- महामूर्ख सम्मेलन में प्रख्यात कवियों और शायरों की रचनाओं से श्रोता हुए मंत्रमुग्ध
<- महामूर्ख सम्मेलन में प्रख्यात कवियों और शायरों की रचनाओं से श्रोता हुए मंत्रमुग्ध
BAREILLY: BAREILLY: महामूर्ख महाविद्वान है। जैसे धृणा में प्रेम छिपा है, वैसे ही मूर्खता में विद्वता है। इसे उजागर करना और उन्हें सम्मानित करने के लिए थर्सडे को महामूर्ख सम्मेलन का आयोजन किया गया। ऑल इंडिया कल्चरल ऐसोसिएशन, उप्र कौमी एकता ऐसोसिएशन और जिला समारोह समिति की ओर से आयोजित सम्मेलन में शहर के दिग्गज कवियों और शायरों ने रचनाओं से समां बांध दिया। कार्यक्रम का आयोजन कबीर पुरुस्कार विजेता व राष्ट्रीय अध्यक्ष जेसी पालीवाल, कार्यकाणी अध्यक्ष रजनीश सक्सेना, कवि रणधीर प्रसाद गौड़ ने साहूकारा स्थित हाथी वाले मंदिर प्रांगण में किया। इस अवसर पर शहर के विशिष्टजनों और विद्वानों को सम्मानित किया गया।
बेहतरीन रचनाओं की पेशकश
कार्यक्रम के दौरान निषात अर्शी ने 'गले मिलते हैं सब एक दूसरे से यार होली में', रणधीर प्रसाद गौड़ ने 'मंजरे ला जबाब होली है हासिले इन्तिखाब होली है', किशन सरोज ने 'कोई अन्याय अनादर हमें खलता ही नहीं', रईस बरेलवी ने 'रंजो गम में मुस्कुराओ हर खुशी मिल जायेगी', सरवत परवेज सहसवानी ने 'नई परवाज है अब हौसलों की, परिन्दों को है चाहत कुछ परों की', डॉ। नईम शबाब कासगंजवी ने 'सच कहना और जुल्म से लड़ना बात तेरी मानेगा कौन' समेत अमित मनोज, शिवशंकर यजुर्वेदी, सर्वेश पासवान, अमित मुनि, ब्रजेन्द्र अकिंचन, सईद बरेलवी, नईम शबाब, रामशंकर शर्मा प्रेमी, शादसमसी, ज्ञान स्वरूप कुमुद, सतीष शर्मा, उमाशंकर चित्रकार, राम कुमार भारद्वाज अफरोज, रामप्रकाश सिंह ओज च अन्य कवियों ने काव्य पाठों से समा बांधा।