बरेली (ब्यूरो)। वेस्ट से भी बेस्ट किया जा सकता है, बस इसी सोच के साथ बीएससी एग्रीकल्चर से करने वाली मुस्कान ने वेस्ट मैनेजमेंट पर वर्क करने का प्लान बनाया। मंदिर में यूज होने वाले फूल या फिर डेयरी से निकलने वाला जानवरों का वेस्ट इन सभी से उपयोगी प्रोडक्ट बनाए जाने चाहिए। इस पर वर्क कर मुस्कान ने गोबर से दीए बनाए, चाहत थी कि उन्हें आयोध्या के दीपोत्सव में यूज किया जाए। इसी के साथ विचार आया कि होली पर जो कैमिकल कलर यूज होते हैं क्यों न उनकी जगह पर हर्बल कलर बनाए जाएं। बस इसके बाद मुस्कान ने प्लान बनाकर काम शुरू किया और अब वह &गोपी सुमन&य नाम से हर्बल गुलाल बनाकर अपने ही प्रदेश नहीं बल्कि दूसरे प्रदेशों में भी सप्लाई कर रही हैं।
&गोपी सुमन&य को बनाया ब्रांड
हर्बल गुलाल बनाने वाली मुस्कान का कहना है कि उन्होंने अपने प्रोडक्ट का नाम गोपी सुमन रखा है। बताती हैं कि गोपी उनके पिता का नाम है जो अयोध्या में बिजनेसमैन हैं। सुमन उनकी मां का नाम है जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। मुस्कान बताती हैं कि वह अपने माता-पिता का नाम आगे और रौशन करना चाहती हैं इसीलिए उन्होंने अपने हर्बल गुलाल प्रोडक्ट का नाम गोपी सुमन रखा है। बताती हैं कि वह अपने पिता को ही अपना आदर्श मानती हैं। मुस्कान बताती हैं कि उन्होंने गोपी सुमन ब्रांड के नाम से हर्बल उत्पाद भी तैयार कर उपलब्ध कराएंगी ताकि लोगों तक शुद्ध प्रोडक्ट पहुंच सके। उनके इस काम में कॉलेज के टीचर्स ने भी हेल्प की और सुझाव दिया।
जॉब क्रिएटर बनना ही मकसद
मूल रूप से अयोध्या चौक निवासी मुस्कान ने 12वीं तक शिक्षा यूपी बोर्ड आयोध्या से ही ग्रहण की। बताती हैं कि मैथ में रुचि थी लेकिन उससे तो जॉब ही मिल सकती थी इसीलिए उन्होंने बीएससी एग्रीकल्चर में स्टडी का मन बनाया और बरेली की निजी यूनिवर्सिटी से बीएससी एग्रीकल्चर से स्टडी शुरू की। इस समय मुस्कान फोर्थ सेमेस्टर की पढ़ाई कर रही हैं। मुस्कान का मकसद जॉब करना नहीं जॉब क्रिएटर बनना था। इसीलिए पहले डेयरी से जुडऩे का प्लान मन में आया लेकिन उसमें रुपए अधिक लग रहे थे। गोबर के दीए बनाना भी सीखे लेकिन वह सिर्फ दिवाली पर ही काम आए।
मिल ही गए सभी आंसर
मुस्कान बताती हैं कि वह चाहती हैं कि हर व्यक्ति सुबह से लेकर शाम तक जो भी प्रोडक्ट यूज करता है उसमें कहीं न कहीं कृषि से जुड़ा हुआ होता है। इसीलिए वह चाहती हैं कि कृषि से जुड़े ऐसे प्रोडक्ट बनाए जाएं जिससे लोग सुबह से लेकर शाम तक उनके ही बने प्रोडक्ट यूज करें। बताती हैं कि होली पर मार्केट में बेचे जाने वाले कलर को लेकर भी देखा कि जो बेचा जाता है उसमें अधिक कैमिकल होता है जो स्किन को काफी नुकसान देता है। इसीलिए सोचा कि क्यों न इसके लिए हर्बल गुलाल बनाया जाए। इसके लिए मुस्कान ने महीनों प्लान किया कि हर्बल गुलाल कैसे बनाया जाए, पैकिंग कैसे किया जाए। हर्बल गुलाल बनाने के लिए कच्चा माल कहां से आएगा। सेल कैसे किया जाएगा। आखिरकार मुस्कान ने हिम्मत करके अपना प्रोडक्ट बनाने के लिए पूरा प्लान बनाया और शुरूआत भी की। इसके बाद एक-एक कर सभी सवालों के आंसर भी मिलते चले गए।
पांच हजार से शुरू किया स्टार्टअप
इज्जतनगर एरिया के महानगर में मुस्कान ने एक मकान में पांच हजार रुपए लगाकर अपना स्टार्टअप शुरू किया। लेकिन आज वह डायरेक्ट और इनडायरेक्ट तरीके से दर्जन भर से अधिक लोगों को रोजगार भी मुहैया करा रही हैं। हर्बल गुलाल बनाने के लिए मुस्कान ने महिलाओं को ही काम दिया है। महिलाएं ही हर्बल गुलाल बनाकर उसे सुखाकर पैकिंग का भी काम करती है। बताती हैं कि पैकिंग के लिए इको फ्रेंडली ही पैकेट भी यूज कर रही हैं पैकिंग के लिए पैकेट अहमदाबाद से मंगाती हैं।
खुद करती है मार्केटिंग
मुस्कान ने ऑनलाइन नेटवर्किंग और मार्केटिंग भी सीखा है इसीलिए वह अपनी मार्केटिंग ऑनलाइन खुद ही करती हैं। इसके लिए वह कॉलेज के बाद जो भी टाइम मिलता है उसे वह खुद अपना काम करती हैं। बताती हैं कि उन्होंने प्रोडक्ट को रजिस्टर्ड कराने के लिए प्रोसेस शुरू भी कर दिया है। लेकिन वह अब तक 13 प्रदेशों में अपने प्रोडक्ट की ऑनलाइन मार्केटिंग के जरिए पहुंच चुकी हैं।
मथुरा से भी मिला आर्डर
मुस्कान का कहना है कि तीन माह पहले शुरूआत में आर्डर कम ही मिल रहे थे। लेकिन उसके बाद शहर से भी अच्छे आर्डर मिले। यहां तक कि आयोध्या, लखनऊ, आगरा और मथुरा से भी हर्बल गुलाल की डिमांड उन्हें मिली है। जिसको वह पूरा भी कर रही हैं। बताती हैं कि अभी हर्बल गुलाल की कीमत भी सबसे कम रखी है जिसमें 150 ग्राम पैकेट की कीमत मात्र 50 रुपए रखी है।
ऐसे करती हैं तैयार
ब्लू गुलाल बनाने के लिए इंडिगो पाउडर, ग्रीन गुलाल में गुड़हल पाउडर जेसमिन, हरा गुलाल में लेमन ग्रास आदि का प्रयोग, पिंक के लिए रोज पाउडर, हल्दी और जैसमिन, पीला गुलाल में हल्दी, चंदन और मक्का का स्टार्च आदि मिलाकर हर्बल कलर तैयार करती हैं।