-शहर में स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट लागू कराने की कवायद हो गई गुमशुदा
-पिछले डेढ़ महीने से वेंडर्स के रजिस्ट्रेशन की कवायद पड़ गई ठंडी
-एक साल से मुहिम शुरू होने की उम्मीद में बाट जोह रहे हजारों वेंडर्स
BAREILLY: दिन हफ्ते बने, हफ्ते महीने और महीनों ने एक साल की शक्ल ले ली। लेकिन शहर में सड़क किनारे दुकान लगा कर रोजी रोटी की फिक्र करने वाले फेरी-पटरी दुकानदारों की किस्मत न बदली। शहर में स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट के तहत फेरी-पटरी दुकानदारों को जो सब्ज बाग दिखाए गए थे। उन्हें नगर निगम तय समय तक शुरू तक न कर सका। पिछले साल जोर शोर से शुरू की गई इस मुहिम के साल भर बीतने के बावजूद यह जमीन पर हकीकत न बन सकी। हाल यह है कि पिछले कुछ महीनों से निगम की प्राथमिकताओं व योजनाओं से ही गरीब पटरी दुकानदारों के अधिकार की यह कवायद कहीं गुम हो गई है।
बंद हो गए रजिस्ट्रेशन
शहर में पटरी-फेरी दुकानदारों के चिह्नीकरण की कवायद नवंबर ख्0क्ब् से शुरू हो गई थी। इसके तहत एक सर्वे एजेंसी को साथ लेकर निगम ने शहर भर में सभी पटरी दुकानदारों को चिह्नित कर उनका डाटा बनाने की कसरत की। जनवरी ख्0क्भ् तक पांच हजार से ज्यादा पटरी-फेरी दुकानदारों को इस योजना के तहत फायदा दिए जाने की रिकार्ड भी बना। जनवरी की शुरुआत से ही निगम में फेरी- पटरी दुकानदारों का रजिस्ट्रेशन करने की मुहिम शुरू हुई। लेकिन कुछ ही दिनों बाद यह भी ठंडे बस्ते में चली गई। सवा पांच हजार चिन्हित किए गए फेरी पटरी दुकानदारों में से एक हजार के भी रजिस्ट्रेशन न हो सके।
नहीं तय हो सके वेंडिंग जोन
मार्च ख्0क्ब् में वेंडिंग पॉलिसी के स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट बनाए जाने के बाद फेरी वालों को उनका हक दिलाने की कवायद तेज हुई थी। मई आते आते एक निजी एनजीओ को शहर में इस एक्ट को लागू कराने से पहले सर्वे और सुझाव देने की जिम्मेदारी सौंपी गई। अपने सुझावों में एनजीओ ने शहर भर में करीब भ्भ् से ज्यादा जगहों पर वेंडिंग जोन बनाए जाने की जरूरत बताई। लेकिन साल भर बाद भी निगम इनमें से महज क्भ् जगहों पर ही वेंडिंग जोन बनाए जाने पर मुहर लगा सका। वेंडिंग जोन तय न होने से समय रहते फेरी दुकानदारों को एक फिक्स जगह दिए जाने की कवायद पूरी न हुई।
बड़े वादों की खुली पोल
निगम की ओर से पिछले साल अप्रैल-मई में ही स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट को जल्द लागू करने के बड़े बड़े वादे किए गए। साल ख्0क्ब् के खत्म होने से पहले ही इसे शहर में लागू करने को आला अफसरान ने तैयारियां और कार्य योजना भी गिनाई। टाउन वेंडिंग कमेटी का गठन का बैठकें भी बुलाई गई। अधिकारियों ने पूरे यूपी में सबसे पहले स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट को शुरू करने का शिगूफा भी छोड़ा। लेकिन साल भर बीतने के बाद ही महज कुछ कदम चलने के बाद इस मुहिम को ब्रेक लग गए। जानकारों ने तो इस पूरी कवायद के ही कामयाब होने पर सवाल खड़े करते हुए इसे फेरीवालों के साथ कोरा वादा तक करार दिया।
अन्य योजनाओं तले दब गई
स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट जैसी अहम मुहिम निगम की अन्य योजनाओं व कवायदों तले पूरी दब कर खत्म सी हो गई। बीते दिसंबर से ही निगम का मैनपॉवर शहर में शुरू की जा रही डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन को बुनियाद देने और सभी वार्डो में चालू कराने पर ही रहा। रही सही कसर बंद पड़े सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट को फिर से शुरू कराने पर टिक गई। जो थोड़ी बहुत उम्मीदें बची, वह भी मार्च खत्म होने से पहले शहर में अधूरे पड़े निर्माण व विकास कार्यो को पूरा कराने पर खर्च हो गई। ऐसे में फेरी दुकानदारों के लिए न तो निगम के मुखिया को सुध रही और न ही जनप्रतिनिधियों को।
फेरी वालों ने दिखाई नाराजगी
निगम की ओर से स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन व लाइसेंस दिए जाने की खोखली कवायदों से शहर के फेरी-पटरी दुकानदारों का भी धैर्य जवाब दे गया। निगम तय समय पर वेंडिंग जोन बनाकर वेंडर्स को जगह तो मुहैया करा न सका, उल्टा संडे बाजार-थर्सडे बाजार के लगने पर रोक भी लगा दी। इससे नाराज फेरी दुकानदारों के नेता संजय गुप्ता की अगुवाई में शहर के वेंडर्स ने कुछ दिनों पहले निगम का घेराव किया। नाराज वेंडर्स ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का हवाला देते हुए वेंडिंग जोन तय होने तक सड़क पर उनकी दुकानें हटाए जाने पर निगम की खिलाफत की।
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स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट की मुहिम कुछ वजहों से फिलहाल रुक गई। लेकिन इसे जल्द ही दोबारा शुरू किया जाएगा। तय समय पर इसे लागू न किया जा सका। निगम की अन्य योजनाएं व मुद्दे भी इसमें आड़े आ गए। फिलहाल क्भ् वेंडिंग जोन बना दिए गए हैं। - सच्चिदानंद सिंह, अपर नगर आयुक्त
शहर में वेंडिंग पॉलिसी को लागू करा पाना आसान नहीं है। निगम ने पूरे सूबे में सबसे पहले इसे लागू कराने की कोशिश की है। लेकिन बीच में इस पर फोकस नहीं किया गया। अधिकारियों की जिम्मेदारी बनती है, इसे समय पर लागू कराएं वरना फेरी दुकानदार विरोध जताएंगे। - डॉ। आईएस तोमर, मेयर