घर में अब बचे हैं सिर्फ 3 आलू

रबर फैक्ट्री से रिटायर्ड केके सक्सेना कोहाड़ापीर में डबल स्टोरी मकान में रहते हैं। सेंसटिव एरिया में रहने का दर्द उनकी आंखों में साफ झलक रहा था। कफ्र्यू में खाने-पीने का आइटम मिल पा रहा है? इस सवाल के जवाब में बोले कि अब घर में खाना नहीं है। सब्जी के नाम पर सिर्फ 3 आलू बचे हैं। रात का खाना तो किसी तरह हो जाएगा। अगर कफ्र्यू नहीं खुला तो आगे गुजारा बेहद मुश्किल होगा। घर में बुजुर्ग सदस्यों की तबियत अलग खराब रहती है। न घर में राशन है और न ही पैसा। उपद्रवी तो अपने मंसूबों में कामयाब हो गए मगर तकलीफ तो सिर्फ आम आदमी के हिस्से में ही आती है।

एटीएम न जा पाने से हाथ भी तंग

कई दिनों से कफ्र्यू के चलते रेजिडेंट्स के हाथ तंग होना शुरू हो गए है। सबसे बुरा हाल प्राइवेट जॉब और रोज कमाने वाली फैमीलिज का है। श्यामगंज निवासी किशोर बताते है कि वह शॉप पर रोज पॉलीथिन सप्लाई करते थे। मगर कफ्र्यू लगने के बाद उनका धंधा पूरी तरह से चौपट हो गया है। वहीं शाहदाना निवासी सुधीर प्राइवेट संस्थान में मुलाजिम है इसलिए पैसों के मामले में हाथ तंग रहता है। अब कफ्र्यू में उनके सामने पैसों की कमी भी मूंह बाने लगी है। अमूमन एटीएम से पैसा विद ड्रा करने वाले सुधीर के घर तक अगर कोई सामान वाला आ भी जाए तो उनके पास सामान की खरीददारी के लिए पर्याप्त पैसा भी नहीं है।

घरेलू नुस्खा बना सहारा

अमित ने बताया कि फैमली मेम्बर्स में उनकी बहन सन्नो का कुछ मंथ पहले एक्सीडेंट हुआ था और उनके पैर में फ्रैक्चर हो गया था। अब वह चलने में लाचार है। बेहतर ट्रीटमेंट के लिए 15 दिन पर डॉक्टर के पास जाना होता है। इसके अलावा घर में मां है, जिनकी ऐज फैक्टर के चलते आए दिन तबियत खराब रहती है। कफ्र्यू में इलाज के लिए सिर्फ घरेलू नुस्खा का ही सहारा है। वहीं गुलाब नगर में रहने वाले दीक्षित फैमिली के मुखिया राम कृष्ण दीक्षित बताते हैं कि उनकी वाइफ राजेश्वरी देवी की तबियत आए दिन खराब रहती है। कफ्र्यू में मेडिसिन नहीं मिल पा रही है। मेडिसिन लेने में गैप होने से उनकी सेहत पर विपरीत असर पड़ रहा है, मगर हम करें तो क्या करें।

गैस ने बिगाड़ा रसोई का मिजाज

पेशे से व्यवसायी मोहन अग्रवाल यूं तो खुश मिजाज व्यक्ति हंै, मगर कफ्र्यू के दौरान रसोई की बिगड़ी व्यवस्था को संभालने में परेशानी हो रही है। अग्रवाल जी की ज्वॉइंट फैमिली है। उन्होंने बताया कि घर में रसोई गैस खत्म हो गई है। सब्जियां भी नहीं मिल पा रही है। अचानक उपद्रव और फिर कफ्र्यू ने इतना समय ही नहीं दिया कि कुछ स्टॉक कर सकें। रसोई गैस न होने से समस्या विकराल हो गई है।

दूधिया करते हैं मनमानी

कानूनगोयान एरिया की अग्रवाल फैमली के सिद्धार्थ ने बताया कि सुबह उठने के बाद सबसे ज्यादा जद्दोजहद दूध के लिए होती है। दूध देने वाले को कफ्र्यू की वजह से पुलिसवाले आने नहीं देते हैं। अगर भूले-भटके कोई दूध वाला आ भी जाता है तो उसके अगल नखरे रहते हैं। वह मनमाने रेट पर दूध बेचता है। रेट तक मनमानी होती तब तक ठीक था। लेकिन कफ्र्यू में आने वाला दूध नॉर्मल डेज के दूध से कहीं पतला है। उन्होंने मन मसोस कर कहा कि कफ्र्यू नहीं होता तो शिकायत भी करते मगर कफ्र्यू में तरसने से बेहतर है कि कुछ तो मिल पा रहा है।

एडमिशन का सपना टूटा

पेशे से एडवोकेट कृष्ण गोपाल का छोटा लड़का लकी बीटेक करना चाहता है। जीबीटीयू में रैंक भी आ गई। लेकिन शहर में कफ्र्यू लगा है। एसएमआरएस में ट्यूसडे को बीटेक काउंसिलिंग का अंतिम दिन था। कफ्र्यू के चलते लकी का बीटेक सपना चकनाचूर हो गया है। काउंसिलिंग छूटने के बाद वह नए सिरे से प्लॉनिंग कर रहे है। वहीं उनकी बड़ी लड़की खुशबू का एमए में एडमिशन होना है.  वह भी इंटरनेट सर्फिंग करके कॉलेज की कटऑफ और लिस्ट तो नोटेड कर सकती है मगर एडमिशन के लिए पुख्ता कदम नहीं उठा सकती है।

पानी भी नहीं हुआ मयस्सर

पुराने शहर के कई हिस्सों में ट्यूसडे को पीने के पानी की किल्लत बनी रही। वाटर सप्लाई में इलेक्ट्रिसिटी की कटौती बाधा बन गई। इलेक्ट्रिसिटी के बेटाइम कटौती से ट््यूबबेल फेल रहे। जिससे पानी की टंकियों में पानी नहीं पहुंच सका। कफ्र्यू के दौरान इन दिक्कतों के लिए आम आदमी कंप्लेंट करना भी भारी पड़ रहा है। कई एरियाज में रेजिडेंट्स ने बताया कि मोबाइल में सीमित टॉकटाइम कंप्लेंट नोट कराने के लिए उठने वाले हाथों को रोक लेता है।