बरेली (ब्यूरो)। इस्लामिया गल्र्स इंटर कॉलेज में दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के फेक फ्रेंड्स अभियान के अंतर्गत हुए कार्यक्रम में साइबर क्राइम सेल के एक्सपर्ट इंस्पेक्टर नीरज सिंह और एसआई शालू ने स्टूडेंट्स को इस तरह के अपराधों से अलर्ट रहने के विषय में आवश्यक जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिॉनिक डिवाइस और इंटरनेट के जरिए जो भी अपराध होता है वह साइबर अपराध होता है। साइबर अपराध दो तरह का होता है, एक तो फाइनेंसियल क्राइम दूसरा सोशल मीडिया क्राइम।

बढ़ गई इनकी जिम्मेदारी
मोबाइल एक इलेक्ट्रिॉनिक डिवायस है और इंटरनेट के बगैर नहीं चल सकता। स्मार्टफोन तो आजकल हर कोई यूज करता है। अच्छी बात है आप मोबाइल यूज करते हैं, लेकिन डिजिटल के युग में साइबर अपराधी इसका मिसयूज करने लगे हैं। पहले तो बड़ों को ही शिकार बनाते थे लेकिन अब तो बड़ों के साथ बच्चों को भी गिरफ्त में लेने लगे है। ऑनलाइन पढ़ाई और पेरेंट्स की अनदेखी के चलते बच्चों में पनप रही मोबाइल गेम्स की लत उनको गलत दिशा में ले जा रही है, और वह साइबर ठगों के जाल में फंसकर धोखाधड़ी का शिकार हो रहे हैं। गेम्स के चक्कर में बच्चे अपने पेरेंट्स से कई बार चोरी छिपे उनका अकाउंट, यूपीआई, क्रेडिट कार्ड यूज कर आसानी से पेमेंट तो कर देते हैं, ऐसे में पेरेंट्स के साथ स्कूल की जिम्मेदारी काफी बढ़ गई है।

पेरेंट्स इन बातों का रखें ध्यान
1-बच्चों ने मोबाइल में क्या-क्या डाउनलोड किया, इसकी जानकारी स्कूल से शेयर करें
2-जालसाजों ने बना रखी हैं हर डिपार्टमेंट की साइट्स से मिलती-जुलती वेबसाइट
3-एंटी सोशल चीजों की करनी चाहिए रिपोर्ट
4-बच्चों को प्यार से दें अच्छी बुरी बातों की जानकारी
5-पूरी दुनिया में साइबर क्राइम के बढ़ रहे केस
6-बच्चों को एटीएम या क्रेडिट कार्ड न सौंपे
7-ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान पेरेंट्स को करनी होगी बच्चों की निगरानी
8-ऑनलाइन पढ़ाई के बाद वॉच करें बच्चा कहीं गेम तो नहीं खेल रहा है।
9-बच्चे का गलत क्लिक उसे गलत साइट पर पहुंचा सकता है

जिन्हें हम जानते नहीं उन्हें फ्रेंड नहीं बनाना चाहिए
एक्सपर्ट ने कहा कि इस समय अपने रियल फ्रेंड बनाने के बजाय वर्चुअल फ्रेंड््स बना रहे हैं। जिन्हें हम जानते नहीं उन्हें फ्रेंड नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने बताया कि आज के समाज में हमारे आसपास कई ऐसे लोग है ओर हमें शिकार बनाते हैं। उन्होंने स्टूडेंट्स को समझाते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर अपनी फोटो पोस्ट करने से बचे। इसके साथ ही अंजान लोगों से दोस्ती करने से बभी बचें। पूरी तरह जानकारी के बाद ही फ्रेंड रिक्वेक्ट एक्ससेप्ट करें। बच्चों को सोशल मीडिया में जिंदगी आसान लगती है, वह अपने साथ उतनी ही मुसीबत लेकर आती है।

डिजिटल खतरों से किया अवेयर
फेक फ्रेंडस वर्कशॉप के दौरान मंच पर मौजूद साइबर एक्सपर्ट नीरज सिंह ने बच्चों को मोटिवेट करते हुए डिजिटल गैजेट्स का सावधानीपूर्वक इस्तेमाल करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अक्सर एटीएम में पैसे फंसने पर लोग गूगल में कस्टमर केयर का नंबर सर्च करते हैं, ऐसे में कई बार साइबर क्रिमिनल्स द्वारा डाले गए नंबर्स सामने आ जाते हैं, जिससे कस्टमर्स धोखाधड़ी का शिकार हो जाते हैं।

हमेशा करें टू फैक्टर वेरिफिकेशन
साइबर एक्सपट्र्स ने बताया कि व्हाट्स या फेसबुक सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफाम्र्स पर टू फैक्टर वेरिफिकेशन को ऑन रखना चाहिए। उसका पासवर्ड किसी से भी शेयर न करें। ऐसा करने पर साइबर क्रिमिनल्स द्वारा आपके अकाउंट को हैक करने की आशंका कम होती है। इसके अलावा मोबाइल पर जीपीएस, ब्लूटूथ, एनएफसी, हॉटस्पॉट और वाईफाई की जरूरत होने पर ही इसे ऑन करें। इसके साथ ही किसी भी तरह की साइबर संबंधी परेशानी होने पर साइबर सेल पर शिकायत करें।

साइबर क्राइम पर काफी अच्छी जानकारी एक्सपर्ट के माध्यम से हमें इस कार्यक्रम में मिली। फ्यूचर में इस वर्कशॉप की सीखी चीजें भविष्य में हमारे बहुत काम आएंगी।
दरखशां

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की तरफ से आयोजित वर्कशॉप में मैने वह सब सीखा जो हमें नहीं पता था। इस तरह की जानकारी सभी को होना जरूरी हैं। ऐसे प्रोग्राम होते रहने चाहिए।
इलमा

साइबर अपराध किन किन माध्यम से हो सकता है, इसकी जानकारी मुझे इस कार्यक्रम में मिली। अब इन बातों को ध्यान में रखूंगी, क्योंकि इस तरह की जानकारी जरूरी है।
काशिफा

साइबर क्राइम आज सबसे अधिक हो रहा है। जिन बिंदुओं पर आज चर्चा की गई, उसकी मुझे जानकारी नहीं थी। यहां आकर जो हमें पता चला, वह बहुत उपयोगी है। मैंने उससे बहुत कुछ सीखा है।
बुशरा

आज पता चला कि किसी भी लिंक पर क्लिक करना कितना खतरनाक हो सकता है। इससे फोन भी हैक हो सकता है। इसकी जानकारी मुझे तो नहीं थी। अब मैं इस विषय में अलर्ट रहूंगी।
बुशरा

बच्चे बड़ों से कहीं अधिक स्मार्ट और एक्सपर्ट हो गए हैं। ऐसी स्थिति में पेरेंट्स के साथ स्कूल के टीचर की जिम्मेदारियां बढ़ गई है। साथ ही अलर्ट रहने की जरूरत है। हालांकि इस तरह के प्रोग्राम से बच्चों के अंदर साइबर अपराध को लेकर अवेयनेस आएगी। गलत-सही को जज करने में आसानी होगी।
चमन जहां, प्रिंसिपल इस्लामिया, इंटर कॉलेज