- फिजूलखर्ची की बजाय दिलों को जोड़ने का मिसाल बना सामूहिक विवाह

- विवाह के साक्षी बने राज्यपाल, वर वधू को दिया आशीर्वाद

BAREILLY:

श्री शिरडी साई सेवा ट्रस्ट की ओर से गांधी उद्यान में आयोजित सामूहिक विवाह में संडे को ख्ख् जोड़े का विधिविधान के परिणय सूत्र में बंध गए। राज्यपाल राम नाईक ने इन जोड़ों को आशीर्वाद देकर इस पल को यादगार बना दिया। इस मौके पर भजन संध्या का भी आयोजन किया गया था। इस दौरान ट्रस्ट के संचालक पं। सुशील पाठक ने अगले वर्ष भ्क् निर्धन कन्याओं का विवाह कराने का संकल्प लिया। इस मौके पर सेंट्रल मिनिस्टर संतोष गंगवार, सिटी एमएलए डॉ। अरुण कुमार, कैंट एमएलए राजेश अग्रवाल समेत तमाम लोग मौजदू रहे।

समाज को सोच बदलने की जरूरत

जोड़ों को आशीर्वाद देने पहुंचे राज्यपाल राम नाईक ने सामूहिक विवाह कार्यक्रमों को सामाजिक जरूरत बताया। उन्होंने कहा कि आम तौर पर शादियों में लाखों रुपए बर्बाद हो जाते हैं। जबकि सामूहिक शादियों में केवल कुछ हजार रुपए में पर्यावरण प्रदूषण किए बगैर धूमधाम से संपन्न हो जाती हैं। यहां जीवनसाथी से दहेज नहीं बल्कि भरोसे की मांग और जरूरत होती है।

साइड स्टोरी

फांकाकशी में हाथ पीले कैसे होते - क्रांति संग रामप्रताप

बारिश और ओले की मार से फसल तबाह हो गई। दाने-दाने के लिए परिवार मोहताज हो गया। ऐसे में बेटी के हाथ पीले करने का खर्चा उठाना पहाड़ था, लेकिन सामूहिक विवाह की वजह से बेटी को विदा करने का मौका मिला। आंखों में उमड़ते आंसुओं और कंपकंपाते लबों से बेटी क्रांति के पिता विजयपाल ने आपबीती सुनाई। विजयपाल का परिवार नवाबगंज के रमपुरा तुलसीदास में रहता है। बेटी क्रांति की शादी पिछले वर्ष थाना कैंट के पुराना मोहनपुर निवासी रामप्रताप संग तय हो गई थी। बेमौसम की मार से दोनों ही परिवारों की फसल पूरी तरह तबाह होने से फांकाकशी की नौबत आ गई। ऐसे में शादी तोड़ने तक बात जा पहुंची। ऐसे में, सामूहिक विवाह कार्यक्रम से उनके परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई।

बंदिशों को तोड़कर बनी मिसाल - राधा वर्मा संग राजकुमार

विधवा विवाह एक अच्छा विचार भले हो, लेकिन हाथ थामने की बारी आती है तो कदम पीछे हट जाते हैं, लेकिन सामाजिक बंदिशों और कानाफूसी को धता बताते हुए राजकुमार ने जीवनसाथी के रूप में शाहजहांपुर निवासी दो बेटियों की मां राधा को अपना लिया। श्यामगंज के रहने वाले राजकुमार ने बताया कि परिवार के लोगों ने राधा की बेबसी के बारे में जिक्र किया था, लेकिन शादी का कोई प्लान नहीं था। पिछले वर्ष एक आयोजन में उनकी मुलाकात राधा से हुई। बात चली तो बात बढ़ती गई और दोनों एक दूसरे की कमी महसूस होने लगी। आखिरकार आज वह परिणयसूत्र में बंध गए।

दीक्षा की इच्छा थी दहेज की नहीं विशाल गुप्ता संग दीक्षा रस्तोगी

प्यार सच्चा हो तो हसरत केवल प्यार को पाने की रहती है। दिखावे की नहीं। कुछ इसी तर्ज पर रामपुर के कूंचा के रहने वाले विशाल गुप्ता ने दीक्षा को अपनाया। शादी के भव्य व विशाल मंडप में बैठे विशाल के परिजनों ने बताया कि दोनों का एक-दूसरे के बगैर जीना मुश्किल था, लेकिन मामला दहेज को लेकर फंस रहा था। दीक्षा के पेरेंट्स के पास भारी भरकम दहेज के लिए रकम नहीं थी। दीक्षा ने पूरी बात विशाल से कही। तो विशाल ने पेरेंट्स के सामने बात रखी। पहले तो उन्होंने न नुकुर किया लेकिन बाद में हां कर दी।