बरेली (ब्यूरो) i बेहतर इलाज और अत्याधुनिक सुविधाओं के लिए लोग प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों को एडमिट कराते हैं, लेकिन यहां किस प्रकार की मरीजों को इलाज दिया जा रहा है इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि प्रबंधन की लापरवाही से अस्पताल में ही दो मासूमों ने जान चली गई। परिजनों ने अस्पताल पर इलाज के दौरान लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में नाइट शिफ्ट का स्टाफ मोबाइल चलाने और सोने में लगा रहा, मासूमों के इलाज पर ध्यान नहीं दिया, जिससे दोनों की मौत हो गई, बच्चों की मौत के बाद डॉक्टर और दोषी स्टाफ भाग निकले तो मासूमों के शव लेकर आक्रोशित परिजन एसएसपी रोहित सिंह सजवाण से मिलने पहुंचे, डॉक्टर और अस्पताल प्रबंधन पर मुकदमा दर्ज किए जाने व कार्रवाई की मांग की है।
क्या है पूरा मामला
मामला प्रेमनगर थाना क्षेत्र स्थित अमित चाइल्ड केयर का है। एसएसपी कार्यालय में शिकायत करने पहुंचे इज्जतनगर निवासी अंकित सक्सेना व्यवसायी हैं। उनकी पत्नी श्वेता सक्सेना ने बताया कि उनकी चार महीने की बच्ची श्री को फ्राइडे को फीवर था, इस दौरान उसे हल्की सी बेहोशी छाने लगी तो वह तुरंत शाम करीब छह बजे बच्ची को लेकर डॉक्टर अमित अग्रवाल के अस्पताल पहुंची। डॉक्टर अस्पताल में नहीं थे तो इमरजेंसी में उन्हें बुलवाकर दिखाया, डॉक्टर ने बच्चे की हालत सीरियस बताते हुए एडमिट करने की बात कही तो उन्होंने उसे वेंटीलेटर पर भर्ती करा दिया, ऑक्सीजन और ड्रिप देने पर बच्ची एक घंटे बाद थोड़ा एक्टिव हो गई। रात में डॉक्टर ने बताया कि अब बच्ची की हालत ठीक है, इस पर वह घर चली गई, जबकि उनके पति अस्पताल में ही रुक गए, आरोप है कि नाइट शिफ्ट के स्टाफ ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया। सैटरडे सुबह करीब 4 बजे उनके पति ने देखा तो बच्ची का ऑक्सीजन पाइप हटा हुआ था और सारा सिस्टम बंद था, बच्ची तड़प रही थी, जबकि वार्ड ब्वाय सो रहा था। उन्होंने काफी देर तक उसे जगाने का प्रयास किया, लेकिन वह सोता रहा, बाद में रिसेप्शन से फोन कराया तब वह नींद से जागा, तब तक बच्ची की मौत हो गई। इतना होने के बावजूद डॉक्टर सुबह छह बजे पहुंचे।
मासूम की मौत की सूचना तक नहीं दी
वहीं फतेहगंज पश्चिमी के मूलपुर गांव निवासी अजय कुमार ने बताया कि उन्होंने 18 नवंबर को अपने नवजात बेटे को अमित चाइल्ड केयर अस्पताल में दिखाया। डॉक्टर अमित अग्रवाल ने सांस लेने में दिक्कत होने की बात कहते हुए 50 हजार रुपये जमा कराकर नवजात को भर्ती कर लिया था। उनका आरोप है कि अस्पताल में इलाज के दौरान लापरवाही से नवजात की मौत हो गई, लेकिन अस्पताल उसके जिंदा होने की बात कहता रहा, उसकी मौत की जानकारी उन्हें नहीं दी गई, जब उन्होंने सैटरडे को जोर देकर बच्चे को डिस्चार्ज करने की बात कही तो उन्हें बताया गया कि बच्चे की मौत हो गई है, उन्होंने एसएसपी को शिकायती पत्र देते हुए डॉक्टर व अस्पताल पर कार्रवाई की मांग की है।
बच्ची रो रही है एक बार देख तो लो
श्वेता ने बताया कि सैटरडे को सुबह तड़के जब वह दोबारा अस्पताल पहुंची तो बच्ची के रोने की आवाज आ रही थी। इस पर उन्होंने एनआईसीयू के बाहर बैठे स्टाफ से कहा कि बच्ची रो रही है एक बार देख लीजिए कोई तकलीफ तो नहीं है लेकिन स्टाफ ने उन्हे लताड़ दिया। अगर उस दौरान ही स्टाफ देख लेता तो शायद बच्ची की जान बच जाती।
एसीएमओ को सौंपी जांच
एसएसपी ने मामले की जांच कराने के लिए सीएमओ से बात की जिस पर सीएमओ ने एसीएमओ प्रशासन डॉ। हरपाल सिंह को मामले का जांच अधिकारी बनाया है। एसीएमओ डॉ। हरपाल सिंह ने बताया कि अस्पताल जाकर स्टाफ से पूछताछ की गई है वहीं बच्चों को क्या दिक्कत थी और क्या इलाज दिया जा रहा था इस संबंधी दस्तावेज भी लिए गए हैं। प्रशासन स्तर से अन्य जो दिशा-निर्देश होंगे इसके आधार पर जांच कर रिपोर्ट भेजी जाएगी।
जो भी आरोप है वह निराधार हैं स्टाफ के सोने की बात गलत है सीसीटीवी फुटेज में यह बात पुष्ट हो गई है। बच्ची को सेप्टीसीमिया यानि तेज फीवर की शिकायत थी, बच्चे की हालत बिगडऩे पर देर रात भी बच्ची को देखा था, फीवर की वजह से दौरा पडऩे से बच्ची मौत हुई है। दूसरे बच्चे जिसकी मौत हुई है वह पहले से वेंटिलेटर पर था, इलाज से बच्चे हालत में पहले से सुधार भी हो रहा था। परिजनों को बार-बार बताया भी जा रहा था। अचानक बच्चे की हालत बिगडऩे से मौत हो गई। स्टाफ से परिजनों ने अभद्रता भी की थी।
डॉ। अमित अग्रवाल, डायरेक्टर, अमित चाइल्ड केयर एंड जनरल अस्पताल
वर्जन
हेल्थ विभाग की ओर से मामले की जांच की जा रही है जांच में दोषी पाए जाने पर ही नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
रोहित सिंह सजवाण, एसएसपी