BAREILLY:े मामला न किसी मजहब से जुड़ा है और न किसी धर्म से। बात है अंधविश्वास की, जिसकी जड़ों से धर्म और मजहब से जोड़ दिया गया है। आस्था का नाम लेकर अंधविश्वास की दीवार को और ऊंची करने वालों ने अब सपने बेचना शुरू कर दिया है। 'गॉड के एजेंट्स' का मायाजाल अब इतना लंबा-चौड़ा हो गया है कि वे रातों-रात तकदीर बदल देने, दुश्मनों का नाश कर देने, गरीबी दूर भगा देने जैसे वादों के बिजनेस में लग गए हैं। वह भी खुलेआम धड़ल्ले से। न कोई रोकने वाला और न कोई टोकने वाला। राजकुमार हिरानी की मूवी 'पीके' में आमिर खान ने अंधविश्वास पर सवाल खड़ा किया तो देशभर में बवंडर खड़ा हो गया। इसे धार्मिक भावनाओं को आहत बनाने वाला बताया जाने लगा। यह एक पक्ष है। दूसरा पक्ष यह है कि हमारे ईर्द-गिर्द भी तो ऐसा ही हो रहा है। इसे सामने लाने का बीड़ा उठाया है आई नेक्स्ट ने।
सीन एक
नौकरी प्रमोशन सब बस 630 में
नौकरी मिलेगी, प्रमोशन भी होगामनचाही लड़की से शादी होगी दुश्मनों से छुटकारा मिलेगा। चमत्कारी बाबा चुटकी में सारे बिगड़े काम ठीक कर देंगे। बस एक नंबर घुमाइए और एक सिद्ध यंत्र घर मंगवाइए। लोगों को जागरूक करने वाले अखबारों और टीवी चैनल्स पर रोजाना इस तरह के एड देखने को मिल रहे हैं।
'पीके' बने रिपोर्टर ने भी अखबार में बाबा रहमत और वशीकरण कवच के नाम से छपे ऐसे ही एक एड में दिए नंबर पर फोन घुमाया। पीके ने कहा वह एक लड़की को पसंद करता है, उससे शादी करना चाहता है। यही नहीं उसने कहा कि कई साल से मुकदमे बाजी में फंसा है और नौकरी में प्रमोशन चाहता है। जवाब में बाबा ने 630 रुपए कीमत वाले सवा लाख मंत्रोंच्चारित वशीकरण कवच पहनने भर से मनपसंद लड़की से शादी और नौकरी में प्रमोशन होने का दावा किया। साथ ही चेताया विश्वास करना जरूरी है, विश्वास होगा तभी काम होगा। इसके बाद बाबा ऑर्डर तुरंत बुक कराने की जल्दबाजी में लगे रहे।
यूं हुई्र बातचीत
पीके-वशीकरण कवच से बोल रहे हैं।
वशीकरण कवच-जी हां वशीकरण कवच से अमित बोल रहे हैं।
पीके-मुझे एक लड़की से प्यार है। लेकिन वो किसी और को पसंद करती है।
अमित - क्या नाम है लड़की का।
पीके - प्रियंका।
अमित - सब ठीक हो जाएगा, बस आप वशीकरण कवच धारण कर लिजिए। अपना एड्रेस जल्दी बताइए, आपके घर पर सवा लाख मंत्रों से सिद्ध किया गया वशीकरण कवच पहुंच जाएगा।
पीके - सिर्फ एक कवच धारण करने से कोई लड़की मेरे वश में कैसे हो जाएगी, तो क्या कैटरीना कैफ भी
अमित - क्यों नहीं लेकिन क्या आप कैटरीना के संपर्क में कभी रहे हैं या फिर कभी मुलाकात हुई है।
पीके - जी हुई तो। नहीं लेकिन
अमित - यह कवच आप जिनके संपर्क या कभी मुलाकात हुई है उन्हीं पर काम करेगा।
पीके - ये बताइए कोर्ट में सालों से एक केस चल रहा है और नौकरी में तरक्की नहीं हो रही है।
अमित - शायद आपने मेरी बात ध्यान से नहीं सुनी। जैसा की मैंने कहा कि, यह कवच सभी चीजों में काम करेगा। बस एड्रेस बताइए। इतना पूछताछ की क्या जरूरत।
पीके - अच्छा वशीकरण कवच कितने का मिलेगा।
अमित - जैसा की आपने एड में देखा है बस आपको उतने ही पैसे देने होंगे।
पीके-मैं तो बरेली रहता हूं तो, कवच मुझे कैसे मिलेगा।
अमित-आप ऑल इंडिया कहीं रह रहे हो आपको वशीकरण कवच मिल जाएगा।
पीके-ठीक है, और पीके दो मिनट में दोबारा बात करने की बात कहकर फोन कट कर देता है।
पीके के सवाल -
वशीकरण कवच से ही जिंदगी की सारी खुशियां मिनटों में हासिल हो जाती तो फिर बड़ी-बड़ी कंपनियों तक का चुटकीभर में काम हो जाता। प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए रात दिन एक क्यों करना पड़ता। बस हर किसी के 630 रुपए खर्च करते ही सारे काम चुटकी में हो जाते। अगर ऐसा होता तो वशीकरण वाले बाबा तो दुनिया पर राज कर रहे होते।
सीन दो
करोंड़ों के घर पर चप्पल को टोटका
महंगे प्लास्टिक पेंट से रंगी दीवारें, खूबसूरत फूलों के झरोखों से झांकते घरौंदे पॉश इलाकों की ऊंची इमारतें या किसी पुरानी बस्ती की गली के नुक्कड़ का कोई घर। सभी अपने आप में खूबसूरत और अलहदा लेकिन खूबसूरती को किसी 'बुरी नजर' से बचाने की सबकी धुन लगभग एक सी। भवन पर टंगे जूते-चप्पल और मटकी पर बने बाबा। पीके बने आई नेक्स्ट रिपोर्टर की नजर इसपर पड़ी तो वह चकराया, इन चीजों को इतनी अहमियत देने के सवाल पर मकान मालिक ने घूरती नजरें टेढ़ी कर इसे घर को बुरी नजर से बचाने का रक्षा कवच बताया। कईयों का कहना था कि ये न सिर्फ कुदृष्टि बल्कि किसी भी अनचाही आपदा से घर को बचाता है।
पीके का सवाल
ये बुरी नजर क्या बला है, भला किसी मटके पर बनी कोई डरावनी आकृति सुरक्षा कवच बन सकती है क्या? अगर वाकई ये बुरी नजर और प्राकृतिक आपदा से बचाने वाला टोटका इतना कारगर है, तो फिर शहर के सभी घरों को किसी पुलिस सुरक्षा की जरूरत ही नहीं। बड़ी-बड़ी बिल्डिंग को भूकंपरोधी समेत तमाम उपाय करने की जरूरत क्या है, बस एक फटा पुराना, टूटा चप्पल टांगिए और चैन की नींद सो जाइए।
सीन 3
500 रुपए में आपका फ्यूचर
डीएम आवास की बॉउंड्री से सटकर जमीन पर आसन बिछाकर एक ज्योतिषाचार्य बैठते हैं। पीके बने रिपोर्टर ने जानकारी जुटाई तो मालूम हुआ कि यह ज्योतिषी जसवीर हैं जो पिछले लंबे अर्से से लोगों का भविष्य बांच रहे हैं। पीके ने भी अपनी जमीनी विवाद की समस्या को उनके सामने रखा। ज्योतिषी ने नाम पूछकर राशि, नक्षत्र और ग्रह संयोग को बुदबुदाना शुरू किया। इसके बाद आसन पर फैलाई कई मालाओं, अगूंठियों के बीच कांच की लाल नग वाली एक अंगूठी निकाली और दावा किया की इसे पहनने से केवल दस दिनों के अंदर सभी कष्ट खत्म हो जाएंगे। ज्योतिषी ने पीके बने रिपोर्टर को पारिवारिक कलह खत्म करने, प्रेम संबंध सुधारने और कोर्ट केसेज निपटाने को 500 रुपए के अन्य रत्न और अंगूठी पहनने की भी सलाह दी।
पीके का सवाल
अगर अंगूठी, कंठी और शंख पर पांच सौ रुपए खर्च कर ही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं तो लोग कोर्ट कचहरी, अस्पताल, पढ़ाई लिखाई पर हजारों रुपए क्यों बर्बाद करते। यदि इनको दूसरों के सुखद भविष्य बनाने के तौर तरीकों की इतनी जानकारी है तो इनका खुद का भविष्य क्यों अंधकारमय है।
सीन 4
ये कैसे भगवान के 'प्रतिनिधि'
बरेली के पॉश एरिया सिविल लाइंस कॉलोनी से कैंटोनमेंट को गुजरते नेशनल हाइवे पर बना एक मंदिर। भगवान श्रीराम से लेकर सांई राम तक सभी यहां मौजूद और सभी के भक्तों की रोजाना लगने वाली लाइनें। कार से लेकर पैदल चलने वालों भक्तों के लिए भी मंदिर के दरवाजे खुले रहते हैं। लेकिन फटे-पुराने कपड़ों में लिपटे 'भिखारी' की पहचान वाले इंसानों लिए मंदिर के दरवाजे खुले रहकर भी बंद हैं। वजह इन्हें अपने भगवान को नजदीक से पूजने पर फटकारे जाने का डर। पीके बना आई नेक्स्ट रिपोर्टर पहुंचा तो देखा कि मंदिर के अंदर ही भगवानों की देखरेख करने वाले एक बाबा भी हैं। मंदिर में कब से हैं ठीक से मालूम नहीं। लेकिन उनका बिस्तर, कपड़े, खाने-पीने के बर्तन और दानपेटी सब एक साथ मंदिर के ही कोने में रखी है। यह मंदिर सिर्फ भगवान का ही घर नहीं, इन बाबा का भी परमानेंट स्वीट होम है। मंदिर का रखरखाव करते हैं इसलिए भगवान को सबसे नजदीक से छूने और उन्हीं के साथ रहने का विशेषाधिकार बाबा को मिला है। वे सिर पर हाथ फेर दें तो आर्शीवाद मान लिया जाता है।
पीके का सवाल
भगवान का घर तो हर इंसान के लिए खुला है तो ऊंच-नीच का भेद क्यों? क्यों कोई मंदिर में रहने का भी अधिकारी है और कई इंसानों को मंदिर के दरवाजे पर भी रुकने का अधिकार नहीं? कॉमन मैन चप्पल पहनकर सीढि़यां नहीं चढ़ सकता तो उसी कैंपस में किसी को पैर फैलाकर सोने की इजाजत कैसे?
सीन 5
भगवान के घर के आगे देर
बीसीबी गेट से श्यामगंज तक करीब 800 मीटर की सड़क पर हर मोड़ पर पूजा घर बने हैं। सुबह शाम भक्तों की भीड़ रहती है। इसकी बदौलत पटरी पर दुकान सजाने वालों की दुकानदारी चलती है। इसके चलते खासी चौड़ी सड़क आस्था के नाम पर बड़े ही अधिकार से कब्जा कर संकरी कर दी गई। एनक्रोचमेंट से सड़क संकरी हुई तो ट्रैफिक भी जाम होने लगा। जिस भगवान के घर के आगे से लोग सिर झुकाकर सलामती और अच्छे दिन की दुआ करते हैं, उसी भगवान के नाम पर बने पूजाघरों से लगने वाला जाम लोगों का दिन और मूड खराब कर देता है। अब तो ये शहर के विकास में भी रोड़ा बनने लगे हैं। आस्था के नाम पर पब्लिक का विरोध करने की जहमत सरकारी अफसर भी नहीं उठाते।
पीके का सवाल
भगवान कब चाहेंगे कि उनकी वजह से किसी को परेशानी हो। पूजा और आस्था के नाम पर सड़कों के किनारे अतिक्रमण कितना वाजिब है? भगवान तो कण-कण में विराजमान हैं, ऐसे में इस स्थान पर अड़ंगा क्यों।
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