बरेली (ब्यूरो)। बिजली विभाग के जेई आविद हुसैन को एंटी करप्शन की टीम ने 30 हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ लिया है। उसके विरुद्ध फतेहगंज पश्चिमी थाने में प्राथमिकी लिखाई है। तलाशी में आरोपित जेई के घर से टीम को 1.42 लाख रुपये कैश मिला है। गुरुवार को आविद ने ट््यूबवेल कनेक्शन के सर्वे और एस्टीमेट बनाने के नाम पर रिश्वत ली थी।
टीम ने ट्रैप किया सेट
बिजली विभाग में भ्रष्टाचार किस चरम पर है यह बात किसी से नहीं छिपी है। यहां तक की एक घरेलू कनेक्शन भी किसी को लेना हैं तो वह भी बिना रिश्वत नहीं मिलता। ऐसा ही नंदोसी उपकेंद्र के जेई आविद हुसैन ने फतेहगंज पश्चिमी के सुनील कुमार के साथ भी किया। सुनील को अपने खेत में एक ट््यूबवेल लगाने के लिए कनेक्शन लेना था। उन्होंने आवेदन किया तो जेई मौके पर पहुंचा। आरोप है कि आरोपित ने सर्वे और एस्टीमेट बनाने के नाम पर 30 हजार रुपये की मांग की। सुनील ने कहा कि वह सभी काम सही तरह से करा रहे हैं तो रिश्वत किस बात की देंगे? वह कोई फर्जी काम नहीं करा रहे जो वह रिश्वत दें। इस पर जेई ने उनका सर्वे करने और एस्टीमेट बनाने से इन्कार कर दिया। सुनील ने कई चक्कर काटे मगर आविद काम करने को तैयार नहीं थे। जब वह ज्यादा परेशान हो गए तो उन्होंने एंटी करप्शन कार्यालय पहुंचकर मामले की शिकायती की। एंटी करप्शन के सीओ यशपाल ङ्क्षसह ने मामले की जांच कराई तो आरोप सही पाए गए। इसके बाद टीम ने ट्रैप सेट किया।
नंदौसी में है तैनाती
एंटी करप्शन की टीम ने सुनील से जेई को रुपये देने को कहा मगर वह रुपये टीम ने ही अपने पास से डीएम की अनुमति के बाद दिए थे। 30 हजार रुपये पर कैमिकल लगाकर उन्हें एक कागज में बंद किया गया और वह रुपये सुनील को दे दिए गए। आरोपित आविद ने उपकेंद्र पर ही सुनील को रुपये लेकर बुला लिया। टीम भी वहीं पर घूम रही थी। जैसे ही आविद ने अपने हाथ में रुपये लिए टीम ने उसे दबोच लिया। आविद के फिनाफ्थिलीन से हाथ धुलवाए गए तो रंग लाल हो गया। टीम उसे फतेहगंज पश्चिमी थाने लेकर पहुंची। आरोपित के विरुद्ध प्राथमिकी लिखाई गई है। बता दें कि आविद हुसैन मूल रूप से बिजनौर के कीरतपुर का निवासी है। वर्तमान में उसकी तैनाती नंदौसी उपकेंद्र में है।
घर से मिला 1.42 रुपये
सीओ ने बताया कि आरोपित से पूछताछ के बाद उसके घर की तलाशी हुई जिसमें 1.42 लाख रुपये बरामद हुआ है। बताया जा रहा है कि यह सभी रुपया भ्रष्टाचार से ही कमाया गया है। आरोप है कि आरोपित रिश्वत लेने के बाद ही कोई काम करता है।