बात से बेखबर हैं कि सिक्योरिटी के नाम पर यहां कोई खास इंतजाम नहीं हैं। दिन में कभी भी आप बेरोक टोक यहां आ जा सकते हैं। आई-नेक्स्ट टीम बरेली क्लब में करीब 3 बजकर 30 मिनट में दाखिल हुई। मेन गेट से लेकर अंदर तक यहां कोई रोकने वाला नहीं था। आराम से हाथ में रिवाल्वर लेकर यहां करीब 15 मिनट तक टहलते रहे, लेकिन किसी की नजर यहां नहीं गई।

हुजूर कहते हैं

बरेली क्लब में सिक्योरिटी के बावत पूछने पर क्लब के सेक्रेटरी कर्नल आरपी सिंह ने कहा कि बरेली क्लब की सुरक्षा के अरेंजमेंट आपके सामने हैं। क्लब में सुरक्षा के क्या इंतजाम हैं और क्या नहीं हैं। इसके लिए हम और आप मिल बैठ कर डिस्कस करते हैं।

आईवीआरआई

गार्ड हैं सिर्फ गेट खोलने के लिए

कैपस की हकीकत

बरेली में एक मात्र सेंट्रल इंस्टीट्यूट है। नाम है इंडियन वेटिनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईवीआरआई)। कहने को इसे भी हाईपर सेसेंटिव जोन में रखा गया है, लेकिन हकीकत यहां भी वही है। सिक्योरिटी के नाम पर यहां मेन गेट पर सिर्फ दो गार्ड तैनात रहते हैं, जिनका काम सिर्फ गेट खोलना और बंद करना है। न तो ये गार्ड आने जाने वाली गाडिय़ों के नंबर नोट करते हैं, न आने जाने वालों का रिकॉर्ड इनके पास रहता है। आई-नेक्स्ट टीम आराम से कैंपस में प्रवेश करती है। एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक के सामने पहुंचती है। फोटो सेशन करवाती है। पूरे परिसर में रिवाल्वर लेकर टहलती है, लेकिन कोई रोकने की जहमत नहीं उठाता है।

प्राइवेट गार्ड के भरोसे

आईवीआरआई की पूरी सिक्योरिटी प्राइवेट गाड्र्स के हवाले है। आईवीआरआई के कम्युनिकेशन सेंटर के ऑफिसर इंचार्ज कुंदन सिंह ने बताया कि गेट और सभी डिवीजन व महत्वपूर्ण डिपार्टमेंट्स में चेक पोस्ट बने हुए हैं। इन पर तैनात गाड्र्स हर आने-जाने वाले पर पैनी नजर रखते हैं। उनकी चेकिंग करते हैं। यही नहीं कुछ डिवीजन में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं, जिन्हें अपग्रेड करने का काम चल रहा है। एडवांस टेक्नोलॉजी युक्त सीसीटीवी कैमरे लगाने की कवायद चल रही है। इसे सभी डिवीजन में लगाने की तैयारी है।

एक सीसीटीवी के भरोसे पूरा शहर

लाखों बरेलियंस की सिक्योरिटी का जिम्मा उठाने वाली बरेली पुलिस अभी हाईटेक नहीं है। सीसीटीवी कैमरे के इंपॉर्टेंस जानते हुए भी बरेली के महज एक चौराहे पर कैमरा लगाया गया है। नावेल्टी चौराहे पर। जबकि बरेली में तमाम ऐसे प्रमुख चौराहे और बरेली में एंट्री प्वाइंट हैं, जहां अक्सर अपराधी सक्रिय रहते हैं। फिर भी यहां सीसीटीवी कैमरे लगाने की जहमत अब तक नहीं उठाई गई। अपराधी पुलिस की इस लापरवाही का फायदा उठा कर आराम से भाग जाते हैं और पकड़ में नहीं आते।

इसलिए हैं गिरफ्त से बाहर

सीसीटीवी कैमरे को पुलिस की तीसरी आंख माना जाता है। रात का अंधेरा हो या दिन का उजाला, सीसीटीवी कैमरा अपनी नजर हर तरफ रखता है और सब कैद कर लेता है। इतना उपयोगी होने के बावजूद बरेली पुलिस अब तक इसे लेकर चौकन्नी नहीं है। इसी कारण से कई बड़ी वारदातों में शामिल क्रिमिनल्स आज तक नहीं पकड़े जा सके हैं। नेशनल हाइवे पर डेयरी व्यवसाई से कार लूट, लाखों की ज्वैलरी की लूटपाट और दो दिन पहले हाईवे पर सेंट्रल जेल के कैदी की हत्या इस बात का जीता-जागता उदाहरण है। पुलिस इन मामलों में अब तक खाली हाथ है।

नावेल्टी चौराहा है सुरक्षित!

सिटी में सिक्योरिटी व्यू से केवल एक सीसीटीवी कैमरा नावेल्टी चौराहा पर लगाया गया है। इसका कंट्रोल एसपी सिटी ऑफिस के सेकेंड फ्लोर पर बने पुलिस कंट्रोल रूम से किया जाता है। मजेदार बात है कि नावेल्टी चौराहे से एसपी सिटी ऑफिस से कुछ ही दूर है। इससे लगता है कि पुलिस अपने ऑफिस के आसपास की ही सिक्योरिटी करवाती है। इससे पहले यही कैमरा अय्यूब खां चौराहे पर लगा हुआ था लेकिन एक व्हीकल से इसकी केबल टूट जाने से इसे नावेल्टी चौराहे पर लगवा दिया गया।

क्रॉस कर जाते हैं बॉर्डर

सिटी में पटेल चौक, चौपुला चौराहा, शहामतगंज चौराहा, सैटेलाइट चौराहा समेत कई अन्य चौराहे हैं जहां अपराधी सक्रिय रहते हैं। लेकिन यहां पर एक भी सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा है। वहीं पुलिस की लापरवाही से अपराधी वारदात को अंजाम देकर आराम से बॉर्डर क्रॉस कर दूसरे स्टेट या डिस्ट्रिक्ट में प्रवेश कर जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि बरेली के तमाम बॉर्डर पर एक भी सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा है और आने जाने वालों का कोई रिकॉर्ड नहीं होता है। बरेली में एंट्री के लिए शाहजहांपुर रोड, पीलीभीत रोड, नैनीताल रोड और रामपुर या दिल्ली रोड के बॉर्डर हैं लेकिन सिक्योरिटी को यहां भी ताक पर रखा गया है।

सिटी की सिक्योरिटी के बारे में आंकलन किया जा रहा है। कुछ कमियां हैं। इतना स्टाफ नहीं है कि हर जगह पुलिसकर्मी तैनात किए जा सकें। मंदिर, कचहरी, शिक्षण संस्थान व अन्य सेंसिटिव प्लेस की सिक्योरिटी के लिए टीमें बनाई जाएंगी। संस्थान के संचालकों से इस बारे में मीटिंग की जाएगी और जो भी हो सकेगा उतने सुरक्षा उपाय किए जाएंगे। इसके लिए उन प्लेस पर सीसीटीवी कैमरों, सिक्योरिटी अलार्म व अन्य इंतजामात किए जाएंगे।

-संजीव गुप्ता,एसएसपी, बरेली

Report : Kunal, Abhishek Singh, Anil Kumar, Amber Chaturvedi, Abhishek Mishra।

Photo: Jagvendra Patel।

Editing: Deepti Chauhan, Gupteshwar Kumar।

Layout: Neeraj Mishra, Ambarish Gupta, Deepak Kumar.