Second & third type खतरनाक

डॉक्टर्स के मुताबिक, साधारण डेंगू अपने आप ठीक हो जाता है। इसमें जान का खतरा नहीं होता। वहीं अगर किसी पेशेंट को डीएचएफ या डीएसएस कैटेगरी का फीवर होता है, तो पेशेंट डेंजर जोन में समझा जाता है। ऐसे पेशेंट का फौरन इलाज शुरू नहीं किया गया तो उसकी जान भी जा सकती है। इसलिए से जरूरी होता है कि पहले पहचाना जाए कि डेंगू किस कैटेगरी का है।

नियमों का पालन नहीं

सीएमओ ऑफिस से सभी प्राइवेट हॉस्पिटल्स को डायरेक्शंस हैं कि पेशेंट्स में डेंगू के लक्षण दिखने पर पहले ऑफिस में इंफॉर्म करें। अपने स्तर पर डेंगू का डिक्लेरेशन न करें। मगर नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। प्राइवेट हॉस्पिटल्स में इन दिनों फीवर वाले पेशेंट्स की बाढ़ सी आ गई है। चूंकि अन्य फीवर में भी पेशेंट्स के प्लेटलेट्स कम होते हैं, इसलिए अन्य फीवर होने की कंडीशन में भी डॉक्टर्स डेंगू का हौव्वा दिखाकर पेशेंट्स की पॉकेट हल्की कर रहे हैं।

इन्हीं दिनों फैलता है dengue

डेंगू हर मच्छर के काटने पर नहीं होता है। मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से ही होता है। ये मच्छर सुबह के वक्त काटते हैं। डेंगू जुलाई से अक्टूबर में फैलता है। मच्छर काटने के करीब 4 दिनों के बाद पेशेंट में डेंगू फीवर के लक्षण दिखते हैं। हालांकि डेंगू पनपने की मियाद 3 से 10 दिन की भी हो सकती है।

बच्चों के लिए extra alert

बच्चों का इम्यूनिटी सिस्टम वीक होता है। बड़ों के मुकाबले बच्चों में प्लेटलेट्स तेजी से गिरती हैं। दरअसल वे खुले में ज्यादा रहते हैं। इसलिए इन दिनों पेरेंट्स को ज्यादा एलर्ट रहने की जरूरत है। ख्याल रखें कि बच्चे घर से बाहर पूरे कपड़े पहन कर निकलें। जहां बच्चे खेलते हैं, वहां पानी न जमा होने दें। लक्षण दिखें तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं।

Funda of 20

डेंगू में कुछ एक्सपर्ट 20 के फॉर्मूला की बात करते हैं। मतलब फीवर होने पर पल्स रेट 20 तक बढ़ जाना। ऊपर का ब्लड प्रेशर 20 कम हो जाए। हाई और लो ब्लड प्रेशर के बीच का डिफरेंस 20 कम हो जाए। प्लेटलेट्स 20 हजार से कम रह जाएं और बॉडी के एक इंच के एरिया में 20 से ज्यादा दाने पड़ जाएं। तो पेशेंट को तुरंत हॉस्पिटल में एडमिट करवाना चाहिए।

5 sample में Dengue confirm

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल ने डेंगू की जांच के लिए 14 सैंपल लखनऊ भेजे थे। इनमें से 5 सैंपल में डेंगू कंफर्म हो गया है। इसे मिलाकर शहर में अब तक डेंगू के कुल 22 मामले सामने आ चुके हैं।

फस्र्ट कैटेगरी का डेंगू खतरनाक नहीं होता जबकि सेकेंड और थर्ड कैटेगरी के डेंगू में एलर्ट रहने की जरूरत होती है। डॉक्टर्स को बेवजह डेंगू का डर नहीं पैदा करना चहिए।

-डॉ। आरसी डिमरी, सीएमएस