करीब 130 hostel
हर साल हजारों स्टूडेंट्स आते हैं। स्टडी सेंटर्स को मिलाकर सिटी में नर्सिंग कॉलेज की तादाद भी बढ़ रही है। इंस्टीट्यूट्स के स्टूडेंट्स और अकेले रहने वाले नौकरीपेशा लोग हॉस्टल्स के टारॅगेट पर रहते हैं। सोर्सेज के मुताबिक, सिटी में करीब 130 हॉस्टल चल रहे हैं।
जरूरी है रजिस्ट्रेशन
प्राइवेट हॉस्टल चलाने के लिए निगम से रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है। कर अधीक्षक कमलेश चौबे ने बताया कि रजिस्ट्रेशन के लिए मात्र सौ रुपए चार्ज किए जाते हैं। हालांकि, लंबे समय से निगम से हॉस्टल्स का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है। रजिस्ट्रेशन हॉस्टल की बेड संख्या के आधार पर किया जाता है।
'खेल' से बा 'खबर' है सरकार
एक साल पहले रामपुर गार्डन स्थित संजीवनी हॉस्टल में रहने वाली लड़की शीला (काल्पनिक नाम) की तबियत खराब होने पर उसने रसोई गैस में पानी गरम करना चाहा। गैस सिलेंडर खाली था। इसलिए उसने पास रखा दूसरा सिलेंडर लगा लिया। इतनी सी बात पर हॉस्टल की ओनर ने स्टूडेंट को चांटा जड़ दिया।
सुभाषनगर के गुर्जर हॉस्टल में रहने वाले शलभ (काल्पनिक नाम) ने मेस के खाने पर सवाल उठाया था। खाने में अक्सर कंकड़ मिल रहे थे और सब्जी बासी होने की शिकायत थी। इस पर हॉस्टल के ओनर ने शलभ को आधी रात को हॉस्टल से बाहर कर दिया। बाद में बाकी स्टू्रडेंट्स के विरोध करने पर शलभ को वापस हॉस्टल में लिया गया।
Case-1
एक साल पहले रामपुर गार्डन स्थित संजीवनी हॉस्टल में रहने वाली लड़की शीला (काल्पनिक नाम) की तबियत खराब होने पर उसने रसोई गैस में पानी गरम करना चाहा। गैस सिलेंडर खाली था। इसलिए उसने पास रखा दूसरा सिलेंडर लगा लिया। इतनी सी बात पर हॉस्टल की ओनर ने स्टूडेंट को चांटा जड़ दिया।
Case-2
सुभाषनगर के गुर्जर हॉस्टल में रहने वाले शलभ (काल्पनिक नाम) ने मेस के खाने पर सवाल उठाया था। खाने में अक्सर कंकड़ मिल रहे थे और सब्जी बासी होने की शिकायत थी। इस पर हॉस्टल के ओनर ने शलभ को आधी रात को हॉस्टल से बाहर कर दिया। बाद में बाकी स्टू्रडेंट्स के विरोध करने पर शलभ को वापस हॉस्टल में लिया गया।
ये दो केसेज स्पष्टï करते हैं कि बरेली में चल रहे हॉस्टल किस कदर अपने यहां रह रहे स्टूडेंट्स पर मनमानी कर रहे हैं। एडमिनिस्ट्रेशन इन हॉस्टल्स पर लगाम नहीं लगा पा रहा है। नगर निगम के पास शहर में चल रहे हॉस्टल्स की एग्जैक्ट फीगर तक नहीं है और न ही अधिकारियों को ये पता है कि इनके रजिस्ट्रेशन के क्या रूल्स एंड रेगुलेशन है।
2 मंथ बाद start होता है खेल
नाम न छापने की कंडीशन पर एक स्टूडेंट ने बताया कि जब जुलाई, अगस्त के मंथ में नए स्टूडेंट आते हैं। मेस का खाना से लगाकर हर फैसिलिटी की क्वालिटी बढ़ा दी जाती है। फिर जैसे-जैसे सितंबर बीतता है। मेस का खाना बेस्वाद होने लगता है। नवंबर आते-आते गरम पानी से लगाकर हर एकस्ट्रा चीज पर पैसा स्टूडेंट्स से वसूला जाने लगता है। ये वो टाइम होता है, जब मिड सेशन में स्टूडेंट बुरी तरह से फंस चुका होता है।
जेब गरम तो तोड़ो नियम
शहर में धड़ल्ले से चल रहे प्राइवेट हॉस्टल्स की भनक अधिकारियों को भले ही न हो, मगर कर्मचारियों के लिए ये प्राइवेट हॉस्टल्स सोने के अंडे देने वाली मुर्गी है। निगम के ही एक कर्मचारी ने नाम न छापने की कंडीशन पर बताया कि टैक्स डिपार्टमेंट के दो रसूखदार कर्मचारियों का हॉस्टल्स से महीना बंधा है।
परिजन आए तो और पैसे
हॉस्टल में स्टूडेंट्स के परिजनों के आने पर वसूली का नया पहलू सामने आता है। अगर खुदा न खास्ता स्टूडेंट के परिजन उससे मिलने आ जाए और हॉस्टल में ठहरना हो तो उसका एकस्ट्रा एरेंजमेंट हॉस्टल में नहीं रहता है। ज्यादातर हॉस्टल्स में स्टूडेंट के रूम में ही परिजन को एडजेस्ट किया जाता है। इसके लिए एकस्ट्रा चार्ज किया जाता है। चार्ज 200 रुपए से स्टार्ट होकर 500 रुपए तक है।
Signal bed के लिए भी 3,000
हॉस्टल कल्चर बरेली कॉलेज के आसपास भी जोरों पर चल रहा है। कॉलेज में एडमिशन के लिए बाहर के स्टूडेंट्स आसरे के लिए रामपुर गार्डन और बियाबान कोठी पहुंचते हैं। रामपुर गार्डन में लगभग 14 प्राइवेट हॉस्टल चल रहे हैं। एरिया में स्टूडेंट्स को सिर्फ एक बिस्तर के लिए 2,000 से 3,000 रुपए तक भुगतान करना पड़ता है। वहीं अगर खाने का पैसा जोड़ दिया जाए तो आंकड़ा 4,000 से 5,000 रुपए तक पहुंच जाता है।
Security तक नहीं
हॉस्टल्स को अगर सिक्योरिटी प्वाइंट ऑफ व्यू पर परखे तो स्टूडेंट्स अनसिक्योर हैं। ज्यादातर हॉस्टल्स में सिक्योरिटी गार्ड की व्यवस्था है ही नहीं। अगर कुछ हॉस्टल्स में सिक्योरिटी गार्ड की व्यवस्था है भी तो दिन या फिर सिर्फ रात के लिए है।
बरामदे में student का bed
प्राइवेट हॉस्टल्स की सबसे बड़ी मंडी पीलीभीत हाईवे पर चल रही है। रुहेलखण्ड मेडिकल कॉलेज और रुहेलखण्ड यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए बाहर से आने वाले स्टूडेंट्स के लिए ये हॉस्टल्स ही एक मात्र सहारा हंै। सोर्सेज के मुताबिक हाइवे की ब्रांच रोड्स पर 50 से ज्यादा प्राइवेट हॉस्टल्स चल रहे हैं। यहां के हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। मुनाफे के खेल में हॉस्टल ओनर्स ने बरामदे और सीढिय़ों के नीचे तक में स्टूडेंट्स के बिस्तर लगा दिए हैं। खास बात ये है कि बरामदा हो या सीढ़ी का किनारा किराए में कोई छूट नहीं दी जाती है।
हर level पर गोलमाल
कॉमर्शिलय होने के कारण हॉस्टल्स का इलेक्ट्रिसिटी कनेक्शन और गैस कनेक्शन भी कॉमर्शियल होना चाहिए। कॉमर्शियल बिल्डिंग होने के बाद भी हॉस्टल वाटर टैक्स, हाउस टैक्स और सीवर टैक्स नार्मल रेट पर भुगतान कर रहे हैं। सोर्सेज के मुताबिक 130 हॉस्टल्स में से सिर्फ 2-3 कॉमर्शियल रेट पर इलेक्ट्रिसिटी भुगतान कर रहे हंै। जिन हॉस्टल्स में मेस की फैसिलिटी उपलब्ध है, वहां घरेलू गैस कनेक्शन ही चल रहे हैं। हॉस्टल में कॉमर्शियल गैस कनेक्शन लेने का नियम है। वहीं सभी हॉस्टल्स को मेस के लिए डीएम ऑफिस से एमएफए एक्ट के तहत परमिशन लेनी होती है। किसी भी हॉस्टल ने परमिशन नहीं ली है।
Rate list (औसत के आधार पर)
विद फूड विद आउट फूड
सिंगल बेड 4,000-5,000 क्व 2,000-3,000 क्व
डबल सीटर 3,800-4,400 क्व 1,500-2,500 क्व
ट्रिपल सीटर 3,200-4,000 क्व 1,200-2,000 क्व
मिड सीजन में extra charges
रामपुर गार्डन के एक हॉस्टल की छात्रा ने बताया कि जब उसने हॉस्टल ज्वॉइन किया तो सिर्फ रजिस्ट्रेशन चार्जेज और हॉस्टल फीस के बारे में बताया गया मगर लैपटॉप लाई तो एकस्ट्रा 150 रुपए हर महीने चार्ज किए जाने लगे। सर्दी में गरम पानी के लिए भी 200 रुपए अलग।
-प्राइवेट लॉज की तर्ज पर प्राइवेट हॉस्टल का भी नगर निगम की नियमावली के तहत 1 साल का रजिस्ट्रेशन किया जाता है। रजिस्ट्रेशन बेड संख्या के आधार पर किया जाता है। हर साल रिन्यूवल किया जाता है।
-मेस चल रहा है तो प्रीवेंशन ऑफ फूड एडल्टरेशन एक्ट 1954 के तहत डीएम ऑफिस से लाइसेंस की व्यवस्था है।
-रजिस्ट्रेशन के बाद एसेसमेंट कॉमर्शियल इंस्टीट्यूशन में होना चाहिए।
-इलेक्ट्रिसिटी और गैस कनेक्शन कॉमर्शियल होना चाहिए।
-बिल्डिंग कॉमर्शियल डिक्लेयर होने के कारण वाटर, सीवरेज और हाउस टैक्स कॉमर्शिलय रेट पर होना चाहिए।
-गल्र्स या ब्वॉयज हॉस्टल में सिक्योरिटी के प्रॉपर अरेंजमेंट होने चाहिए।
हॉस्टल्स की मेस में खाने की क्वालिटी जांचने के लिए हमने अभी तक छापेमारी नहीं की है। हमारे पास इतनी मैन पावर ही नहीं है। पूरे डिस्ट्रिक्ट के लिए सिर्फ 3 इंस्पेक्टर हैं। फ्यूचर में हम हॉस्टल्स को चिन्हित करके सैंपल लेंगे।
-सुनील कुमार,चीफ फूड इंस्पेक्टर
मेरी यहां हाल ही में पोस्टिंग हुई है। मामला मेरे संज्ञान में है। सभी अधिकारियों से मंत्रणा के बाद ऐसे हॉस्टल्स पर कार्रवाई की जाएगी।
-मातादीन, नगर स्वास्थ्य अधिकारी
घरेलू कनेक्शन लेकर अगर कोई व्यक्ति व्यवसायिक कनेक्शन यूज कर रहा है तो उसपर संविदा चेंज का केस चलता है। किसी भी व्यक्ति को इस बात की जानकारी मिलती है तो वह संबंधित हाइडिल के अधिशासी अभियंता को लिखित सूचना दे। ताकि विभाग द्वारा ऐसे लोगों पर कार्रवाई की जा सके।
-एल बी सिंह, एग्जिक्यूटिव इंजीनियर, फस्र्ट डिविजन, इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट
हॉस्टल का रजिस्ट्रेशन करवाने की कोशिश की गई थी। आज से 4 साल पहले मेरे हसबैंड ने कोशिश की थी, मगर वहां के कर्मचारी मनमानी करते हैं। हमे रजिस्ट्रेशन करवाने में कोई प्रॉब्लम नहीं है, पर ऐसी कोई पैरवी निगम की तरफ से हो तो सही। -रश्मि, ओनर रश्मि हॉस्टल
मुझे तो पता ही नहीं है कि ऐसा कोई रजिस्ट्रेशन होता है। न ही नगर निगम की तरफ से कोई पहल की गई है। हां ये सही है कि हम कॉमर्शियल रेट पर टैक्स और बिल नहीं भरते हैं।
-डॉ जितेंद्र अग्रवाल, विद्या हॉस्टल
सभी हॉस्टल्स पर हम शिकंजा कसेंगे। कॉमर्शियल होने के बावजूद अगर वह नॉर्मल रेट पर टैक्स अदा करते हैं तो ये गंभीर मामला है। हम सर्वे करवाकर पहले हॉस्टल चिन्हित करेंगे। जिनका रजिस्ट्रेशन नहीं है उन पर कार्रवाई होगी।
-उमेश प्रताप सिंह, नगर आयुक्त
सभी हॉस्टलों की सूची मंगाई जाएगी। इसके अलावा सभी हॉस्टल ओनर्स को उनके यहां रहने वाले स्टूडेंट्स व अन्य की आईडी समेत पूरा रिकॉर्ड मेंटेन करना होगा। इसके लिए जल्द ही एक सर्कुलर जारी किया जाएगा।
-एल वी एंटनी देव कुमार, डीआईजी, बरेली