स्ट्रेस कम करने के चक्कर में यूथ कर बैठते हैं गलती  

आपको बता दें कि सिटी में 80 फीसदी एचआईवी पॉजिटिव लोग 20 से 35 साल की ऐज ग्रुप के हैं। ये डिक्लेरेशन डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के आईसीटीसी और एआरटी सेंटर का है। साइकोलॉजिस्ट डॉ। हेमा खन्ना के मुताबिक यूथ में एचआईवी पॉजिटिव के तेजी से बढ़ रहे मामलों के पीछे बड़ा रीजन कुछ नया ट्राइ करने की मंशा है। इसी वजह से वे उम्र से पहले ही सेक्स और नशे की तरफ मुड़ जाते हैं। दरअसल यूथ इस ऐज में सबसे ज्यादा प्रेशर झेलता है। पढ़ाई, करियर, शादी, स्टेटस मेंटीनेंस सरीखे डिफरेंट प्रेशर के चलते उनकी लाइफ फुल ऑफ स्ट्रेस होती है। इसे कम करने के लिए वे अक्सर गलती कर बैठते हैं, जिसका बाद में उन्हें पछतावा होता है।

केयरलेस हो जाते हैं यूथ

सेकेंडरी रीजन में यूथ की बिजी लाइफ आती है। ज्यादातर मामलों में यूथ केयरलेस हो जाते हैं। एड्स से रिलेटेड डिफरेंट ऑर्टिकल्स और एडवर्टिजमेंट समय-समय पर पब्लिश होते रहते हैं लेकिन यूथ उन्हें लाइटली लेता है। यंगर ऐज में ग्रुप प्रेशर भी मायने रखता है। ग्रुप प्रेशर में वह ऐसा काम कर जाते हैं, जो उन्हें नहीं करना चाहिए। यही कारण है अनसिक्योर सेक्स घातक बीमारी को दावत देता है।

 खुद को संभाले

एचआईवी पॉजिटिव होने का पता चलने के बाद व्यक्ति में इरिटेशन बढ़ जाती है। हर बात को लेकर वह जल्दी इमोशनल हो जाता है। लाइफ के प्रति निगेटिव अप्रोच जनरेट हो जाती है। यूथ के ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि वह सोशल डिस्टेंस क्रिएट कर लेता है। इसकी वजह से अकेलेपन की फीलिंग बढ़ जाती है, जो बाद में डिप्रेशन का रूप ले लेती है। फैक्ट ये है कि डिप्रेशन इसकी तीव्रता को बढ़ा देता है।

कैसे डील करें

-नॉर्मल लाइफ की डेली रूटीन को ही फॉलो करें।

-खुद को व्यस्त रखें।

-लाइफ के प्रति पॉजिटिव अप्रोच रखें।

-जितनी भी लाइफ है उसे ज्यादा से ज्यादा यूज करने की कोशिश करें।

-नशा बिल्कुल न करें। नशे से इसका ट्रीटमेंट बेअसर हो जाता है।

 

कहीं पॉजिटिव न कर दे 'निगेटिव निडिल'

एचआईवी को लेकर बरेलियंस में अवेयरनेस की काफी कमी है। यही कारण है कि सिटी में हर साल एड्स (एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम) के 15 से 20 नए मामले ट्रेस हो रहे हैं। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के आईसीटीसी ( इंटीग्रेटेड काउंसलिंग एंड टेस्टिंग सेंटर ) के आंकड़ों के अकॉर्डिंग सिटी में इस समय एचआईवी पॉजिटिव्स की संख्या करीब 350 है। इनके अलावा ऐसे भी एचआईवी पॉजिटिव्स भी हैं जो प्राइवेट हॉस्पिटल्स में ट्रीटमेंट करा रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि सिटी के हर 10 एचआईवी पॉजिटिव्स में से लगभग 7 को यह इंफेक्शन इंफेक्टेड निडिल के यूज से हुआ है।

स्टेरेलाइज्ड सीरिंज ही करें यूज

बरेलियंस में इस इंफेक्शन की सबसे बड़ी वजह इंफेक्टेड निडिल का यूज है। महिला डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के पीपीटीसीटी (प्रिवेंशन ऑफ पेरेंट टू चाइल्ड ट्रांसमिशन) सेंटर की महिला काउंसलर नीरज शर्मा ने बताया कि एचआईवी को लेकर लोगों में अवेयरनेस की कमी है। यही कारण है कि सेंटर पर आने वाले हर 10 एचआईवी पॉजिटिव्स में से 7 में यह इंफेक्शन इंफेक्टेड निडिल के यूज के कारण ट्रेस होता है। महिलाओं में यह समस्या ज्यादा सामने आ रही है। उन्होंने बताया कि सेंटर पर हर साल लगभग 2000 महिलाओं के रूटीन टेस्ट होते हैं। जिसमें 6 से 7 एचआईवी पॉजिटिव निकलते हैं।

हर दिन 15 पॉजिटिव्स का ट्रीटमेंट

सिटी में हर साल 7 से 10 पुरुषों के भी एचआईवी पॉजिटिव होने के केसेज सामने आ रहे हैं। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के एआरटी सेंटर के डॉक्टर संजीव मिश्र बताते हैं कि सेंटर पर हर रोज 10 से 15 एचआईवी पॉजिटिव्स ट्रीटमेंट के लिए आते हैं। इनमें से ज्यादातर को इस बीमारी के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं होता। वह केवल इसे जानलेवा समझ कर सदमे में होते हैं। एड्स में समस्या कि स्थिति तब होती है जब बॉडी में सीडी-4 मसल्स का काउंट 350 से कम हो जाए। नाको की गाइडलाइन के अकॉर्डिंग भी सीडी-4 काउंट 350 से कम होने पर ट्रीटमेंट शुरू कर दिया जाना चाहिए।

क्या होता है AIDS

ह्यूमन बॉडी में एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएन्सी वायरस) के पॉजिटिव होने से एड्स होता है। इस वायरस की वजह से बॉडी की सीडी-4 मसल्स का काउंट भी गिरता चला जाता है। जिससे बॉडी काफी कमजोर हो जाती है। सामान्य शब्दों में कहें तो उसकी रोगों से लडऩे की क्षमता कम हो जाती है। जिससे उसे छोटी-मोटी से लेकर गंभीर बीमारियां आसानी से अपनी गिरफ्त में ले लेती हैं।

कई बीमारियां करती हैं अटैक

सीडी-4 मसल्स की संख्या कम हो जाने पर एचआईवी पॉजिटिव्स की बॉडी में इम्यून पावर कम होने लगती है। जिससे उसे कई तरह की बीमारियां मसलन टीबी, निमोनिया, डायरिया और सीजनल इंफेक्शन ईजिली हो जाते हैं। डॉक्टर्स भी मानते हैं कि एचआईवी पॉजिटिव होने पर टीबी होना तय होता है। इससे बचने के लिए पॉजिटिव्स को बैलेंस्ड मील देना काफी जरूरी होता है। उनके फूड में रिच न्यूट्रीशन होना जरूरी होता है।

एड्स के बढ़ते केसेज

ईयर     एड्स के टेस्ट          डिटेक्ट हुए

2008     600                54

2009     1200              60

2010      1800             75

2011     2700              70

2012       3000            87

(आंकड़े डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के आईसीटीसी सेंटर और पीपीटीसीटी सेंटर से मिली जानकारी के आधार पर हैं.)

यहीं हो जाता है सीडी 4 काउंट

सूबे में यूपी स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी सभी आईसीटीसी, पीपीटीसीटी और एआरटी सेंटर को गवर्न करता है। बरेली में डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के मेल सेक्टर में आईसीटीसी और एआरटी सेंटर ओपन है। वहीं महिलाओं के टेस्ट के लिए महिला डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में पीपीटीसीटी सेंटर खुला हुआ है। एचआईवी पॉजिटिव के लिए इन सेंटर्स पर सभी जांच और ट्रीटमेंट फ्री किया जाता है। खास बात ये है कि इन सेंटर्स पर इनसे रिलेटेड सारी जानकारी गुप्त रखी जाती है।  

180 से ज्यादा का ट्रीटमेंट

ट्रीटमेंट के लिए डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल पहुंचने वाले एचआईवी पॉजिटिव की सबसे पहले आईसीटीसी सेंटर में काउंसलिंग की जाती है। साथ में उसके फैमिली को भी इसके बारे में बताया जाता है। इसके बाद पेशेंट का सीडी 4 काउंट चेक करवाया जाता था। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में एआरटी सेंटर खुलने से पहले सीडी 4 काउंट लखनऊ भेजा जाता था। रिपोर्ट आने के बाद अगर सीडी 4 काउंट मानक से कम हो तो तुरंत इलाज शुरू कर दिया जाता है। फिलहाल सेंटर में 180 से ज्यादा एचआईवी पॉजिटिव का इलाज चल रहा है।

प्रेगनेंट लेडीज का ख्याल

महिला डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में 2007 से चल रहे पीपीटीसीटी सेंटर में गर्भवती महिलाओं के टेस्ट किए जाते हैं। हालांकि  महिला एचआईवी पॉजिटिव के रूटीन टेस्ट होते हैं। सेंटर की काउंसलर नीरज शर्मा ने बताया कि सेंटर पर हर महीने लगभग 600-700 महिलाओं के टेस्ट किए जाते हैं। सेंटर पर 15 केस में तो एचआईवी पॉजिटिव प्रेगनेंट लेडीज के बच्चे एचआईवी पॉजिटिव नहीं हुए।

इम्यून पावर बढ़ाने के होम टिप्स

-बॉडी की इम्यून पावर बढ़ाने के लिए हर दिन लौंग के दो फूल खाने चाहिए।

-सुबह उठने के बाद बासी मुंह तुलसी के कुछ पत्ते खाने से भी इम्यून पावर स्ट्रांग होती है।

-काले चने को पानी में भिगोकर खाना भी काफी हेल्पफुल होता है।

-हफ्ते में एक बार दूध में हल्दी डालकर पीने से भी इम्युनिटी बढ़ती है।

Important facts about HIV

-एड्स आज भी लाइलाज है। इसके बारे में पूरी जानकारी ही इससे बचाव है।

-बेसलाइन टेस्ट और सीडी-4 काउंट रिपोर्ट के आधार पर ही इसका ट्रीटमेंट शुरू होना चाहिए।

-दवाओं के इस्तेमाल से ज्यादातर मामलों में पेशेंट्स की लाइफ लाइन बढ़ जाती है।

-इसकी दवाएं एआरटी (एंटी रेट्रो वायरल ट्रीटमेंट) सेंटर्स से फ्री में दी जाती हैं।

ऐसे करें बचाव

-एचआईवी इंफेक्टेड पर्सन के साथ अनसेफ सेक्स रिलेशन बनाने से बचें।

-किसी भी तरह का इंजेक्शन लगवाने से पहले यह श्योर कर लें कि जो सीरिंज यूज की जा रही है वह स्टेरेलाइज्ड हो।

-किसी इमरजेंसी में अगर ब्लड चढ़ाना हो तो उसका एचआईवी मुक्त होना सुनिश्चित कर लें। वहीं हीमोफिलिक पेशेंट्स को चढ़ाया जाने वाला फैक्टर भी एचआईवी के संक्रमण से मुक्त होना चाहिए।

how to detect HIV

-ब्लड का बेसलाइन टेस्ट करा कर बॉडी में एचआईवी की कंडीशन पता की जा सकती है।

-यह टेस्ट डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के आईसीटीसी और पीपीटीसीटी सेंटर पर किए जाते हैं। इसकी रिपोर्ट पूरी तरह से कॉन्फिडेंशियल होती है।

एचआईवी पॉजिटिव घबराए नहीं। समय रहते ट्रीटमेंट मिल जाए तो वह लंबे समय तक जीवन जी सकता है। इसके लिए अवेयर होना बहुत जरूरी है। आईडेंटिफाइ होने के बाद सेहत का ख्याल रखना नेसेसरी है।

-राखी गौतम, काउंसलर आईसीटीसी सेंटर

ट्रीटमेंट सही समय पर मिल जाए तो एचआईवी पॉजिटिव एड्स में कन्वर्ट नहीं होता। पेशेंट आसानी से अपनी नॉर्मल लाइफ जीता रहता है।

-डॉ। संजीव मिश्र, एआरटी सेंटर