आंकड़ों का माहिर निगम

नगर विकास मंत्री आजम खां ने गवर्नमेंट प्रॉपर्टीज पर एनक्रोचमेंट को भले ही अपराध की श्रेणी में माना हो, मगर नगर निगम की कारगुजारी ने एनक्रोचमेंट करने वाले बरेलियंस को अपराध मुक्तकर दिया है। दरअसल नगर विकास मंत्री आजम खां की अध्यक्षता में लखनऊ में समीक्षा बैठकों का दौर चल रहा है। सिटी डेवलपमेंट पर समीक्षा के लिए नगर निगमों से उनके विकास कार्यों की डिटेल मांगी गई थी। बरेली सिटी से भी एनक्रोचमेंट संबंधित आकड़े शासन को भेजे गए थे। रिपोर्ट के मुताबिक, सिटी में 13,048 एनक्रोचमेंट स्थाई और 2,985 अस्थाई दर्शाए गए। खास बात ये रही कि सभी एनक्रोचमेंट को फाइलों में हटा हुआ दिखा दिया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, शहर में एक भी जगह एनक्रोचमेंट नहीं है।

दुकान का सामान रोड तक

रिपोर्ट के उलट एनक्रोचमेंट सिटी की मेजर प्रॉब्लम है। पुराने शहर से पॉश कॉलोनियां भी अछूती नहीं हैं। कई बड़े मार्केट का आलम ये है कि रेजिडेंट्स के लिए पैदल चलना ही दूभर है। सिटी के सबसे बड़े मार्केट का हाल ये है कि हर दुकान निर्धारित सीमा से 5 फुट आगे तक बढ़ी हुई है। 20 फुट चौड़ी रोड सिर्फ 10 फुट की नजर आती है। स्थाई एनक्रोचमेंट के अलावा शॉपकीपर्स ने दुकान का सामान भी रोड पर लगाकर हालात बदतर कर दिए हैं। कुछ ऐसा ही मंजर कुतुबखाना मार्केट, श्यामगंज, आलमगीरीगंज और शाहदाना मार्केट में साफ-साफ नजर आता है।

ठेलों से बनाया divider

श्यामगंज की रोड पर ठेलों का डिवाडर तो परंपरा बन चुका है। शहर का बड़ा होलसेल मार्केट होने के नाते यहां से लाखों का टर्नओवर रोजाना होता है, मगर एनक्रोचमेंट का आलम ये है कि ट्रैफिक रेंगता ही रहता है। पहले से संकरी रोड पर रोज लगने वाले जाम से परेशान होकर व्यवसायियों ने खुद अपने स्तर से डिवाइडर की जगह ठेले खड़े करना स्टार्ट कर दिया, मगर अब यही ठेले जाम का पर्याय बन गए हैं। नगर निगम ने इन्हें भी हटाने की जहमत आज तक नहीं उठाई और फाइलों में सब क्लीयर है।

नहीं है parking

रामपुर गार्डन वैसे तो शहर की पॉश कॉलोनी है मगर एनक्रोचमेंट के मामले में सबसे आगे है। रेजिडेंशियल परपज से डेवलप की गई कॉलोनी में घनत्व को लेकर एशिया के सबसे ज्यादा हॉस्पिटल और नर्सिंग होम हैं। ज्यादातर हॉस्पिटल्स के आगे के फुटपाथ एनक्रोचमेंट के हवाले हो गए हैं। पार्किंग न होने की वजह से हॉस्पिटल में आने वालों की गाडिय़ां रोड पर ही खड़ी होती हैं, मगर हालात ये हैं कि इन अवैध स्थाई निर्माणों को तोडऩे की पहल न तो बीडीए करता है और न नगर निगम।

चिह्नित किए गए अतिक्रमण       हटाए गए अतिक्रमण

अस्थाई    स्थाई                     अस्थाई    स्थाई

13,048    2,985                    13,048    2,985

(शासन को भेजी गई रिपोर्ट)

परचेजिंग करनी हो तो मार्केट जाने के लिए स्पेशली प्लानिंग करनी पड़ती है। लगभग सभी जगह एनक्रोचमेंट का यही हाल है।

- राम प्रकाश, मढिऩाथ

मेरा काम के सिलसिले में लगभग रोज ही कुतुबखाना जाना होता है। अक्सर रास्ते में जाम रहता है। जाम की वजह से लड़ाइयां होना रोजमर्रा की बात है।

- सुशील, बिहारीपुर

एनक्रोचमेंट सिटी की मेजर प्रॉब्लम है। पुराना शहर में रेजिडेंट्स ने जमकर एनक्रोचमेंट किया है। अब हालात ये हैं कि चलना दूभर है।

- इरफान, जोगी नवादा

सबसे ज्यादा एनक्रोचमेंट तो ये शॉपकीपर्स करते हैं। पहले शॉप्स आगे बढ़ाते हैं, फिर सामान भी रोड पर लगा लेते हैं। कई रोड तो बस गलियां मात्र रह गई हैं।

- सत्येन्द्र, जोगी नवादा

श्यामगंज में तो लगता ही नहीं कि रोड है। रेजिडेंट्स ने 4 फुट तक एनक्रोचमेंट कर रखा है। हद है कि रोड के बीच में ठेले वाले खड़े रहते हैं।

- आरिफ, आजमनगर

एनक्रोचमेंट से सिटी की कंडीशन काफी खराब हो गई है। सभी एरियाज की रोड एनक्रोचमेंट के हवाले है। यही कारण है कि हर जगह जाम की स्थिति बनी रहती है।

- अरुण, शाहबाद

नगर निगम की तरफ से एंटी एनक्रोचमेंट अभियान बराबर चलते रहते हैं। मगर हालात ये है कि रेजिडेंट्स रोड्स पर दोबारा एनक्रोचमेंट कर लेते हैं। हालांकि शासन को भेजी गई रिर्पोट में क्या फेरबदल है इसके बारे में मुझे सटीक आईडिया नहीं है। मामले की पड़ताल के बाद ही मैं कुछ कह सकूंगा।

-डॉ। आईएस तोमर, मेयर

एंटी एनक्रोचमेंट अभियान चलाने के लिए हमारे पास पर्याप्त संसाधन, मैनपॉवर नहीं है। हालांकि, सरकार को गलत आंकड़े भेजना बेहद गंभीर मामला है। मैंने पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं, जो भी इसमें दोषी मिलेगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

-डॉ। उमेश प्रताप सिंह, नगर आयुक्त