- गर्मी बीतने को और हैंडपंप नहीं हो सके रीबोर व सही
BAREILLY:
बढ़ती गर्मी और बीच-बीच में लू। ऐसे में रास्ते चलते लोगों की निगाह हैंडपंप और प्याऊ पर जाती है, लेकिन वहां पहुंचने पर वे सूखे मिलते हैं। शहर में तमाम हैंडपंप खराब पड़े हैं, तो ज्यादातर प्याऊ भी शुरू नहीं हो सके हैं। नगर निगम के खराब पड़े इंडिया मार्का हैंडपंप सही होने में अभी कम से कम दो महीने लग जाएंगे। तब तक गर्मी का प्रकोप काफी कम हो जाएगा। ऐसे में हैंडपंप की उतनी जरूरत नहीं महसूस होगी। वहीं शहर में बने तमाम प्याऊ लावारिस हैं, उन्हें कोई संस्था लेने को तैयार ही नहीं।
हर जगह खराब पड़े हैं हैंडपंप
शहर में नगर निगम के इंडिया मार्का 3 हजार हैंडपंप हैं। इनमें से करीब 5 सौ हैंडपंप खराब हैं या उन पर कब्जा हो चुका है। जबकि, 70 हैंडपम्प रीबोर होने हैं। खराब पड़े इन हैंडपंप में से तमाम तो ऐसे हैं, जो महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थान पर हैं। बलवंत सिंह मार्ग, आनंद आश्रम के सामने लगा हैंडपंप खराब है। नेकपुर में भी दो हैंडपंप खराब हैं। रबड़ी टोला और पुराना शहर इलाके के कई मोहल्लों में हैंडपंप की हालत दयनीय है।
जलकल विभाग नहीं करता सर्वे
मजे की बात यह है कि शहर में खराब पड़े हैंडपंप को सहीं कराने का काम जलकल विभाग किसी कंप्लेन पर ही करता है। सर्वे कर खराब हो चुके हैंडपंप को चिह्नित करने का काम नहीं करता है। ताकि, वह समय रहते सही कर सके। कंप्लेन नहीं होने की स्थिति में कर्मचारी कोई कदम नहीं उठाते हैं। यही कारण है कि कई जगहों पर स्थानीय लोगों ने हैंडपंप पर कब्जा जमा लिया है और कई जगह मिट्टी के नीचे दबा कर अस्तित्व ही मिटा ि1दया है।
संस्थाओं ने छुड़ा लिया पीछा
मंत्री राजेश अग्रवाल ने अपनी विधायक निधि से शहर में 23 प्याऊ बनवाए थे। इनमें से कई का तो नामो-निशान ही मिट गया और कई खंडहर बन गए। इन प्याऊ को चलाने का जिम्मा बरेली की सामाजिक संस्थाओं को दिया गया था। संस्थाओं ने जहां प्याऊ थे, उसके आसपास के लोगों को जिम्मेदारी दे दी। उन लोगों ने महीना दो महीना उन्हें चलाने के बाद अपना पीछा छुड़ा लिया।
एक नजर
- 3000 हैेंडपंप सार्वजनिक स्थानों पर लगे हैं।
- 500 से अधिक हैंडपंप खराब या कब्जा हो चुके हैं।
- 70 हैंडपंप होने हैं रीबोर।
-40 नए हैंडपंप लगने हैं
हैंडपंप को रीबोर करने का काम चल रहा है। 32 हैंडपंप रीबोर भी हो चुके हैं। बाकी को रीबोर करने में एक से दो महीने का समय लगेगा।
पीसी आर्य, एई, जलकल विभाग