पानी से कॉन्टेक्ट होते ही बढ़ जाता है खतरा
डॉक्टर सुदीप सरन के एकॉर्डिंग मेडिकल बायोवेस्ट के जरिए खतरनाक बीमारियां फैलने का खतरा रहता है। सीरिंज में छूटी ड्रग और मेडिसिन अगर पानी के संपर्क में आ जाएं तो इन्फेक्शन तेजी से फैलता है। वहीं इसका इन्फेक्शन धूल मिट्टी के कीटाणुओं के जरिए भी आसानी से फैलता है। वातावरण में बैक्टीरियल इन्फेक्शन सांस के जरिए हमारी बॉडी में एंटर कर जाता है। इससे मलेरिया, डेंगू, वायरल फीवर, खसरा, चेचक, पीलिया, हैजा, निमोनिया, काली खांसी और सांस संबंधी बीमारियां हो सकती है। इतना ही नहीं अगर ये वेस्ट खुला पड़ा रहता है तो हवा को भी पॉल्यूट करता है।
दो कंपनियों के जिम्मे मैनेजमेंट
हर सिटी में बॉयो मेडिकल वेस्ट को डिस्पोज करने के लिए प्राइवेट कंपनीज एक्टिव रहती हैं। बरेली सिटी में इस काम का जिम्मा दो कंपनियों पर है. बेनीपुर चौधरी में श्मशान भूमि के पास एसएनजी मर्केटाइल लिमिटेड और परसाखेड़ा स्थित इनविराड लिमिटेड में सिटी के हॉस्पिटल का मेडिकल वेस्ट डिस्पोज किया जाता है। वेस्ट डिस्पोज करने के लिए इन कंपनियों का हॉस्पिटल से इयरली कॉन्ट्रेक्ट होता है। कंपनी की गाड़ी हॉस्पिटल जाकर सेफली स्टोर किए गए वेस्ट को कलेक्ट करती है। इसके बाद कंपनी में लगे प्लांट में बॉयो मेडिकल वेस्ट क्रश किया जाता है।
नहीं सुधरे तो हम करेंगे कार्रवाई
हमने बरेली, शाहजहांपुर और पीलीभीत रीजन में लगभग 100 अस्पतालों को नोटिस जारी किए हैं। सभी हॉस्पिटल्स को 10 दिनों का समय दिया गया था। अगर ऐसे हॉस्पिटल्स अपने लेवल से बॉयो मेडिकल वेस्ट का प्रापर मैनेजमेंट नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।
-जितेंद्र लाल, रिजनल ऑफिसर, यूपी पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड
नियमों की खिल्ली उड़ाते हैं hospital
पहले भी जारी हो चुके हैं नोटिस
यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के रीजनल ऑफिस के साइंटिस्ट सुनील सिंह के अकॉर्डिंग पाल्यूशन बोर्ड समय-समय पर सिटी में बॉयो मेडिकल वेस्ट के ट्रीटमेंट पर संज्ञान लेता रहता है। सिटी के कुछ नर्सिंग होम्स को पहले भी वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर नोटिस जारी किया जा चुका है। हालांकि सिटी के ज्यादातर हॉस्पिटल्स वेस्ट मैनेजमेंट के रूल्स फॉलो नहीं करते, जिसका खामियाजा पर्यावरण और बरेलियंस की सेहत को भुगतना पड़ता है।
क्या है biomedical waste management
बॉयो मेडिकल वेस्ट में सॉलिड, लिक्विड और लैबोरेट्ररी वेस्ट को शामिल किया जाता है। ये इंडस्ट्रियल वेस्ट से डिफरेंट होता है। हॉस्पिटल, हेल्थ क्लीनिक, नर्सिंग होम और मेडिकल रिसर्च लैबोरेट्ररी में बीमारियों के डायग्नोसेज, प्रीवेंशन और ट्रीटमेंट में यूज्ड सीरिंज, मेडिकल वेस्ट और मेडिसिन को बॉयो मेडिकल वेस्ट में शामिल किया जाता है।
गंभीर बीमारियों को दावत
स्वास्थ्य चेतना फाउंडेशन के देवेंद्र डंग के एकॉर्डिंग बरेली सिटी की 9.6 लाख की आबादी है। शहरी इलाके में छोटे-बड़े करीब 350 नर्सिंग होम चल रहे है। इनसे हर महीने 6 कुतंल के आस-पास मेडिकल बॉयो वेस्ट निकलता है। यह बॉयो वेस्ट अगर प्रॉपर तरीके से डिस्पोज न किया जाए तो सेहत के लिए बेहद खतरनाक होता है। कूड़े में ओपन पड़ी नीडल से एड्स जैसे खतरनाक रोग फैलने का खतरा होता है। बॉयो वेस्ट से वायरल ट्यूबर क्लोटस फैलने की आशंका सबसे ज्यादा होती है। जोकि थर्ड स्टेज का होता है और इसका इलाज संभव नहीं होता।
सफाई कर्मचारियों से साठगांठ
बॉयो मेडिकल वेस्ट के लिए हॉस्पिटल्स ने अपनी ही गणित सेट कर रखी है। सिटी और आसपास के नर्सिंग होम और हॉस्पिटल्स लोकल बॉडिज के सफाई कर्मचारियों से साठगांठ कर लेते हैं। नगर निगम के ये कर्मचारी सारे मेडिकल वेस्ट को सामान्य कूड़े की तरह इकट्ठा कर ले जाते हैं। सिटी के करीब गड्डा खोदकर उसमें ये गार्बेज डंप कर दिया जाता है। इस काम के ऐवज में हॉस्पिटल्स से कर्मचारियों को फिक्स रकम भी दी जाती है। इससे हॉस्पिटल्स को कम खर्च में ही इन हानिकारक गार्बेज से छुटकारा मिल जाता है लेकिन ये आम लोगों के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं।
बोर्ड देता है प्रमाणपत्र
हॉस्पिटल्स को पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से जारी सर्टिफिकेट लेना पड़ता है जो इस बात का प्रमाण होता है कि उस हॉस्पिटल में बॉयो मेडिकल वेस्ट का ट्रीटमेंट प्रॉपर तरीके से किया जा रहा है। साथ ही पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड इस तथ्य की भी जांच करता है कि मेडिकल वेस्ट से एयर, अंडरग्राउड वाटर, सॉइल और ड्रिकिंग वाटर पॉल्यूटेड न हो रही हो। इसके लिए पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड 500 रुपए सालाना फीस चार्ज करता है और समय-समय पर हॉस्पिटल्स की जांच भी करता है।
इनको फॉलो करने होते हैं रूल्स
-हॉस्पिटल
-नर्सिंग होम
-क्लीनिक
-डिसपेंसरी
-एनीमल हाउस
-पैथोलॉजी
क्या है rule
मिनिस्ट्री ऑफ एंवायरमेंट एंड फॉरेस्ट की बॉयो मेडिकल वेस्ट रूल्स 1998 के सेक्शन 5-6 में मेंशन किया गया है कि यह वेस्ट 48 घंटों के अंदर डंप हो जाना चाहिए। लेकिन सिटी के हॉस्पिटल रूल्स की जमकर धज्जियां उड़ा रहे है।
बॉयो मेडिकल वेस्ट रूल्स 1998 के एकॉर्डिंग हॉस्पिटल से निकलने वाले हानिकारक वेस्ट को सैगरीगेट कर अलग कंटेनर में रखना होता है। हॉस्पिटल्स से निकलने वाले वेस्ट का 15-20 परसेंट ही सबसे ज्यादा हार्मफुल होता है।
-वीगो नीडल्स और सीरींंजेस को हॉस्पिटल में ही डिस्ट्रॉय करना होता है सीरींज को बीच से काटना होता है ताकि उन्हें कोई री-यूज न कर सके।
-हॉस्पिटल्स मेडिकल वेस्ट को सैपरेट लेबल्ड बैग और कंटेनर में रखना होता है।
नियम मानना है जरूरी
पॉल्यूशन बोर्ड से नोटिस जारी किया गया है। मेरा खुद का यही ओपीनियन है कि अगर कोई नर्सिंग होम बॉयो वेस्ट का ट्रीटमेंट स्टैडर्ड के एकॉर्डिंग नहीं कर रहा है, तो गलत है। सभी नर्सिंग होम और हॉस्पिटल्स को बॉयो वेस्ट कंपनियों के पास रजिस्ट्रेशन करवाना चाहिए।
-डॉ अजय भारती, नर्सिंगहोम एसोसिएशन के पदाधिकारी