बिथरी चैनपुर और फरीदपुर में हेल्थ फैसिलिटीज का बुरा हाल
डॉक्टर नदारद, पर्चे पर बाहरी दवाएं लिखी जा रही मरीजों को
बिजली के बिना इनडोर पेशेंट्स का बुरा हाल, गंदगी का डेरा
पेशेंट्स का आरोप बिना घूस की मिठाई लिए नहीं होती डिलीवरी
BAREILLY: समाज के सबसे निचले तबके तक मुफ्त व बेहतर इलाज मुहैया कराने की सरकारी मंशा बरेली तहसील में बेदम होती दिख रही है। क्फ्वें फाइनेंस कमीशन में भले ही सेंट्रल और स्टेट गर्वनमेंट ने हेल्थ सेक्टर को मजबूत करने के इरादे से सबसे ज्यादा गंभीरता दिखाई हो। लेकिन बरेली में तो जिम्मेदारों की लापरवाही और घूसखोरी की आदत ने इस कवायद को सिरे से ही बीमार बना दिया है। बरेली शहर से महज क्भ् किमी के दायरे में बिथरी चैनपुर पीएचसी और फरीदपुर सीएचसी में इसकी बानगी साफ नजर आती है। आईनेक्स्ट की लाइव कवरेज में यहां सेहत महकमे की मशीनरी में डॉक्टर्स ओपीडी में नदारद दिखे। मुफ्त दवा का सरकारी फरमान भी बाहर मेडिकल स्टोर पर बिकता दिखा। वहीं मालम हुआ कि घर में नए मेहमान की किलकारी सुनने को हॉस्पिटल में मिठाई के नाम पर चढ़ावा चढ़ाने की भी मजबूरी है। इतना ही नहीं पेशेंट्स को बिजली-पानी और साफ सफाई की बुनियादी सुविधाएं भी यहां औंधे मुंह पड़ी मिली।
खामियों की खान फरीदपुर सीएचसी
कब आएंगे 'डाक्टर साब'
समय फ्राइडे सुबह 9.फ्भ् का रहा जब आईनेक्स्ट टीम ने फरीदपुर कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर, सीएचसी की व्यवस्था परखी। यहां तीन चौथाई डॉक्टर्स अपने केबिन से नदारद दिखे। पता किया तो पेश्ेांट्स से मालूम हुआ कि ज्यादातर डाक्टर साब तो क्0 बजे से पहले यहां नजर ही नहीं आते। सीएचसी घूमे तो देखा स्त्री रोग विभाग खाली था, एनस्थेसिस्ट के कमरे पर ताला पड़ा था। वहीं परिवार कल्याण परामर्श रूम में महिला चिकित्सा अधिकारी की कुर्सियां भी खाली पड़ी थीं। जबकि सरकारी हॉस्पिटल्स व हेल्थ सेंटर्स में सुबह 8 बजे से ही ओपीडी शुरू होने का समय है। सीएचसी सुपरिटेंडेंट से इस बारे में बात करने की सोची तो पता चला वह भी अब तक नदारद हैं। अब तक क्0.क्भ् बज चुके थे और जिम्मेदारों की कुर्सियां खाली पड़ी थी। पेशेंट्स अब भी उनके आने की राह देख रहे थे।
पर्चा सरकारी, दवा बाहर की
स्टेट गवर्नमेंट में सभी सरकारी हॉस्पिटल्स व हेल्थ सेंटर्स में इलाज के लिए ओपीडी पर्चे की फीस क् रुपए तय की है। मकसद था लगभग मुफ्त में सभी तबके को इलाज की बेहतर व्यवस्था देना, लेकिन फरीदपुर सीएचसी में तो जिम्मेदारों ने तमाम मानक ही उलट दिए यहां तकरीबन हर तीसरे पेशेंट को पर्चे में कम से कम एक दवा बाहर से खरीदने को कहा जा रहा था। पूछने पर स्टॉक में दवा न होने की दलील दी गई। पेशेंट्स ने बताया कि अक्सर बाहरी मेडिकल स्टोर से दवा खरीदने को कहा जाता है। वहीं जिम्मेदारों ने इसकी वजह पेशेंट्स पर यह कहकर डाल दी कि वह खुद ही बाहरी दवा की डिमांड करते हैं। तो क्या पेशेंट्स की डिमांड पर गैरकानूनी तरीके से बाहर से दवा प्रिस्क्राइब की जा सकती है, इस सवाल पर जिम्मेदारों ने मुंह पर ताले डाल दिए।
बिन बिजली बेहाल पेशेंट्स
यूपी गर्वनमेंट के पेशेंट्स को हर हाल में बेहतर सुविधाएं देने के फरमान फरीदपुर सीएचसी में दम तोड़ते दिखाई देते हैं। सरकार के कड़े निर्देश हैं कि किसी भी सूरत में हॉस्पिटल्स व हेल्थ सेंटर्स में पॉवर सप्लाई ठप न हो। इसके लिए सरकार ने सीएचसी-पीएचसी लेवल तक जेनरेटर व डीजल सप्लाई की व्यवस्था की है, लेकिन फरीदपुर सीएचसी में पेशेंट्स बिना बिजली के बेहाल दिखे। किसी भी वॉर्ड में पेशेंट्स के लिए बिजली नहीं थी। वजह पॉवर कट के दौरान जेनरेटर चालू ही नहीं किए गए। हालांकि कुछ डॉक्टर्स के कमरों में पंखा घूमता नजर आया लेकिन वॉर्ड में पेशेंट्स हाथ का पंखा झलकर खुद को गर्मी से निजात दिलाने की नाकाम कोशिश करते दिखे। पेशेंट्स ने बताया कि अक्सर यहां बिजली गायब रहती है और जेनरेटर महीने में कभी कभार ही चलाया जाता है। सोर्सेज ने बताया कि यहां जेनरेटर के सरकारी डीजल हड़पने से भी जिम्मेदार नहीं चूक रहे।
टॉयलेट्स पर ताले, मरीज परेशान
फरीदपुर सीएचसी में जैसे पेशेंट्स की हर बुनियादी सुविधा पर रोड़ा अटकाने की कवायद चल रही हो। मुफ्त दवा और बिजली की सुविधा के साथ ही टॉयलेट्स और पीने के पानी के लिए भी पेशेंट्स जूझते दिखे। यहां कहने को म् टॉयलेट्स बने दिखे, लेकिन उनमें से एक को छोड़ बाकी पंाच पर ताले लटके मिले। जो एक खुला था वह भी बेहद गंदा और बदबूदार मिला, जिसकी कई समय से सफाई नहीं हुई थी। स्टाफ के लोग जरूरत पड़ने पर टॉयलेट के ताले खोल वापस लॉक कर देते हैं। जबकि पेशेंट्स खासकर महिलाओं व गर्ल्स के लिए इसकी कोई सुविधा नहीं। टॉयलेट में शराब की पड़ी बोतल भी हेल्थ सेंटर की हकीकत बयां कर रही थीं। वहीं पीने के साफ व ठंडे पानी की भी सीएचसी में कोई व्यवस्था नहीं दिखी। यहां कोई वाटर कूलर नहीं था। पेशेंट्स व तीमारदारों को कैंपस में लगे इकलौते हैंडपंप से अपनी प्यास बुझानी पड़ती है।
मानकों पर भी अधूरा
बुनियादी सुविधाओं के अलावा फरीदपुर के सीएचसी स्टाफ की तैनाती भी मानकों पर खरी नहीं उतरती। यहां सीएचसी सुपरिटेंडेंट समेत कुल 7 डॉक्टर्स हैं। रूल्स के मुताबिक सीएचसी में डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की तर्ज पर सभी तरह के जरूरी एक्सपर्ट्स होने चाहिए। इनमें गायनोकोलॉजिस्ट, फिजीशियन, पीडियाट्रीशियन, डेंटिस्ट, जनरल सर्जन, एनस्थेसिस्ट, रेडियोलॉजिस्ट और पैथोलॉजिस्ट होने चाहिए। लेकिन यहां तीन फीमेल डॉक्टर्स जिनमें दो गायनी और एक आयुष डॉक्टर समेत एक पीडियाट्रिशियन, एक एनस्थेसिस्ट, एक डेंटिस्ट और एक जनरल सर्जन ही है। रेडियोलॉजिस्ट व पैथोलॉजिस्ट न होने से एक्सरे व जांचों में काफी दिक्कतें होती हैं। वहीं दो की जगह एक ही लैब टेक्निशियन होने से जांच के रिजल्ट के लिए पेशेंट्स को लंबा इंतजार करना पड़ता है।