Labours के हवाले 80 हजार स्टूडेंट्स की मेहनत
डिग्री कॉलेजेज के स्टूडेंट्स जिन आंसरशीट पर अपने साल भर की मेहनत उतार देते हैं उनकी सुरक्षा की सुध लेने वाला कोई नहीं है। रुहेलखंड यूनिवर्सिटी ने स्टूडेंट्स की एग्जाम कॉपियों की सिक्योरिटी लेबर्स के हवाले छोड़ दी है। वे ही कॉलेजेज से कॉपियों के बंडल कलेक्ट करते हैं कबाडऩुमा गाडिय़ों में भरकर यूनिवर्सिटी में पहुंचाते हैं। कॉलेज और यूनिवर्सिटी के बीच कॉपियों के साथ कुछ भी हो सकता है। इसकी जिम्मेदारी कोई लेने वाला नहीं है। मैनेजमेंट बस यही सोच कर इत्मिनान में है कि जब आज तक कोई घटना नहीं हुई तो आगे भी नहीं होगी। जबकि पिछले साल ही पीजी मैथ्स की कुछ कॉपियां गायब हो गई थीं।
150 सेंटर्स पर एग्जाम
रुहेलखंड के यूजी और पीजी कोर्सेज के एग्जाम्स 150 सेंटर्स पर कंडक्ट कराए जा रहे हैं। बरेली, मुरादाबाद, बदायूं, शाहजहांपुर, पीलीभीत समेत अन्य डिस्ट्रिक्ट में भी एक साथ एग्जाम्स हो रहे हैं। जहां पर करीब 3,98,864 स्टूडेंट्स एग्जाम दे रहे हैं। इसमें यूजी के करीब 3,13,423 स्टूडेंट्स हैं। इनमें बीसीबी सबसे बड़ा सेंटर है। यहां करीब 80 हजार स्टूडेंट्स एग्जाम देते हैं। अब सोचिए इन स्टूडेंट्स की मेहनत के साथ क्या सुलूक किया जा रहा है।
यूनिवर्सिटी की जिम्मेदारी
इन सभी एग्जाम सेंटर्स पर क्वेश्चन पेपर्स और आंसरशीट पहुंचाने और एग्जाम के बाद कलेक्ट करने की जिम्मेदारी यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट की है। हफ्ते-10 दिनों में एक बार गाड़ी कॉलेजेज में जाती हैं और वहां पर रखे आंसरशीट के सील किए हुए बंडल उठाकर यूनिवर्सिटी लेकर चली आती है।
नो सिक्योरिटी अरेंजमेंट्स
एग्जाम्स आंसर शीट को कॉलेजेज सेंटर्स से कलेक्ट करने के लिए यूनिवर्सिटी ने किसी भी प्रकार की सिक्योरिटी प्रोवाइड नहीं की है। न केवल बरेली बल्कि आसपास के डिस्ट्रिक्ट से भी आंसरशीट बिना किसी सिक्योरिटी के यूनिवर्सिटी लाई जाती हैं। गाडिय़ों में केवल यूनिवर्सिटी के ही एक-दो लोग होते हैं। बाकी सभी लेबर्स होते हैं जो बंडल की ढुलाई का काम करते हैं।
लेबर्स बने कर्ता-धर्ता
यूनिवर्सिटी ने आंसर शीट की सिक्योरिटी लेबर्स पर छोड़ दी है। ये वो टेम्परेरी लेबर्स हैं जो कॉपियों को कलेक्ट करने के लिए गाडिय़ों के साथ लाए जाते हैं। वे ही कॉलेज से कॉपियों को गाडिय़ों में लादते हैं और साथ में चले जाते हैं। ज्यादातर लेबर्स बच्चे होते हैं। इनके साथ किसी भी प्रकार की सिक्योरिटी नहीं होती। लेबर्स ही रास्तेभर कॉपियों की रखवाली करते हैं।
गोपनीयता पर खतरा
एग्जाम के क्वेश्चन पेपर्स और आंसरशीट मोस्ट कॉन्फिडेंशिय आइटम्स में आते हैं। अनऑथराइज्ड हाथों में जाने से उनकी गोपनीयता भंग हो सकती है। ये लेबर्स कौन हैं? उनका कैरेक्टर क्या है? इसका पुलिस वैरीफिकेशन नहीं कराया जाता। कॉपियों के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ से इंकार नहीं किया जा सकता।
लास्ट ईयर गुम हो गई थी कॉपियां
लास्ट ईयर ही पीजी की आंसरशीट गायब होने की घटना हुई थी। आरयू में कॉपियों के मूल्यांकन के दौरान एमएससी मैथ्स की कुछ कॉपियां गायब हो गई थीं। जांच के बाद यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट ने इनविजिलेटर को डीबार कर कोरम पूरा कर दिया गया। फिर भी व्यवस्था वही बनी हुई है। यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट ने इस घटना से कोई सबक नहीं लिया और उसी ढर्रे पर है।
गैरजिम्मेदाराना रवैया
इतने गंभीर प्रकरण पर यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट का रवैया चलताऊ वाला है। वे आंसरशीट को सिक्योरिटी प्रोवाइड करने की जरूरत मससूस नहीं करते हैं। इस व्यवस्था की जिम्मेदारी आरयू के रजिस्ट्रार बीके पांडेय के जिम्मे हैं। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि आज तक ऐसी कोई घटना नहीं घटी है। जो लोग कॉपियों को कलेक्ट करते हैं वे ही उनकी सिक्योरिटी भी करते हैं।
हमारे यहां कॉलेज के कलेक्शन सेंटर पर कॉपियों को पूरी सिक्योरिटी प्रोवाइड की जाती है। यहां से कॉपियों को ले जाने का जिम्मा आरयू मैनेजमेंट का है। आगे की सिक्योरिटी प्रोवाइड करना उनके कंधों पर हैं।
- डॉ। अजय शर्मा,प्रॉक्टर, बीसीबी
जो लोग गाडिय़ों में होते हैं वे ही कॉपियों की देखभाल करते हैं। अलग से सिक्योरिटी प्रोवाइड करने का सवाल ही नहीं उठता। आज तक कॉपियों के साथ ऐसी कोई घटना नहीं हुई है। फिर अलग से सिक्योरिटी कैसी।
-बीके पांडेय, रजिस्ट्रार, आरयू