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बरेली(ब्यूरो)। सोमवार को रात में चांद का दीदार होने के बाद से ही एक दूजे को ईद की मुबारकबाद देने का सिलसिला शुरू हो गया था। ईद उल फितर के पर्व को लेकर बाजारों की रौनक और अधिक बढ़ गई थी। अगले दिन 30वां रोजा मुकम्मल होने पर रोजेदारों ने अल्लाह के आगे सिर झुकाकर सजदा किया। दो साल बाद मुसलमानों ने किसी तरह का प्रतिबंध न होने पर ईदगाह और मस्जिदों में ईद की नमाज अदा की। ईद का त्योहार उल्लास के साथ मनाया गया। नमाज के बाद लोगों ने गले मिलकर पर्व की बधाई दी। शहर के प्रमुख बाजारों में ईद को लेकर खरीदारी के लिए भीड़ रही।
मार्केट में दिखी भीड़
सबसे पहले दरगाह वली मियां चांद मस्जिद में सुबह छह बजे ईद की नमाज अदा की गई। इस कड़ी में अपने समयानुसार प्रमुख मस्जिदों में नमाज हुई। सुबह नौ बजे खानकाह ए नियाजिया की गरीब नबाज मस्जिद में भी नमाज हुई। इस मस्जिद में सज्जादा मेहंदी हसन ने अकीदतमंदों को नमाज पढ़ाई। इसके बाद सुबह साढ़े दस बजे ईदगाह में बढ़ी संख्या में लोगों ने नमाज पड़ी। नमाज से पहले सज्जादा मेहंदी हसन ने तकरीर करते हुए कहा कि भाईचारा बनाकर रखें। जरूरतमंदों के लिए अपने मन में हमेशा परोपकार का भाव बनाए रखें। इस पवित्र त्योहार पर सभी से गिले शिकवे मिटाकर आपस में प्रेम बांटें। ईद के दिन सेवई का अधिक महत्व होता है। घरों में सेवइयां बनती हैं। इसलिए महिलाओं ने ईद की पूर्व रात्रि से तरह-तरह के व्यंजन बनाने की शुरुआत कर दी थी। लोगों ने अपने रिश्तेदारों के साथ ही पड़ोसियों और दोस्तों को सेवई खिलाकर पर्व की खुशियां मनाईं।
नमाज के बाद झूलों और चाट पकौड़ी का लिया मजा
ईद के अवसर पर मंगलवार को मलूकपुर नाले वाली मस्जिद और इस्लामियां मैदान में मेले का आयोजन किया गया। नमाज पढऩे के बाद लोग आनंद लेने के लिए मेले में पहुंचे और यहां झूले और चाट पकौडिय़ों आदि स्वादिष्ट व्यंजनों का मजा लिया। इसके बाद लोग स्वजन के साथ ईद मनाने के लिए गांधाी उद्यान पार्क में पहुंचते रहे। उद्यान के बाहर चाट पकौड़ी, शिंकजी आदि के ठेले लगे रहे।
जरूरतमंदों को दी ईदी
नमाज पढऩे के बाद लोगों ने परिवार में बच्चों के साथ ही मस्जिद के बाहर जरूरतमंद बच्चों को ईदी देकर खुशी मनाई। वहीं जरूरतमंदों को खाना खिलाकर अल्लाह ताला से अपने गुनाहों की माफी मांगी। इसके अलावा कब्रिस्तान में अपने पूर्वजों को जन्नत नसीब करने के लिए ऊपर वाले से दुआ की।
परिवार को मुंह मीठा कराकर मनाई पहली ईद
ईद के इस पर्व को यादगार बनाने में किसी ने अपने स्तर से कोई कसर नहीं छोड़ी। बुशरा और हिबा की शादी इसी वर्ष फरवरी में जकीरा के एक परिवार में हुई। जेठानी और देवरानी ने शादी के बाद पहली ईद पर अपने सास ससुर के साथ अन्य स्वजनों का मुंह मीठा कराया। दोनों ने साथ मिलकर सेवई और अन्य खाने की चीजें बनाई।