बरेली (ब्यूरो)। जीएसटी चोरी के लिए व्यापारियों ने अब नया फंडा निकाल लिया है। नकद रुपए में माल बेचकर वे जीएसटी बचा लेते हैं। इस तरह चोरी छिपे जीएसटी चोरी कर माल बेचने वालों की जानकारी अफसरों को भी नहीं लग पाती है। जिस कारण जीएसटी चोरी का भी व्यापारी खूब खेल कर रहे हैं। जीएसटी चोरी करने का काम इतने शातिर तरीके से किया जा रहा है कि व्यापारियों की चाल को अफसर भी जल्दी समझ नहीं पा रहे हैं। यह ही कारण है कि जीएसटी चोरी का खेल व्यापारी कर पा रहे हैं।
एसआईबी करती है छापामारी
जीएसटी डिपार्टमेंट की तरफ से इसके लिए एसआईबी टीम बनी हुई है। यह टीम सटीक जानकारी और कंप्लेंट मिलने पर ही छापामारी करती है, लेकिन कुछ व्यापारी इतने शातिर हो गए हैं कि वो जीएसटी चोरी करने के लिए कोई भी फंडा अपनाने के लिए पीछे नहीं रहते हैं।
ऐसे करते हैं जीएसटी चोरी
जीएसटी चोरी करने के पीछे भी बड़ा खेल चलता है। जानकारों की मानें तो दिल्ली और गाजियाबाद या फिर कहीं से भी जो माल आता है, उस पर प्रति नग के हिसाब से जीएसटी लगती है। व्यापारी जीएसटी चोरी करके माल लाने और सस्ता माल पाने के लिए इसे देने से बचते हैं। वे किसी तरह जितना भी माल जीएसटी चोरी करके ला सकते हैं, उतना ले भी आते हैं। इसके लिए ट्रांसपोर्टर को भी हिस्सेदार बनाया जाता है कि उसे जीएसटी चोरी का माल पहुंचाना है और कहां पहुंचाना है। जब माल दुकानदार के गोदाम तक पहुंच जाता है तो वह जीएसटी चोरी कर नकद में ही माल बेचने पर जोर देता है। वह ऑनलाइन पेमेंट लेने से भी बचता है।
कस्टमर्स को प्रॉब्लम
बिना जीएसटी के अगर कोई भी सामान दुकानदार कस्टमर्स को बेच देता है तो उसके बाद जब वह प्रोडेक्ट खराब होता है तो वारंटी पीरियड के अंदर उसे ठीक करना हो और सर्विस सेेंटर ले जाना पड़े तो वे नॉर्मल बिल को नहीं मानते हैं। सर्विस सेंटर पर सिर्फ जीएसटी बिल ही मान्य होता है। कई बार तो कस्टमर्स को बिल देने के बाद भी वारंटी का लाभ नहीं मिला पता है। कई बार तो दुकानदार भी सर्विस सेंटर का पेंच फंसने पर उस आइटम का जीएसटी बिल बाद में भी नहीं दे पाते हैं। जबकि माल बेचते वक्त वह कस्टमर को बेबकूफ बनाने के लिए बता देते हैं कि अगर जीएसटी बिल चाहिए होगा तो बाद में दे देंगे, लेकिन बाद में ऐसा नहीं होता है।
बरतें सावधानी
जीएसटी चोरी करके जो भी माल बाहर से आता है। वह ही माल जीएसटी चोरी करके कुछ व्यापारी बेचते हैं। इससे बचें क्योंकि पकड़े जाने पर इसमें तीन गुना तक अधिक की पेनाल्टी एसआईबी लगाती है। इसीलिए सावधानी बरतें।
पवन गुप्ता, एडवोकेट
मैने अभी एक सीलिंग फैन खरीदा तो दुकानदार से ऑनलाइन पेमेंट के लिए कहा तो उन्होंने बताया कि नकद रुपए दे दीजिए। बताया कि ऑनलाइन पेमेंट में जीएसटी के रुपए कट जाएंगे। दुकानदार ने बताया कि 50 रुपए छूट दे देंगे, लेकिन पेमेंट नकद दे दीजिए।
अनूप
इलेक्ट्रिक कैटल खरीदी तो दुकानदार ने जीएसटी का बिल नहीं दिया। जब उससे मांगा तो उसने बताया कि और रुपए देने होंगे। बताया कि जीएसटी का बिल नहीं लेंगे तो आपको यह सस्ती पड़ जाएगी, इसलिए ही आपको सस्ती दे दी है।
हिमांशु