100-busy without business
बरेली में पुलिस कंट्रोल रूप के 100 नंबर का भी बुरा हाल है। अमूमन तो यह नंबर कॉल करने पर बिजी रहता है। इस नंबर पर रिंग चली जाती है, तो कॉल रिसीव नहीं होती। ऐसे में इमरजेंसी में पुलिस की हेल्प मिलने की आस करना बेमानी सा है। सैटरडे मार्निंग 10 बजे से रात 10 बजे तक टाइम टु टाइम 100 नंबर पर कॉल करके बात करने की कोशिश की गई लेकिन कॉल नहीं लगी।
Smart control room का यह हाल
जुलाई में एसपी सिटी अतुल सक्सेना ने स्मार्ट कंट्रोल रूम का काम पूरा किया। डीआईजी प्रकाश डी ने इसका इनॉग्रेशन किया। कंट्रोल रूम की खासियत के रूप में ऑनलाइन कंप्लेन और कभी बिजी नहीं होने वाले कंट्रोल रूम नंबर के बारे में पब्लिक को बताया गया। इसके लिए इंटरनेट की फैसिलिटी और पांच रिसीवर सेट लगाए गए, जो 100 नंबर से जोड़े गए थे। इस फैसिलिटी के बावजूद पब्लिक को कंट्रोल रूम से हेल्प नहीं मिल पा रही है। ऐसे में कोई बड़ी घटना हो जाए तो भगवान ही मालिक है।
हमारी जानकारी में 100 नंबर सही काम कर रहा है। पब्लिक को कंप्लेन करने में कोई प्रॉब्लम है, तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
-राजकुमार, डीआईजी
101- CFO भी हारे
शहर में सैकड़ों हॉस्पिटल हैं। इनमें से किसी को भी फायर डिपार्टमेंट की तरफ से एनओसी नहीं मिली है। चीफ फायर ऑफिसर केएन रावत का कहना है कि उनकी तरफ से हॉस्पिटल्स को एनओसी नहीं लेने पर कई बार नोटिस जारी किया गया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। हारकर सीएफओ ने शहर के कई हॉस्पिटल्स के खिलाफ मुकदमा दायर करा दिया। इसके बावजूद बेफिक्र हॉस्पिटल वालों ने एनओसी के लिए अप्लाई करने की जहमत नहीं उठाई। सीएफओ का कहना है कि हॉस्पिटल्स में हादसे के लिए हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन ही जिम्मेदार होगा।
CMO ध्यान दें मानकों पर
सीएफओ केएन रावत ने बताया कि हॉस्पिटल्स को लाइसेंस देने का काम सीएमओ करते हैं। उन्हें सारे मानकों का वेरिफिकेशन करने के बाद हॉस्पिटल का लाइसेंस इश्यू करना चाहिए। शहर में चलने वाले सारे हॉस्पिटल्स को बिना मानक की जांच किए लाइसेंस प्रोवाइड करा दिया गया है। इस वजह से हॉस्पिटल्स में आग और आपातकाल से बचाव की कोई व्यवस्था नजर नहीं आती।
मेरी जानकारी में 101 नंबर चालू है। इसके खराब होने की जानकारी नहीं है। अगर नंबर खराब है, तो हम उसे जल्द ठीक कराएंगे। 101 के अलावा फायर ऑफिस का 2567098 और सीयूजी नंबर 9454418503 पर भी कॉल कर सकते हैं।
-केएन रावत, सीएफओ
102- इनसे कैसी मदद की आस?
इमरजेंसी है, एम्बुलेंस चाहिए, 102 नंबर मिला रहे हैं तो कोई फायदा नहीं। मदद नहीं मिलेगी। इस नंबर को डायल करने पर या तो रिंग टोन सुनाई देगी या बिजी होने की जानकारी मिलेगी।
बीमार सरकारी एंबुलेंस
सीएमओ ऑफिस में खड़ीं एम्बुलेंस अपनी बदहाली की कहानी खुद बयां कर रही हैं। इनमें से कोई भी ऐसी नहीं है जिन्हें इमरजेंसी के दौरान यूज में लाया जा सके। हां एक ऑप्शन जरूर है। इमरजेंसी में डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के टेलीफोन नंबर 2557014 से कॉन्टेक्ट कर सकते हैं।
102 नंबर की सेवा काफी समय से खराब पड़ी हुई है। इस संबंध में कुछ समय पहले एसपी टै्रफिक से इंटर कनेक्शन को लेकर बात भी हुई, लेकिन सरकारी मदद के बिना इस सुविधा को बहाल किया जाना संभव नहीं है।
-डॉ। विजय यादव, एमएस, डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल
102 इंमरजेंसी में उठता है। इमरजेंसी के दौरान हमारा पूरा प्रयास होता है कि हम पेशेंट को सही ट्रीटमेंट दें। 102 नंबर प्रोपर वे में काम रह रहा है।
-डॉ। एके त्यागी, सीएमओ