नेक्सस से उठा था परदा
कलेक्ट्रेट में वोटर आईडी कार्ड का खेल लंबे समय से चल रहा था। सूचना मिलने पर आईनेक्स्ट ने देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने वालों को बेनकाब करने के लिए स्टिंग ऑपरेशन किया था। स्टिंग में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। वोटर आईडी कार्ड के कारोबारियों ने प्रोटोकॉल मिनिस्टर का वोटर आईडी कार्ड 24 घंटे के अंदर मुहैया करवा दिया था। वोटर आईडी कार्ड के लिए आई नेक्स्ट रिपोर्टर से सिर्फ अभिषेक मिश्र की फोटो और तीन सौ रुपये की डिमांड की गई थी। वोटर आईडी कार्ड विधानसभा इलेक्शन के वक्त जुलाई 2011 की डेट का बनाया गया था। इससे मामले की गंभीरता ज्यादा बढ़ गई थी।
खुलासे पर मचा था हड़कंप
खुलासे के बाद एडमिनिस्ट्रेशन में हड़कंप मच गया था। 27 सितंबर को मुख्य निर्वाचन आयुक्त उमेश सिन्हा ने जांच के निर्देश दिए थे। वहीं कमिश्नर के। राम मोहन राव ने गत 28 सितंबर को डीएम अभिषेक प्रकाश को जांच के आदेश दिए थे। कमिश्नर ने रिपोर्ट 10 दिन में सौंपने की बात भी कही थी।
जांच की धीमी चाल पर सख्ती
डीएम द्वारा निर्देशित एडीएम सिटी देवेन्द्र दीक्षित ने प्रकरण की जांच की जिम्मेदारी एसडीएम सदर आरपी सिंह को सौंपी थी। जांच की कछुआ चाल के चलते 22 दिन के बाद भी एडमिनिस्ट्रेशन के हाथों से नागरिकता के सौदागर दूर ही हैं। जांच की मियाद खत्म होने के बाद भी कार्रवाई की सुस्त चाल पर देवेन्द्र दीक्षित ने अल्टीमेटम दिया है।
मैने संबंधित ऑफिसर्स से जांच रिपोर्ट 3 दिन के अंदर मांगी है। इसके साथ ही प्रकरण में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए डायरेक्शन दिए है।
- देवेंद्र सिंह, एडीएम सिटी
मैं पूरे मामले की गहन जांच कर रहा हूं। निर्धारित समय के अंदर में जांच पूरी कर ली जाएगी। प्रकरण के दोषी जो भी लोग हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।
-आरपी सिंह, एसडीएम सदर