- 300 बेड कोविड हॉस्पिटल में इंजेक्शन और स्टाफ का टोटा
- संक्रमित मरीज के ब्लड को पतला करने के लिए किया जाता इंजेक्शन का प्रयोग
बरेली : कोविड-19 ने एक बार फिर कहर बरपाना शुरू कर दिया है। इसको लेकर शासन ने दोबारा से हेल्थ डिपार्टमेंट को अलर्ट जारी कर कोविड जांच बढ़ाने का आदेश दिया, लेकिन मानव संसाधन और जरूरी दवाओं का टोटा होना से मरीजों को उचित इलाज नहीं मिल रहा है। मंडल में कोविड संक्रमित मरीज बरेली के 300 बेड कोविड हॉस्पिटल में एडमिट किए जा रहे हैं। लेकिन यहां स्टाफ का टोटा होने से मरीजों को उचित इलाज और देखरेख नहीं मिल पा रही है।
30 पैरामेडिकल और नर्सिग स्टाफ हटाया गया
बीते ट्यूजडे को 300 बेड कोविड हॉस्पिटल में तैनात 30 पैरामेडिकल और नर्सिग स्टाफ को शासन के आदेश पर हटाया दिया गया। हटाया गया स्टाफ अस्थाई कर्मचारी हैं। जिस कारण कोविड एल टू और एल वन में एडमिट मरीजों को सुविधाएं देने की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। वहीं दोबारा तैनाती को पिछले चार दिनों से 300 बेड हॉस्पिटल के गेट पर धरना दे रहे हैं।
इंजेक्शन का टोटा
मार्च माह की शुरूआत से दोबारा कोविड के केसेज बढ़े हैं। वहीं वर्तमान में कोविड हॉस्पिटल में 13 संक्रमित पेशेंट्स एडमिट भी है। उनके इलाज में सबसे अहम है इनऑक्सापेरिन इंजेक्शन। इस इंजेक्शन का पिछले दो माह से हॉस्पिटल में टोटा है, इसकी डिमांड भी प्रबंधन ने विभाग को भेज दी है लेकिन अभी तक इंजेक्शन नहीं भेजे गए हैं।
खून पतला करने काम आता है इंजेक्शन
डॉक्टर्स के अनुसार कोरोना वायरस की चपेट में आने के बाद मरीज की बॉडी के ब्लड को वायरस का संक्रमण गाढ़ा करने लगता है। इनऑक्सोपेरिन इंजेक्शन मरीज को लगाने पर यह संक्रमण के प्रभाव को कम करता है वहीं ब्लड को पतला करने में काफी मददगार होता है।
स्टाफ और इंजेक्शन की कमी के चलते दिक्कत हो रही है। इंजेक्शन खत्म होने के फौरन बाद ही डिमांड भेज दी गई थी लेकिन अभी तक इंजेक्शन नहीं मिले हैं।
डॉ। वागीश वैश्य, सीएमएस, 300 बेड कोविड हॉस्पिटल