बरेली(ब्यूरो)। बेटियां प्यार करें, इसमें कोई बुराई नहीं, पर दो बेटियों का पिता होने के नाते बेटी का ऐसा प्यार मुझे भी स्वीकार नहीं होगा जिसमें वह 32 टुकड़ों में मिले। श्री राधा रानी सेवा ट्रस्ट की ओर से आयोजित अपने-अपने राम कार्यक्रम में राम कथा पर अपने उद्बोधन के दौरान यह बातें कवि डॉ। कुमार विश्वास ने कहीं। उन्होंने युवाओं को श्री राम कथा के माध्यम से भारतीय संस्कृति की विशेषता के बारें में समझाया। उन्होंने बताया कि परिवार एक इकाई है। इसमें कोई विकार आया तो उसका कैंसर बनना तय है। राम और रावण के संदर्भ में उन्होंने बताया कि राम को स्वयं पर भरोसा था तो रावण को अहम पर। राम को जो मिला उन्होंने उसे पर्याप्त माना, पर रावण के पास सब कुछ होते हुए उसने उसे पर्याप्त नहीं समझा। उन्होंने कहा सौंदर्य मनुष्य के आकार या आकृति से नहीं उसके मन और मस्तिष्क में होती है। सोमवार को शाहजहांपुर रोड स्थित इंटरनेशनल सिटी में आयोजित अपने-अपने राम कार्यक्रम के दूसरे दिन भी डॉ। कुमार विश्वास ने राम कथा के भावपूर्ण प्रसंगों पर अपने उद्बोधन से लोगों को घंटों तक बांधे रखा। उन्होंने परिवार को एक सूत्र में बांधे रखने और राम की मर्यादा और आचरण को अपने जीवन में शामिल करने की सीख दी। उनके उद्बोधन के दौरान कथा पंडाल श्री राम के जयकारों से गूंजता रहा।
रामचरित मानस के अध्ययन से घर में बना रहेगा प्रेम
राम कथा पर अपने उद्बोधन के दौरान डॉ। कुमार विश्वास ने लोगों को रामचरित मानस का मर्म भी समझाया। उन्होंने कहा जिस घर में रामचरित मानस होगी और उसका अध्ययन होगा, उस घर में प्रेम और शांति रहेगी। भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों से दूर होने वाले परिवारों में हमेशा महाभारत होगी। रामचरित मानस जीवन को जीने की कला सिखाता है।
भरत और राम का प्रेम अद्भुत, अलौकिक
डॉ। कुमार विश्वास ने भरत और राम के बीच प्रेम को अद्भुत व अलौकिक बताया। उन्होंने कहा भाईयों के बीच प्रेम का ऐसा मार्मिक वर्णन राम कथा में ही मिल सकता है। राम वनवास प्रसंग की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जब भरत को यह पता चला कि उनके भाई राम माता सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ वनवासी हो गए हैं तो वह बहुत व्याकुल हो उठे। उन्होंने राम से मिलने के लिए वन जाने की ठान ली। यह बात प्रभु राम भी समझ गए कि भरत उनसे मिलने वन जरूर आएंगे। इस पर वन में राम ने वन देवी से आग्रह किया कि वह उस रास्ते के कांटे हटा दें, जहां से वह आए थे। इस पर वन देवी ने कौतुहल वस राम से पूछा कि अयोध्या का राजकुमार और राम का भाई इतना कमजोर है कि कांटे चुभने से उसे कष्ट होगा। इस पर श्रीराम उत्तर देते हैं कि नहीं मेरे भरत को जरा भी कष्ट नही होगा। इन मामूली कांटों के चुुभने से, बल्कि मेरा छोटा भाई जब यह देखेगा कि भईया और माता सीता इन कांटे भरे मार्ग से निकले होंगे तो उन्हें यह चुभे होंगे तो कितना कष्ट हुआ होगा। यह सोच कर भरत बहुत व्यथित हो जाएगा।