चार महीने से DSP ही नहीं

एलआईयू एसएसपी की देखरेख में काम करता है। यूनिट में चार महीने से डीएसपी यानी सीओ का पद खाली पड़ा है। प्रत्येक थाने की जिम्मेदारी एक एसआई के पास होनी चाहिए लेकिन वर्तमान में एक एसआई के पास चार-चार थानों की जिम्मेदारी है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि खुफिया रिपोर्ट कितनी पक्की होगी।

चाहिए          मौजूदा तैनाती

इंस्पेक्टर 2              1

एसआई 17             11

हेडकांस्टेबल 18        2

कांस्टेबल 19           9

पहले भी नहीं लगी थी भनक

इस वर्ष शहर में पहली बार दंगे की शुरुआत शाहबाद से हुई। ये सब डीजे बजाने को लेकर हुआ। दंगे की शुरुआत से पहले शाहबाद व कैंट में डीजे बजाने को लेकर विवाद हुआ था लेकिन इसके बावजूद भी पुलिस व प्रशासन ने सतर्कता नहीं बरती थी। इसके अलावा पुलिस को खुफिया तंत्र भी पूरी तरह से फेल हो गया। शाहबाद में हुए दंगे के बाद पूरे शहर में आग फैल गई थी। हालात पर काबू पाने के लिए कफ्र्यू लगाना पड़ा। कफ्र्यू के दौरान भी उपद्रवी शांत नहीं हुए और जोगी नवादा में एक बार फिर से दंगा हो गया।

दावों को निकली हवा

कफ्र्यू के बाद पुलिस व प्रशासन द्वारा शहर की शांति के लिए कई उपाय किए गए। कई दावे भी किए गए। जुलूस को शांतिपूर्ण निकालने के लिए  स्कीम भी तैयार की गई। स्कीम के तहत शहर को चार जोन, 9 सेक्टर व सब सेक्टर में बांटा गया। इनमें मजिस्टे्रट व पुलिस के अधिकारियों की डयूटी लगाई गई। इसके अलावा रूफ-रूट डयूटी का भी प्लान बनाया गया। भारी संख्या में पुलिस बल भी तैनात रहा।

एक ही इलाके में बार-बार दंगे

बारादरी थाना क्षेत्र में सबसे ज्यादा दंगे हुए थे । एक बार फिर बारादरी में ही दंगा हो गया। यहां के जगतपुर पनवडिय़ा में जुलूस के दौरान ही जमकर पथराव और फायरिंग हो गई। जिसमें पब्लिक के साथ-साथ पुलिसकर्मी भी घायल हो गए। एक महीने में दोबारा दंगे से लगता है कि लोकल इंटेलीजेंस यूनिट पूरी तरह से नाकामयाब साबित हो रही है। यूनिट सिर्फ खानापूर्ति कर डयूटी कर रही है। ऐसा लगा कि  जोनल व सेक्टर स्तर पर तैयारियां फील्ड में ना जाकर घर बैठे कर ली गईं। लोकल इंवेस्टीगेशन यूनिट भी इसका आंकलन नहीं कर पायी।

पहले क्यों नहीं चला सर्च अभियान

पुलिस व प्रशासन द्वारा लगातार जगह-जगह सर्च अभियान चलाकर खुराफातियों को पकड़ा जा रहा है लेकिन खुराफातियों पर लगाम नहीं कसी जा सकी। कफ्र्यू के दौरान भी लोग घरों से बाहर निकलकर सड़कों पर आकर प्लानिंग करते नजर आ रहे हैं। पुलिस या कोई अन्य गाड़ी इन एरिया से गुजरती है तो लोग आवाज सुनकर तुरंत घरों में घुस जाते हैं। दुबारा हुए दंगे के बाद जिस तरह सख्ती से पुलिस व प्रशासन द्वारा सर्च अभियान चलाया गया अगर सर्च अभियान पहले हुए दंगे के बाद होता तो शायद शहर के हालात फिर से नहीं होते। जितनी संख्या में पहले खुराफाती कई दिनों में पकड़ गए थे उससे ज्यादा खुराफाती पुलिस द्वारा पकड़ लिए गए।

नए डीएम एसएसपी के भी प्लान धड़ाम

नए डीएम व एसएसपी ने इन सबसे निपटने के लिए शहर के सेंसटिव एरिया, सोशल एलीमेंट, पोलिटिक्ल एलीमेंट को चिन्हित करने के दावे किए। इसके अलावा सेंसटिव प्लेसेस पर सीसीटीवी कैमरा तथा सेंसटिव एरिया के चौराहों पर सोलर मास्क लाइट लगाने की भी बात कही। दोनों द्वारा सांप्रदायिक सौहार्द बढ़ाने के लिए दोनों धर्मो के त्यौहार भी एक साथ मनाए। 11 अगस्त को निकलने वाले 11 जुलूसों के लिए प्रशासन द्वारा जोनल व सेक्टर स्तर पर सर्वे करने का प्लान बनाया गया। जिन रूट पर जुलूस निकलने थे उन एरिया के सेंसटिव प्वाइंट, जुलूस के आयोजकों के नाम व नंबर, इसके अलावा सोशल एलीमेंट पर नजर रखने की बात कही गई लेकिन नतीजा फिर रहा सिफर।

वर्तमान में प्रदेश भर में एलआईयू में 40 परसेंट स्थान रिक्त हैं, इस संबंध में डीजीपी को हाल ही में अवगत कराया गया है। जहां तक बरेली में एलआईयू के खाली पदों की बात है तो वहां एक सप्ताह में तैनाती कर दी जायेगी

ओपी सिंह, एडीजी इंटेलीजेंस

एलआईयू को जल्द से जल्द मजबूत बनाया जाएगा। जल्द ही डीएसपी की तैनाती की जाएगी। इसके अलावा अन्य खाली पदों को भी जल्द से जल्द भरा जाएगा।

एल वी एंटनी देव कुमार, डीआईजी बरेली रेंज

कहां हैं शांति कमेटी के मेंबर्स?

22 जुलाई से बरेली की तनावपूर्ण स्थिति को ठीक कर और आगे कफ्र्यू की नौबत न पड़े, इसके लिए एडमिनिस्ट्रेटिव लेवल पर कई कवायदें शुरू की गई। कई जगहों पर मानव श्रंृखला का निर्माण कर आपसी भाईचारे का संदेश दिया गया तो रक्षाबंधन भी मनाया गया। इन्हीं कवायदों में से एक कवायद थी शांति समिति की बैठक। जहां अमन-चैन कायम करने का पैगाम दिया गया था लेकिन ये तैयारियां धरी की धरी रह गईं। सैटरडे नाइट से लागू कफ्र्यू के तीन दिनों के बाद भी शांति समिति के मेंबर्स के नदारद रहने से कफ्र्यू ग्रस्त इलाके के लोगों में काफी नाराजगी है।

नए अधिकारियों ने संभाला मोर्चा

बीती 8 अगस्त को कमिश्नर के राम मोहन राव ने पुलिस लाइन में पीस कमेटी की मीटिंग में ऑफिसर्स ने कई दावे किए थे, जो दो दिन बाद ही हवा-हवाई साबित हुई। शासन ने डीएम मनीष चौहान और एसएसपी डॉ। संजीव गुप्ता को बरेली से हटा दिया। डिस्ट्रिक्ट की कमान डीएम अभिषेक प्रकाश और एसएसपी सत्येंद्र वीर सिंह को दी गई, लेकिन सफर के शुरुआती दौर में ही उनको कफ्र्यू का दंश झेलना पड़ा। उपद्रवियों की नकेल कसने से एडमिनिस्ट्रेशन से कहीं न कहीं चूक हुई, जिसके चलते एक बार फिर शहर के हालात तनावपूर्ण हो गए।

बेस तैयार करना होगा

सैटरडे को कफ्र्यू लगने के तीन दिन बीत जाने के बाद भी शांति समिति के मेंबर्स कफ्र्यू ग्रस्त इलाकों में झांकने तक नहीं आए हैं। इससे कफ्र्यू ग्रस्त इलाकों के लोगों में काफी गुस्सा है। ज्यादातर लोगों का कहना था कि एसी लगे कमरों में मीटिंग कर शहर में अमन और चैन को प्रभावी ढंग से कायम नहीं किया जा सकता। इसके लिए ऑफिसर्स को सड़क पर उतरकर उसके बेस का निर्माण करना होगा. 

शांति समिति की मीटिंग में 8 अगस्त के दावे

शहर वासियों का दायित्व है कि समाज में आपसी दरार न पडऩे दें। शांति समिति में बैठे लोगों में इतनी ताकत है कि वह समाज में शांति स्थापित कर सकते हैं।

-के राम मोहन राव, कमिश्नर बरेली मंडल

इंसानियत सभी धर्मों से बड़ी है। आपसी सौहार्द से ही शहर पर लगे दाग को मिटाया जा सकता है।

  -अभिषेक प्रकाश, डीएम बरेली

हमें राष्ट्रीय एकता का संकल्प लेना होगा, सर्वधर्म समभाव का दृष्टिकोण अपनाना होगा। इससे शहर पर लगा दाग धुल सकेगा।

-एलवी एंटोनी देवकुमार, डीआईजी बरेली जोन

माहौल खराब करने वालों के साथ पुलिस कोई रियायत नहीं बरतेगी। कुछ पुलिस मित्रों के कैरेक्टर ठीक नहीं हैं। सभी पुलिस मित्रों के कार्ड निरस्त करके भविष्य में अच्छे कैरेक्टर वाले पुलिस मित्र दोबारा बनाए जाएंगे।

-सत्येंद्र वीर सिंह, एसएसपी बरेली

Report by: Anil Kumar