कम हो रहा effect
वल्र्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्लूएचओ) के सर्वे में पाया गया कि भारत में एंटीबायोटिक मेडिसिंस का जमकर मिसयूज हो रहा है। बिना कारण के इस्तेमाल किए जाने से यह मेडिसिंस ह्यूमन बॉडी पर बेअसर होती जा रही हैं। इसे रोकने के लिए डब्लूएचओ ने भारत में इन दवाओं के यूज को कंट्रोल करने के सजेशन दिए थे। इसके बाद मिनिस्ट्री ने नोटिफिकेशन जारी कर इन दवाओं की सेल को लिमिटेड करने की कोशिश की है। नोटिफिकेशन में रूल 65 और 97 के अकॉर्डिंग शेड्यूल एच 1 में एंटीबायोटिक मेडिसिंस को शामिल किया गया है। इन्हें रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर्स के प्रिस्क्राइब करने पर ही सेल किया जा सकेगा। वहीं केमिस्ट को दवा खरीदने वाले कस्टमर्स का रिकॉर्ड मेंटेन करना होगा।
Chemist कर रहे विरोध
ऑल इंडिया केमिस्ट एंड डिस्ट्रिब्यूटर्स फेडरेशन के जनरल सेक्रेटरी सुरेश गुप्ता का कहना है कि मेडिसिंस का मिसयूज रोकने के लिए शेड्यूल एच में पहले से ही सारे प्रोविजन हैं। ऐसे में एच 1 क्लॉज की कोई जरूरत नहीं थी। कोई भी केमिस्ट डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के बिना मेडिसिन सेल नहीं करता। मेडिसिन सेल करने के साथ हर कस्टमर का रिकॉर्ड रखना हर केमिस्ट के लिए पॉसिबल नहीं है।
ताकि हो सके verification
न्यू रूल्स के अकॉर्डिंग मेडिकल शॉप ओनर्स को दवा लेने वाले कस्टमर्स का पूरा रिकॉर्ड अपने पास रखना होगा। यही नहीं मेडिसिन सेल करते समय केमिस्ट को डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन की फोटोकॉपी भी रखनी होगी। अगर यह पॉसिबल न हो तो शॉपकीपर को रजिस्टर पर पेशेंट का नाम, एड्रेस और डॉक्टर का नाम भी नोट करना होगा ताकि जरूरत पडऩे पर एडमिनिस्ट्रेशन इसे चेक कर सके।
नोटिफिकेशन के बाद कैमिस्ट शॉप होल्डर्स के लिए समस्या खड़ी हो गई है। हर दिन हमारे पास बड़ी संख्या में तीमारदार मेडिसिन परचेज करने के लिए आते हैं। हर एक का रिकॉर्ड रखना पॉसिबल नहीं है।
-दुर्गेश, केमिस्ट एसोसिएशन, बरेली
नारकोटिक्स में आने वाली मेडिसिंस की सेल तक यह बाउंडेशन ठीक थी लेकिन एंटीबायोटिक बेचने के लिए भी रिकॉर्ड मेंटेन करने की नोटिफिकेशन के बाद केमिस्ट्स का ऐसी मेडिसिन को बेचने में इंट्रेस्ट कम हो जाएगा। इतना रिकॉर्ड अपने पास रखना पॉसिबल नहीं है।
-सुरेश गुप्ता, जनरल सेक्रेटरी ऑल इंडिया केमिस्ट एंड डिस्ट्रिब्यूटर्स फेडरेशन