बरेली (ब्यूरो)। डाटा एनालिसिस की फील्ड में इन दिनों जॉब्स की भरमार है। बात सरकारी विभागों की हो या फिर डिजिटल फील्ड की, हर जगह डाटा एनालिसिस्ट की जरूरत है। डिजिटल में वर्क बढऩे के साथ ही जॉब अपारचुनिटीज भी बढ़ी हैैं। इसके बावजूद बरेली कॉलेज में स्टेटिस्टिक्स की पढ़ाई करने वालों की संख्या घट रही है। स्टेटिस्टिक्स डेटा साइंस को समझने का आसान तरीका है। स्टैटिस्टिकल नॉलेज हमें डाटा का सही से आकलन करने, समझने और उसे इफेक्टिव तरह से प्रेजेंट करने में मदद करता है। स्टेटिस्टिक्स एक इम्पोर्टेन्ट प्रोसेस है कि किस तरह से डाटा का प्रजेंटेशन और प्रेडिक्शन, किसी भी डिसीजन को बदल सकता है।

क्या है स्कोप
हर फील्ड में स्टेटिस्टिक्स की जरूरत है। फिर चाहे वह साइंस, सामाजिक विज्ञान, अर्थशास्त्र, व्यवसाय, सरकारी नीति निर्माण, आर्थिक योजना, चिकित्सा, पर्यावरण अध्ययन, और विज्ञान आदि में इसकी खूब जरूरत है। इन क्षेत्रों में सांख्यिकी डेटा के अध्ययन, नरेशन, और एक्सट्रैक्शन में मदद की जरूरत होती है। स्टेटिस्टिक्स का स्कोप लगातार बढ़ता जा रहा है क्योंकि डिजिटल युग में डेटा उत्पादन की मात्रा तेजी से बढ़ रही है। बड़े आंकड़ों के साथ काम करने की आवश्यकता और इन्टरनेट, सेंसर्स, सोशल मीडिया और उसके टूल्स में डेटा साइंस और स्टेटिस्टिक्स के क्षेत्र को तेजी से डेवलप किया है। आज के सोशल यूग में सर्च इंजन ऑपटिमाइजेशन यानी कि एसइओ के जरिए साइट्स पर ट्रैफिक लाने में मदद मिलती है। डिजिटल युग में सफलता के लिए एसइओ और भी इंपोर्टेंट है। एसईओ हमें लिखे गए वर्ड के हिसाब से लोगों को उनके सर्च किया गया कंटेंट पहुंचाता है। सरकार हर महीने और डाटा देती है। वह भी स्टेटिस्टिक्स नॉलेज के बगैर मुमकिन नहीं है।

डाटा साइंस सबसे बड़ा चैलेंज
डाटा साइंस आज के समय में सबसे बड़ा चैलेंज लेकर आ रहा है। उसमें एंप्लॉयमेंट के इनफिनिट अपारचुनिटी है, लेकिन कई बार स्किल और सही नॉलेज न होने की वजह से लोग आगे नहीं बढ़ पाते। बीए या बीएसी से सिर्फ स्टेटिस्टिक्स की पढ़ाई करके स्टूडेंट इसमें जॉब ग्रैब कर सकता है। पढ़ाई के साथ-साथ आसानी से वर्क फॉम होम पा सकता है।

बरेली में घटता स्टेटिस्टिक्स का क्रेज
बरेली कॉलेज में स्टूडेंट्स में अवेयरनेस की कमी है। लोगों का रूझान सिर्फ पीसीएम, पीसीबी जैसे सब्जेकट पर है। लोग इसके वास्ट यूज के बारे में जानते ही नहीं हैैं कि यह आज के समय का सबसे इमजिंग सब्जेक्ट है। बरेली कॉलेज में यह कॉर्नर किया सब्जेक्ट बनकर रह गया है।

कार्स सीट्स 2020 2022 2023
बीएसी, बीए 80 50 45 40
एमएसी, एमए 25 10 10 10
पीएचडी 12 5 5 5

लोगों की करती है मदद
पॉलिसी बनाने में मदद
यह लोगों को डाटा के आधार पर सही पॉलिसी और फैसले लेने में मदद करती है, चाहे वो व्यक्तिगत निर्णय हो या फिर व्यावसायिक या सरकारी स्तर का निर्णय।

हेल्प इन सक्सेज ऑफ इमेज
सांख्यिकी विश्लेषण द्वारा लोग अपने उत्पादकता और प्रदर्शन में सुधार कर सकते हैं। चीजों के सूधार के लिए अच्छा कदम उठा सकते हैं।

समस्या के समाधान
सांख्यिकी के उपयोग से विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए विश्लेषण किया जा सकता है, जैसे बीमारियों के प्रसार को रोकने, सार्वजनिक नीतियों का अध्ययन और समाजिक मुद्दों का समाधान।

भविष्य में संभावनाएं
सबको सिर्फ एक या दो स्ट्रीम दिखती हैं पीसीएम या पीसीबी। लोगों को इस सब्जेक्ट के बारे में कम पता है। यह आने वाले समय में बहुत निखर कर सामने आएगा।
आकृति शर्मा

लोग ज्यादा एक्सप्लोर नहीं करना चाहते सब भेड़चाल में चल रहे हैं। मैं यहां से पढ़ाई कर रही हूं। मुझे तो सब अच्छा लगता हैं। मैम भी हेल्प करती हैं।
मेघा सिंघल

स्टूडेंट्स को इस सब्जेक्ट के बारें में ज्यादा कुछ पता ही नहीं होता है। लोग यही सोचते रह जाते हैं कि कैसा सब्जेक्ट है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि यह इंटरमीडिएट तक मैथ्स का ही पार्ट रहता हैं। स्टेटिस्टिक्स पूरी तरह से प्रैक्टिकल बेस्ड सब्जेकट है और आज के एरा में चीजों को आसान बनाता है। बरेली कॉलेज में स्टेटिस्टिक्स पढने वालों की संख्या बहुत ही कम है।
डॉ। सुब्रा कटारा, स्टेटिस्टिक्स, एचओडी

मैैंने 2008 में पास आउट किया था। हमारे समय में तो डाटा साइंस इतना डेवलप भी नहीं हुआ था और न इतना स्कोप था। यह बहुत ही गंभीरता का विषय हैै कि लोग ज्यादा अवेयर नहीं है। बरेली कॉलेज एक प्रतिष्ठित संस्थान को भी यह देखना पड़ रहा है। लोगों को अवेयर होने की जरूरत है। इसके लिए जो भी हो सकेगा हम भी मदद करेंगे।
अक्ष प्रताप सिंह, एसएनपी ग्लोबल

यह सिर्फ बरेली की ही नहीं पूरे प्रदेश के लिए एक समस्या है। कई ऐसे सब्जेक्ट हैं, जिसको लेकर स्टूडेंट्स ज्यादा एक्टिव नहीं है। हम स्टूडेंट्स के लिए काउंसिलिंग कैम्प लगाएंगे, जिससे वह ज्यादा जागरूक हों।
ओपी राए, प्रिंसपल, बरेली कॉलेज