बरेली(ब्यूरो)। मानव तस्करी रोकने के लिए एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट जहां जिले से लापता हुए बच्चों की तलाश में दूसरे जिले के साथ ही राज्यों में धूल फांकती हैं। वहीं कुछ ऐसे मामले भी सामने आते हैं कि बच्चा स्वयं ही घर पहुंच जाता है और परिजन इसकी जानकारी देना भी मुनासिब नहीं समझते। ऐसे में यूनिट के अधिकारी बच्चे की खोज में ही जुटे रहते हैं।


ट्रेन में मिला था बच्चा
ऐसा ही एक मामला बरेली के एएचटीयू में वर्ष 2021 में आया था। जब हरदोई जिले के अंतर्गत थाना व गांव टढिय़ावा निवासी एक 12 वर्षीय बालक जीआरपी को ट्रेन में अकेला मिला। जीआरपी ने उसे आर्य समाज अनाथालय में भेज दिया। बालक इतना शातिर था कि रात में ही अनाथालय से भागकर घर पहुंच गया और अनाथालय के प्रबंधक ने कोतवाली में उसकी गुमशुदगी दर्ज करा दी। मामला एएचटीयू के पास विवेचना के लिए पहुंचा तो टीम ने तीन वर्ष तक उसके पते के आधार पर गांव जाकर धूल फांकी तब जाकर पता चला कि वह बच्चा तो दो दिन के बाद ही अपने घर पहुंच गया था।

यह था मामला
हरदोई जिले के गांव टढिय़ावा निवासी रमेश गुप्ता का 12 वर्षीय पुत्र हिमांशु गुप्ता ट्रेन में बैठकर बरेली पहुंच गया। जीआरपी ने उसे अकेला देख पकड़ कर आर्य समाज अनाथालय के प्रबंधक दीपक उराव को सौंप दिया था। वह इतना शातिर था कि अनाथालय में उसने अपने गांव और मां का नाम तो सही बताया, लेकिन अपना नाम हिमांशु गुप्ता के स्थान पर प्रियांशु पाल बताया। साथ ही अपने पिता का नाम भी रमेश गुप्ता की जगह राकेश पाल बताया।

हो गया था फरार
जिस दिन जीआरपी ने हिमांशु गुप्ता को अनाथालय में भेजा था, उसी रात वह वहां से फरार हो गया। इस पर अनाथालय के प्रबंधक दीपक उराव ने थाने में उसकी गुमशुदगी दर्ज करा दी थी। इसके बाद बच्चे की बरामदगी को लेकर विवेचना एएचटीयू को सौंप दी गई। एएचटीयू की टीम अनाथालय में लिखे बच्चे के पते पर जानकारी करने गांव पहुंची तो वहां उस नाम का न तो कोई बच्चा मिला, न ही उसके पिता के नाम का व्यक्ति। टीम विवेचना करती रही। दो बार गांव पहुंची और बेरंग वापस लौट आई।

एक बच्चे ने दी जानकारी
वर्ष 2021 में एक बार फिर टीम में शामिल विवेचना अधिकारी इंस्पेक्टर सुरेंद्र सिंह यादव, हेड कांस्टेबल हरिओम तोमर व योगेश्वर प्रसाद शर्मा गांव पहुंचे तो बच्चे के द्वारा अनाथालय में उसकी मां के नाम के आधार पर ग्राम प्रधान से गांव की वोटर लिस्ट मंगाई और उसकी मां ज्ञानवती का नाम देखा तो मिल गया, लेकिन पिता का नाम गलत निकला। इस पर टीम निराश होकर वापस लौटने लगी। वापस लौटते समय विवेचना प्रभारी इंस्पेक्टर सुरेंद्र सिंह यादव ने वहां खेल रहे एक बालक से पूछा तो उसने बताया कि इन नामों के दो भाई हैं तो पर गुप्ता हैं। टीम को बच्चा उनके घर ले गया।

सख्ती से पूछने पर बताया
पुलिस टीम ने परिजनों से बच्चे के बारे में जानकारी की तो उन्होंने बच्चे के गायब होने से इंकार कर दिया। जब पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो परिजनों ने बताया कि वह एक बार खेलते हुए कहीं चला गया था, लेकिन दो दिन बाद ही लौट आया था।

नहीं बताई थी आपबीती
परिजनों की बात सुनकर पुलिस को ज्ञात हुआ कि शातिर किस्म के बच्चे ने अनाथालय में ही अपना और पिता का नाम गलत नहीं बताया, बल्कि परिजनों को भी बरेली में उसके साथ घटी घटना के बारे में नहीं बताया था। एएचटीयू टीम सात सितंबर 2021 को बच्चे को अपने साथ बरेली ले आई और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के समक्ष उसके बयान दर्ज कराकर आठ सितंबर 2021 को उसके परिजनों को सौंप दिया था।

फैक्ट एंड फिगर
2018 में दर्ज हुई थी गुमशुदगी
03 वर्ष तक एएचटीयू ने की विवेचना
07 सितंबर 2021 को बच्चे को बरेली लाई टीम
08 सितंबर को किया परिजनों के सुपुर्द
23 सितंबर 2021 को केस किया बंद

वर्जन
बरेली अनाथालय से लापता बच्चा अपने घर पहुंच गया था। विवेचना के दौरान टीम गांव पहुंची तो बच्चा अपने घर पर मिल गया था। बच्चे को बरेली लाकर चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के समक्ष बयान दर्ज कराने के बाद आठ अक्टूबर 2021 को परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया था।
गोविंद सिंह, एएचटीयू प्रभारी