बरेली(ब्यूरो)। विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान-2022 के अंतर्गत चूहा व छछूंदर की रोकथाम के लिए मंडल में अभियान चलाया जा रहा है। इसमें संचारी रोगों, प्रधानमंत्री सम्मान निधि योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, पराली प्रबंधन के साथ अन्य विभागीय योजनाओं की जानकारी दी जा रही है। इस अभियान का आयोजन मंडल के जनपदों की सभी ग्राम पंचायतों में किया जा रहा है, जिसका आयोजन 31 अक्टूबर तक किया जाएगा।
किया गया अवेयर
इसी क्रम में ग्राम बुझिया जनूवी, विकास खण्ड भोजीपुरा में थर्सडे को कृषक गोष्ठी/ जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें प्रभारी कृषि रक्षा इकाई भोजीपुरा नरेश कुमार गंगवार एवं लगभग 50 किसानों ने प्रतिभाग किया। मंडलीय संयुक्त कृषि निदेशक डॉ। राजेश कुमार द्वारा उपस्थित कृषकों को विशेष संचारी रोग, प्रधानमंत्री सम्मान निधि योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, पराली प्रबंधन के साथ अन्य विभागीय योजनाओं की जानकारी दी गईं। मंडलीय उप कृषि निदेशक (कृषि रक्षा) विश्वनाथ ने संचारी रोगों के संबंध में विस्तृत जानकारी दीं।
घातक हो सकती है बीमारी
मंडलीय उप कृषि निदेशक (कृषि रक्षा) ने बताया कि संचारी रोगों के प्रसार के लिये अन्य कारकों के साथ-साथ चूहा एवं छछूंदर का प्रभावी नियंत्रण भी आवश्यक है क्योंकि चूहा एवं छछुदर के फर पर परजीवी पाए जाते है, जिनसे स्क्रब टायफस एवं लेप्टारेस्पायरोसिस नामक रोग होते हैं। ये रोग बैक्टीरिया से होते है। स्क्रब टायफस बीमारी की समय से पहचान न होने पर इस बीमारी से 10 से 20 प्रतिशत एवं लेप्टारेस्पायरोसिस रोग से प्रतिवर्ष 10 से 15 प्रतिशत मनुष्यों की मृत्यु हो जाती है। जिसके नियंत्रण के लिए छह दिवसीय कार्ययोजना के बारे में बताया गया।
कैसे करें बचाव
चूहा व छछूदर नियंत्रण के प्रयोग में आने वाली दवाओं यथा: ब्रोमोडियोलॉन 0.005 प्रतिशत के बने चारे की 10 ग्राम मात्रा प्रत्येक जिंदा बिल में रखने से उसे खाकर चूहे मर जाते है। एल्यूमीनियम फॉसफाइड की तीन-चार ग्राम मात्रा जिंदा बिल में डालकर बंद कर देने से चूहे मर जाते है, जिंक फॉसफाइड 80 प्रतिशत की एक ग्राम मात्रा को एक ग्राम सरसों के तेल एवं 48 ग्राम भुने दाने से बनाए गए चारे को बिल में रखने से उसे खाकर भी चूहे मर जाते है। साथ ही चूहा नियंत्रण के लिए प्रयुक्त होने वाले रसायनों के प्रयोग में सावधानी बरतने तथा बच्चों व जानवरों की पहुंच से दूर रखने की जानकारी दी गई।