बरेली: महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय के बौद्धिक संपदा सेल की तरफ से बौद्धिक संपदा दिवस पर मंडे को वेबीनार का आयोजन किया गया। वेबीनार का शीर्षक 'प्रोटेक्शन ऑफ आईपीआर एंड रिसर्च एथिक्स' था। ज्ञात हो यह दिन बौद्धिक संपदा के महत्व को उजागर करने के लिए मनाया जाता है।
विश्व बौद्धिक संपदा दिवस
विश्व बौद्धिक संपदा संगठन ने वर्ष 2000 में इसे स्थापित किया। इसका उद्देश्य कॉपीराइट, पेटेंट, डिजाइन और ट्रेडमार्क के दैनिक जीवन पर प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। 26 अप्रैल को विश्व बौद्धिक संपदा दिवस के रूप में मनाने के लिए चुना गया था, क्योंकि इस दिन 'विश्व बौद्धिक संपदा संगठन की स्थापना करने के लिए कन्वेंशन' लागू हुआ था। विश्व बौद्धिक संपदा दिवस चीन द्वारा प्रस्तावित किया गया था। विश्व बौद्धिक संपदा संगठन 1967 में स्थापित किया गया था। यह 1970 में लागू हुआ। यह संयुक्त राष्ट्र की 15 विशिष्ट एजेंसियों में से एक है। यह संगठन 26 अंतरराष्ट्रीय संधियों का प्रबंधन करता है।
रिसर्च एथिक्स पर डाला प्रकाश
वेबीनार के मुख्य स्पीकर के तौर पर डायरेक्टर एनआरडीसी डॉ। संजीव मजूमदार रहे। वेबीनार के गेस्ट ऑफ ऑनर में चीफ साइंटिस्ट सी आई एस ओ चंडीगढ़ प्रोफेसर एसके सरदाना रहे। उन्होंने अपने व्याख्यान जो कि रिसर्च एथिक्स और आईपीएल प्रोटेक्शन प्रोटेक्शन में था। उन्होंने विस्तृत रूप में इनोवेशन क्या होता है आईपीआर क्या है और इनोवेशन में कौन-कौन से स्टेप्स करके हम आईपीआर को नई दिशा में सृजित कर सकते हैं उन्होंने विस्तार पूर्वक बताया। इसके अलावा उन्होंने रिसर्च एथिक्स पर विषय पर भी अपना प्रकाश डाला और बताया कि किस तरीके से अगर आपकी रिसर्च अच्छे हैं तो आपको सफलता अवश्य प्राप्त होगी। उसे आप को कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने इंटरनेशनल पेटेंट पब्लिकेशन पर अपने विस्तृत विचार प्रस्तुत किए।
अधिक पेटेंट हों पब्लिकेशन
महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय के वीसी प्रो। केपी सिंह ने भी सभी को प्रेरित किया, और बताया कि आज के इस युग में अगर हमें देश विदेशों से कंधे से कंधा मिलाकर चलना है.भारत को फिर से विश्व गुरु बनना है तो हमें पेटेंट और रिसर्च में अपने को आगे करना होगा। उन्होंने पेटेंट की महत्ता पर प्रकाश डाला और बतौर इस बात पर जोर दिया कि ज्यादा से ज्यादा पेटेंट पब्लिकेशन हो, पेटेंट ग्रांट हो और उन्होंने इस बात पर भी काफी जोर दिया कि किस तरीके से पेटेंट का कॉमशिलाइजेशन करके नए कॉरपोरेट वर्ल्ड की शुरुआत की जा सकती है उन्होंने विश्वविद्यालय की आईपीआर सेल ने इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी दिवस को आगे बढ़ाने का काम किया है। प्रोफेसर एसएस बेदी, नोडल ऑफिसर आईपीआर सेल महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय बरेली की वेबीनार का आयोजन किया गया। इस मौके पर डॉ। अशोक कुमार, विभिन्न फैकल्टीज, स्टूडेंट्स, डॉ। केके महेश्वरी, डॉ। अतुल सरोज, प्रो। यशपाल और डॉ। योगेश मूíत आदि मौजूद रहे