बरेली(ब्यूरो)। एक टाइम पर बीसीबी से हॉकी के बड़े-बड़े प्लेयर्स निकलते थे, पर आज कॉलेज में इस गेम की हालत बहुत ही खराब हो गई है। स्थिति यह है कि चार प्लेयर्स जुटाना भी फैकल्टी के लिए मुुश्किल पड़ रहा हैै। कॉलेज में बना हॉकी ग्राउंड पशुओं का चारागाह बन गया है। ग्राउंड में न तो शू्टिंग सर्कल दिख रहा है, न ही सेंटर लाइन का कहीं पता है। इसके साथ ही वहां पर चारों ओर घास उगी दिख रही है, जिसे चरने के लिए गाय-बकरियों का यहां पर जमावड़ा लगा रहता है। यहां तक कि ग्राउंड में बनी सीढिय़ां तक टूट गई हैं। वहीं जिम्मेदार हैं कि बदहाली का ठीकरा प्लेयर्स के सिर पर फोडऩे में लगे हैं।
बरेली में हॉकी का इतिहास
वर्ष 1932 में कॉलेज के प्राचार्य विलियम ओवेन्स ने खेल गतिविधियों को बेहतर करने के उद्देश्य से इस ग्राउंड का निर्माण कराया था। बीसीबी के इतिहास के अनुसार वर्ष 1936 में मेजर ध्यानचंद सहित 11 ओलंपिक पदक विजेता प्लेयर्स ने इस मैदान पर अपना जलवा बिखेरा था। कॉलेज के कई प्लेयर्स ने राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश के साथ ही सिटी का नाम भी ऊंचा किया, लेकिन अब यह पूरी तरह उजाड़ हो चुका हैै। इस ग्राउंड में लंबे समय से खिलाडियों की आवाजाही बंद है। जहां पहले मोहम्मद रमजान, याकूब कुरेशी, महेश सूरी, मर्जी सक्सेना, पूनम सिंह जैसे प्लेयर्स खेल रत्न लाते थे। वहां अब टीम का नामोनिशान तक नहीं हैै।
क्यों हो गया यह हाल
ग्राउंड की हालत इतनी दयनीय हैै कि इसके अंदर कोई खिलाडी खेलने का सोच ही नहीं सकता। गाय, बकरियों के लिए भरपूर भोजन बरेली कॉलेज के इस हॉकी ग्राउंड में उपलब्ध है। आज यहां पर बड़ी-बड़ी झाडिय़ों के सिवा कुछ नहीं बचा हैै, लेकिन इसकी जिम्मेदारी लेने वाला कोई नहीं हैैं।
आखिरी हॉकी मैच कब खेला गया
बीसीबी में आखरी हॉकी मैच तीन साल पहले खेला गया था। इसके बाद न कोई टीम बनी, न ही कोई मैच खेला गया। कई सालों से यहां कोई कोच तक नहीं रहा। खेल के लिए टेंपरेरी टीचर्स अपॉइंट किए जा रहे थे। काफी लंबे समय के बाद सरकार की ओर से एक कोच अपॉइंट किया गया हैै, लेकिन हालत यह है कि एक प्लेयर भी आज वहां पर नहीं है।
आखिर कौन हैै जिम्मेदार
ग्राउंड की खस्ताहाल हालत की जिम्मेदारी लेने वाला कोई नहीं हैै। कोई यूनिवर्सिटी तो कोई बारिश को जिम्मेदार बता रहा है। खेल संयोजक प्रोफेसर भूपेंद्र सिंह ने बताया कि कॉलेज कुछ फाइनेंशियल क्राइसिस से गुजर रहा है। इसके अलावा कॉलेज में लगातार हो रहे एग्जाम और बारिश की वजह से कोई भी कॅरिक्यूलर एक्टिविटीज नहीं हो पा रही हैंै। ऑफिस इंचार्ज मोहम्मद रमजान ने बाताया कि वर्ष 2000 से पहले प्लेयर्स में हॉकी को लेकर बड़ा क्रेज था। पिछले साल कॉलेज ने यूनिवर्सिटी सेे फुटबाल के लिए मंजूरी ली थी। 15 अगस्त के बाद यूनिवर्सिटी सेे गेम्स की मंजूरी ली जाएगी, लेकिन, हॉकी के लिए अब पहले जैसा माहोल नहीं रहा है।
बोले जिम्मेदार
हम पूरा प्रयास कर रहे हैैं कि जल्द से जल्द सभी परेशानियों को दूर किया जाए। न्यू एजुकेशन पॉलिसी की वजह से कॉलेज में व्यवस्थाएं अस्त-व्यस्त हो रखी हैैं। उस पर काम किया जा रहा हैै और जल्द ही सकारात्मक और क्रियात्मक सुधार देखने को मिलेगा।
प्रो। ओपी राय, प्रिंसिपल