BAREILLY: बिथरी चैनपुर में बनी पीएचसी में भी पेशेंट्स को मेडिकल सुविधाओं की राहत नसीब नहीं। समय पर ओपीडी में न पहुंचने का दस्तूर यहां की पीएचसी के डॉक्टर्स में भी दिखा। सुबह 8.क्0 बजे आईनेक्स्ट की टीम यहां पहुंची तो सिवाय एक वार्ड ब्वॉय और एक स्टाफ नर्स के ड्यूटी पर कोई मुस्तैद नहीं था। इस पीएचसी में फ् डॉक्टर्स, ख् स्टाफ नर्स व ख् एलटी समेत काउंसलर और अन्य स्टाफ की तैनाती है। सुबह 8 बजे से ही पेशेंट्स इलाज के लिए जुटने लगे और डॉक्टर्स के आने का इंतजार करते रहे। आईनेक्स्ट टीम के पहुंचते ही यहां स्टाफ में हलचल मच गई। करीब 8.फ्0 बजे पीएचसी प्रभारी डॉ। आरएन सिंह आए और उनके साथ ही स्टाफ भी आने लगे।
गायनी नहीं, बिजली पानी चुनौती
बिथरी चैनपुर पीएचसी में सबसे बड़ी कमी गायनोकोलॉजिस्ट का न होना है। स्टाफ ने बताया कि करीब छह माह पहले डॉ। अमृता गंगवार के जाने के बाद से गायनोकोलॉजिस्ट की पोस्ट खाली है। उनके जाने के बाद से डिलीवरी केसेज की जिम्मेदारी स्टाफ नर्स पर है। स्टाफ ने बताया कि कई बार डिलीवरी में क्राइसिस आने पर डॉक्टर की सलाह की जरूरत होती है। मगर, उनके न होने पर परेशानी होती है। वहीं पीएचसी में जेनरेटर व वॉटर मशीन खराब होने से भी पेशेंट्स व मेडिकल स्टाफ को बेहद परेशानी होती है। पावर कट में जेनरेटर के काम न करने से वैक्सीन को प्रिजर्व रखने में दिक्कत होती है।
जेनरेटर खराब हो जाता है। बार बार उसे सही करवाया जाता है। गायनी की पोस्ट खाली होने से थोड़ी परेशानी है। डॉक्टर्स समय पर आ जाते हैं। यहां रूम की अवेलेबिलिटी नहीं है। बाकी व्यवस्था ठीक है।
- डॉ। आरएन सिंह, प्रभारी, बिथरी चैनपुर, पीएचसी
सीएचसी में बिजली नहीं मिलती। यहां पंखे सिर्फ डॉक्टर्स के कमरों में चलते हैं। जेनरेटर कभी-कभी चलवाया जाता है। पेशेंट्स को बहुत दिक्कत होती है। डिलीवरी में मिठाई के नाम पर चढ़ावा भी देना पड़ता है।
- हरिओम, तीमारदार
यहां सिर्फ सस्ती दवा मिलती है। महंगी दवा बाहर से ही लेनी पड़ती है। पर्चे पर अक्सर बाहर की दवा लिख दी जाती है। ऐसे में पेशेंट कहां जाएं।
- शिवम सिंह, तीमारदार
डॉक्टर ने ही कहा दवा बाहर से ले लेना। दवा केन्द्र पर दवा नहीं मिलेगी। इसलिए बाहर से दवा लेते हैं। दवा लेने की मजबूरी है। यहां तो कई दिन हो जाते हैं दवा न मिले।
- जितेन्द्र, तीमारदार
पानी और टॉयलेट की काफी दिक्कत है। पर्चे पर भी बाहर की दवा लिख दी जाती है। बाहर से कई बार दवा लेनी पड़ती है।
- प्रीती, तीमारदार
पेशेंट्स के लिए जेनरेटर चलाए जाते हैं। कई बार इसे चलवाने में देर हो जाती है। डॉक्टर्स समय पर आ जाते हैं। सफाई के लिए दो ही स्वीपर हैं, जिनमें से एक जल्द ही रिटायर होने वाला है। इसलिए सफाई की समस्या है। पर्चे पर बाहर की दवा पेशेंट्स की डिमांड पर लिखी जाती है। स्टाफ की ओर से पैसे लिए जाने की कंप्लेन मिलती हैं। उन पर तुरंत संज्ञान लिया जाता है।
- डॉ। एए अंसारी, सुपरिटेंडेंट, सीएचसी
पर्चे पर बाहर की दवा नहीं लिखी जा सकती। अगर स्टॉक में दवा नहीं है तो भी पेशेंट्स दबाव में बाहरी दवा नहीं लिखी जा सकती। यह क्राइम है। सीएचसी-पीएचसी में डॉक्टर्स की लेटलतीफी और पेशेंट्स को सुविधाएं न मिलने पर संज्ञान लिया जाएगा।
- डॉ। विजय यादव, सीएमओ