(बरेली ब्यूरो)। कुपोषित बच्चों को बरती जा रही लापरवाही का मामला दैनिक जारगण आईनेक्स्ट में उजागर होने के बाद गैरजिम्मेदारों की नींद टूट गई। इसका असर यह हुआ कि एक ही दिन में पांच कुपोषित बच्चे जिला अस्पताल की एनआरसी में पहुंच गए। इससे एनआरसी की बीओआर भी बढ़ गई और बच्चों का ट्रीटमेंट शुरू होने से उनके पेरेंट्स की टेंशन भी कम हो गई। इन कुपोषित बच्चों को आंगनबाड़ी वर्कर्स यहां लेकर पहुंची।
डीएम के सख्त रुख से बदली तस्वीर
कुपोषण को दूर करने के लिए हेल्थ डिपार्टमेंट और आईसीडीएस डिपार्टमेंट के अधीन कई कार्यक्रम चल रहे हैं। इन कार्यक्रमों से जुड़े कर्मचारियों की जिम्मेदारी है कि वह कुपोषित बच्चों को खोजें और उनको कुपोषण से मुक्त कराएं। इसके लिए जिला अस्पताल में 10 बेड का पोषण पुनर्वास केन्द्र अर्थात एनआरसी स्थापित है। फरवरी में पूरे जिले से यहां मात्र तीन बच्चे पहुंचे वह भी एक ही परिवार के। इससे एनआरसी की बेड ऑक्यूपेंसी रेट अर्थात बीओआर गिर रही थी। इसकी न्यूज दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने संडे के अंक में प्रमुखता से पब्लिश की थी और डीएम को भी इस मामले से अवगत कराया था। इस पर डीएम ने सख्त रुख अख्तियार किया तो मंडे को ही चार ब्लॉक की आंगनबाड़ी वर्कर्स पांच कुपोषित बच्चों को लेकर एनआरसी पहुंच गई। यहां उन्हें एडमिट कर उनको कुपोषण मुक्त करने की प्रक्रिया शुरू हो गई।
सभी बच्चों का वजन है कम
एनआरसी पहुंचे पांच कुपोषित बच्चे फरीदपुर, बिथरीचैनपुर, फतेहगंज पश्चिमी और शेरगढ़ ब्लॉक के हैं। इन सभी बच्चों का वजन अपनी उम्र के सापेक्ष एक किलो से अधिक कम है। एनआरसी में इन बच्चों की 15 दिन तक देखभाल होगी। इसके बाद उम्र के सापेक्ष वजन पूरा होने पर ही इन्हें डिस्चार्ज किया जाएगा।
वर्जन
एनआरसी में कुपोषित बच्चों की कमी का मामला अधिकारियों के संज्ञान में आने के बाद मंडे को ही पांच बच्चे यहां रेफर हुए हैं। अब इस सेंटर पर आठ बच्चों का ट्रीटमेंट चल रहा है। जल्दी ही बच्चे कुपोषण से मुक्त हो जाएंगे।
डॉ। रोजी जैदी, डायटीशियन