Banking sector को लगा सबसे ज्यादा चूना
कफ्र्यू के दौरान बरेलियंस को केवल मानसिक ही नहीं बल्कि आर्थिक परेशानी भी बहुत हुई। हेल्थ से लेकर बैंकिंग सेक्टर तक में करोड़ों का नुकसान हो चुका है। आइए हम आपको बताते हैं कि किस सेक्टर को कितना चूना लगा-
हेल्थ सेक्टर
15 करोड़ का घाटा
बरेली को मेडिकल सुविधाओं के लिहाज से पूरे जोन में सबसे अच्छा माना जाता है। पूरे जोन से यहां पेशेंट्स हर दिन आते हैं। कफ्र्यू की वजह से पेशेंट्स नहीं आ सके। यही नहीं लोकलाइट्स भी हॉस्पिटल्स तक नहीं पहुंच सके। तमाम लोगों को तो जरूरत की मेडिसिन तक नहीं मिल सकी। शहर में मेडिकल फैसिलिटीज की वजह से हर दिन कम से कम एक से डेढ़ करोड़ का मुनाफा होता है। पर कफ्र्यू में शहर को यह लॉस झेलना पड़ा।
मेडिकल फै सिलिटीज अच्छी होने की वजह से सिटी में हेल्थ सेक्टर का टर्न ओवर एक दिन में एक करोड़ से ज्यादा का है। कफ्र्यू के दौरान इस सेक्टर को 10 से 15 करोड़ तक का लॉस झेलना पड़ा है। वहीं पेशेंट्स को भी कफ्र्यू में काफी प्रॉब्लम हुई है।
- डॉ। अंशू अग्रवाल, प्रेसीडेंट, आईएमए
जिंस मार्केट
10 करोड़ का लॉस
सिटी के जिंस मार्केट को तो कफ्र्यू ने पूरी तरह चपेट में लिया। बरेली के जिंस मार्केट में पूरे मंडल भर के व्यापारी माल लेने आते हैं। थोक व्यापार के अलावा यहां रिटेल मार्केट की बिक्री बंद होने से पूरा ट्रेड ही प्रभावित हो गया। एक वीक तक सामान के दुकान में बंद रहने से उस पर बारिश और चूहों का भी कहर बरपा। इससे माल को काफी नुकसान भी हुआ। फेस्टिव सीजन की वजह से दुकानों में स्टॉक भी ज्यादा था। ऐसे में नुकसान भी ज्यादा हुआ।
कफ्र्यू भले ही धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। बाहर का व्यापारी कम से कम 15 दिन तक शहर में आने के पहले कई बार सोचेगा। ऐसे में व्यापार अभी कई दिनों तक प्रभावित रहेगा। वैसे भी अब तक जिंस बाजार को कम से कम दस क रोड़ का लॉस तो हो ही चुका है।
- राजेंद्र गुप्ता, प्रेसीडेंट, उप्र उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल
होटल इंडस्ट्री
10 करोड़ का नुकसान
सिटी में छोटे-बड़े मिलाकर तकरीबन 100 होटल, रेस्टोरेंट्स और गेस्ट हाउस हैं। इनमें सबसे ज्यादा टूरिज्म बिजनेस से ही रिलेटेड हैं।
बरेली में ज्यादातर राइस, व्हीट, जरी-जरदोजी के बिजनेसमैन आते हैं। इसके बाद यहां मेडिकल टूरिज्म का नंबर आता है। एक दिन में होटल इंडस्ट्री में तकरीबन एक करोड़ का कारोबार होता है। कफ्र्यू लगने से इनकी आवाजाही बंद हो गई। कफ्र्यू शुरू होने से पहले जिन लोगों ने पार्टीज ऑर्गनाइज की थीं वह भी कैंसिल करा दीं थीं। आलम यह कि टेंशन के दौरान होटल इंडस्ट्री को तकरीबन 10 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
- गिरीश ओबेराय, जनरल सेक्रेट्री, यूपी होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन
इंटरटेनमेंट सेक्टर
15 करोड़ की चपत
कफ्र्यू में सिनेमा हाल में भी सन्नाटा पसर गया। जहां लोग घरों में बंद होकर बोर हो रहे थे, वहीं सिनेमा हॉल दर्शकों के इंतजार कर रहे थे। हालात यह हुए कि फ्राइडे को कफ्र्यू की वजह से न्यू रिलीज क्या सुपर कूल हैं हम बरेली की सिनेमा हॉल, मल्टीप्लेक्स में रिलीज तक नहीं हो पाई। कफ्र्यू में ढील मिलने के बाद भी जो दो शो चालए जा रहे हैं उनमें भी दर्शकों की संख्या काफी कम है। भरपाई जल्दी होना मुश्किल है।
मंडे से सिनेमा हॉल बंद हैं। अभी भी सभी शो नहीं चल पा रहे हैं। कफ्र्यू में तो क्या सुपर कूल हैं हम रिलीज तक नहीं हो पाई। शहर के सात सिनेमा हाल और एक मल्टीप्लेक्स को कफ्र्यू की वजह से कम से कम 15 लाख का नुकसान झेलना पड़ा है।
- चेतन मेहरा, सेक्रेट्री, बरेली सिने एग्जिविटर एसोसिएशन
पेट्रोल पंप
5 करोड़ का लॉस
शहर में कफ्र्यू शुरू हुआ तो सबसे पहले रफ्तार पर ही ब्रेक लगा। ऐसे में रफ्तार ही नहीं तो पेट्रोल और डीजल की क्या जरूरत। शहर के 25 पेट्रोल पंप कफ्र्यू के दौरान खुले तो रहे। पर कुछ पंप पर ही दो-एक क स्टमर्स नजर आए। ये कस्टमर्स थे जिन्हें कफ्र्यू पास जारी किए थे। एक दिन में दो लाख की सेल करने वाले पेट्रोल पंप पर दो हजार की सेल भी मुश्किल से हो पाई। दस दिन तक जारी रहे इस कफ्र्यू में कुल मिलाकर कम से कम पांच करोड़ लॉस तो झेलना ही पड़ा।
कफ्र्यू के दौरान तो पूरा शहर ठहर सा जाता है, फिर पेट्रोल पंप तो सूने रहने ही थे। पर यह सूनापन शहर को पांच करोड़ चूना लगा गया। इससे सेल टैक्स का भी काफी नुकसान हुआ है। हालात जल्दी सही होते भी नहीं दिख रहे हैं।
- पंकज अग्रवाल, वाइस प्रेसीडेंट, पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशनट्रांसपोर्ट सेक्टर
20 करोड़ की हानि
कफ्र्यू के कारण यहां जो भी माल आना था, वह रास्ते में ही रुक गया। बाहर भी माल नही भेजा सका । ऐसे में बिना काम के ही ट्रकों का रोड टैक्स, भाड़ा, ड्राइवर का खर्च देना पड़ा। साथ ही ट्रांसपोर्ट सेक्टर दो साल पहले हुए दंगे में हुए 50 करोड़ के नुकसान से अब तक उबर भी नहीं पाया था। ऐसे में एक और झटका कहीं पहियों की रफ्तार पर ही रोक न लगा दे। ट्रांसपोट्र्स भी अब शहर के बदलते माहौल में काफी डरे हुए हैं।
कफ्र्यू में सबसे ज्यादा नुकसान ट्रांसपोर्ट सेक्टर को झेलना पड़ा है। श्यामगंज और किला दो मुख्य ट्रांसपोर्ट हैं। एक ट्रांसपोर्ट में एक सप्ताह में कम से कम 10 करोड़ का नुकसान हुआ है। नुकसान की भरपाई में काफी समय लगेगा।
- हरीश विग, प्रेसीडेंट, किला ट्रांसपोर्ट
Mobile recharge की बाढ़
मोबाइल सिम डिस्ट्रीब्यूटर एंड रीचार्ज शॉप ओनर सुदीप गुप्ता ने बताया कि कफ्र्यू के एक वीक के दौरान मार्केट में भले ही गिरावट आई हो पर मोबाइल रीचार्ज कराने वालों की तादाद काफी बढ़ गई है। ई-टॉप करने वाले ओनर्स के पास हमेशा 8-10 लाख का बैलेंस तो रहता ही है। पर कफ्र्यू के दौरान किसी के भी पास 50 हजार से ज्यादा बैलेंस बचा ही नहीं। इस दौरान सबसे ज्यादा डिमांड कैंट क्षेत्र के डिस्ट्रीब्यूटर्स के पास रही। कफ्र्यू के दिन तो एक दिन में ही पांच लाख के रीचार्ज किए गए। वहीं इस दौरान ई-रीचार्ज भी कई लोगों ने कराए।
कफ्र्यू की वजह से शहर का ट्रेड रुक जाता है। बैकिंग सेक्टर को सबसे ज्यादा नुकसान होता है। वहीं सबसे ज्यादा नुकसान शहर की छवि को होता है। कफ्र्यू लगने से बाहर से आने वाले व्यापारी काफी दिनों तक शहर की तरफ रुख नहीं करते हैं। शहर में नए प्रोजेक्ट्स के लिए दरवाजे बंद हो जाते हैं। कुल मिलाकर शहर का विकास पांच-दस साल तक पीछे चला जाता है।
राजन विद्यार्थी, चार्टर्ड एकाउंटेंट
बैंक बंद होने से कैश रोटेशन बंद हो जाता है। इससे बैंकों को बहुत नुकसान उठाना पड़ता है। मनी बाहर से न आने से बैंक को
उसकी कोई कीमत नहीं मिल पाती है। वहीं कफ्र्यू के दौरान क्लियरिंग हाउस बंद रहने से बैंक को मिलने वाले क्लियरिंग चार्जेज का भी नुकसान उठाना पड़ता है। अदर सेक्टर्स में भी कफ्र्यू का असर निगेटिव ही रहता है।
- अरविंद सिंह, चार्टर्ड एकाउंटेंट
बैंकिंग सेक्टर
35 करोड़ डूबा
कफ्र्यू लगा तो बैंक बंद हुए और आठ दिनों तक क्लियरिंग बंद रही। सिटी में डिफरेंट बैंक्स की 40 ब्रांच हैं। हर ब्रांच में 70-80 करोड़ का टोटल बिजनेस होता है। करीब 10 परसेंट का मुनाफा होता है। गौर करें तो यह लॉस 30-35 करोड़ का बैठता है। इस नुकसान की भरपाई करना आसान नहीं होगा।
कफ्र्यू की वजह से बैंक बंद हुए तो क्लियरिंग से लेकर ट्रांजैक्शन तक सारे काम रुक गए। जब बिजनेस ही नहीं हुआ तो मुनाफा कैसे होता। अब तो काम भी और ज्यादा बढ़ गया है। पेंडिंग वर्किंग भी पूरी करनी पड़ रही है। बैंकिंग सेक्टर को 35 करोड़ का लॉस हुआ है।
- मुकेश पठानिया, प्रेसीडेंट, यूपी बैंक इंप्लाईज यूनियन
ज्वैलरी मार्केट
12 करोड़ गए
फेस्टिव सीजन शुरू हुआ ही था कि शहर में कफ्र्यू लग गया। कफ्र्यू शुरू होते ही गोल्ड की प्राइस भी काफी बढ़ गई है। ऐसे में एक तरफ कफ्र्यू की मार तो दूसरी तरफ बढ़े हुए दामों से ज्वैलर्स काफी परेशान हैं। वहीं ट्रेड न होने से मार्केट को क ाफी लॉस भी हुआ है। एक्सपट्र्स की मानें तो सोने-चांदी के बाजार को कफ्र्यू के दौरान कम से कम 12 करोड़ का नुकसान हुआ है। यह लॉस पहले से ही हल्के चल रहे ज्वैलरी मार्केट के लिए काफी बड़ा झटका है।
कफ्र्यू ने तो ज्वैलरी मार्केट की कमर तोड़ दी है। एक तरफ महंगाई और दूसरी तरफ कफ्र्यू की मार ने ज्वैलर्स के लिए परेशानियों का अंबार लगा दिया है। इस कफ्र्यू ने गोल्ड मार्केट को 10-15 करोड़ की चपत लगाई है। कफ्र्यू के बाद भी बाजार ठीक होने में समय लगेगा।
- राजकुमार अग्रवाल, प्रेसीडेंट, बरेली सर्राफा मंडल