रंगों का खूबसूरत समायोजन

समाज में हो रहे बदलाव, ग्रामीण परिवेश और आतंकवाद के बढ़ रहे दायरे को कलाकारों ने जीवंत कर दिखाया। मुरादाबाद के रहने वाले देवव्रत राय ने अपनी कला के जरिए कलकत्ता के पूरे परिवेश को कैनवास पर दिखा दिया। इन्होंने रंगों के माध्यम से दिखाया कि किस तरह आजादी के पहले और आज के दौर में हाथ से रिक्शा खींचने का दौर कलकत्ता में चल रहा है। वहीं अल्मोड़ा से बीएफए करने वाली लखनऊ की दीप्ति विष्ट ने औरतों के रहन-सहन और पहनावे पर आधुनिकता की छाप को दर्शाया।

प्रदर्शनी के दो फेज

प्रदर्शनी 22 से 24 मई तक सुबह 10:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक चलेगी। वहीं 25 से 27 मई तक अन्य कलाकारों की प्रदर्शनी लगेगी। पहले दौर में 74 कलाकारों की कलाकृतियां लगी हैं। वहीं दूसरे दौर में 54 कलाकारों का जलवा दिखेगा।

इनकी कलाकृति को किया गया पुरस्कृत

शम्भू नाथ जाना (पश्चिम बंगाल), आर्य रत्नम (फतेहपुर), रंजना गौतम (लखनऊ), रवि कुमार (बरेली), सोनिया चौधरी (कुरूक्षेत्र), राज तिवारी (अल्मोड़ा), पमिता जोशी (देहरादून), नागेंद्र पागते (लखनऊ), अम्बरीष देव (इलाहाबाद), अमित कुमार (मोदीनगर), अर्चना कुमार (पटना), नेहा जोशी (अल्मोड़ा), अर्चना शाक्य (झांसी), अपेक्षा चौधरी (मेरठ) को सम्मानित किया गया।

इस तरह की प्रदर्शनी कराने का परपज जनमानस में अवेयरनेस लाना है। किसी भी देश की पहचान उसकी कला एवं संस्कृति से ही होती है।

-डॉ। अजय रघुवंशी, संयोजक

मेरी इस कला का शीर्षक है इंफ्यूएंसेज। जनरली लड़के ही बौद्ध धर्म अपनाते हैं। मगर मैंने अपनी कला में यह दर्शाने का प्रयास किया है कि लड़कियां भी बिना मॉन्क बने उस तरह से अपनी पहचान बना सकती हैं।

-अर्चना कुमार, र्आिर्टस्

कला के जरिए समाज में घटित हो रही घटनाओं और अपनी संस्कृति व कल्चर को नजदीक से जानने का मौका मिलता है।

-देवव्रत राय, आर्टिस्ट