बरेली(ब्यूरो)। बकरी पालन में अपार संभावनाएं हैं उद्यमिता विकास की यह उन बेरोजगार युवाओं, लघु एवं सीमांत किसानों और पशुपालकों के लिए एक अच्छा व्यवसाय हो सकता है। जिनके पास खुद का व्यवसाय शुरू करने के लिए बहुत अधिक पूंजी नहीं है। उनके लिए भी यह बेहतर है। यह बात संस्थान की संयुक्त निदेशक प्रसार शिक्षा एवं मुख्य अतिथि डॉ। रूपसी तिवारी ने पशुधन उत्पादन एवं प्रबंधन अनुभाग द्वारा अनुसूचित जाति उपयोजना के अंतर्गत 3 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम &बकरी पालन&य द्वारा उद्यमिता विकास के अवसर पर कही।
मार्केटिंग की दी जानकारी
डॉ रूपसी तिवारी ने कहा कि बकरी पालन महत्वपूर्ण क्षेत्र है तथा इसमें अच्छी ग्रोथ देखी गयी है। आज बहुत सारे स्टार्टअप इस व्यवसाय में आ गए हैं तथा अच्छा काम कर रहे हैं। उन्होने बकरी पालन को वैज्ञानिक विधि से करने कि आवश्यकता बताई तथा गोट फ़ार्मिंग मॉडल तथा महिलाओं के स्वंय सहायता समूह तथा मार्केटिंग के बारे में भी विस्तार से बताया।
चार बातों का रखें ध्यान
विशिष्ट अतिथि एवं पशुधन उत्पादन एवं प्रबंध विभाग के प्रभारी डॉ। ज्ञानेंद्र गौड़ ने इस अवसर पर कहा कि उद्यमिता विकास के लिए कौशल बहुत जरूरी है। यह कौशल आपको आईवीआरआई सिखाता है। उन्होंने प्रबंधन को आवश्यक बताते हुए कहा कि यह किसी भी व्यवसाय के लिए बहुत आवश्यक है अगर आपका प्रबंधन सही नहीं होगा तो आप अपने व्यवसाय में सफल नहीं होंगे। बकरी पालन के लिए उन्होंने इसको लाभदायक व्यवसाय बताते हुए कहा कि हमें क्यों कहां कब और कैसे इन चार प्रमुख बातों का ध्यान रखना है। अर्थात बकरी फार्म के बारे में क्यों कहा जा रहा है, इसकी क्या उपयोगिता है इसको क्यों खोलें अर्थात इसको कौन से पशु के साथ खोला जा सकता है और कौन सी पद्धति का इस्तेमाल करें। इसके लिए हमें क्या-क्या प्रबंधन की आवश्यकता होगी।
दो साल में बकरी बनती है मां
कार्यक्रम के समन्वयक एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ। हरिओम पाण्डेय ने इस अवसर पर बताया कि बकरी पालन व्यवसाय को लघु एवं सीमांत दोनों ही किसान बड़ी आसानी से कर सकते हैं। उन्होंने कहा की भैंस-गाय या अन्य पशुपालन की तुलना में बकरी पालन के लिए कम प्रारम्भिक लागत आती है। यदि आपके पास कम जगह है फिर भी आप बहुत कम जगह पर अधिक बकरियों का प्रबंधन कर सकते हैं। बकरी पालन में गाय एवं भैंस की तुलना में कम चारे दाने की जरूरत होती है। इसके लिए आपको कम खर्च की जरूरत होती है। बकरी पालन सभी मौसम और किसी भी जगह की जा सकती है। बकरी 2 साल में 3 बार मां बन सकती है। अत: आप कम समय में बकरियों की संख्या बढ़ा सकते हैं। बकरी का मांस, दूध और अन्य उत्पाद मानव आहार के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्व प्रदान करते हैं। बकरी के मांस में प्रोटीन ज्यादा होता है, साथ में लौह (आयरन) भी अधिक होता है। बकरी का दूध औषधीय गुणों के कारण बच्चों, बूढ़ों में कई बीमारियों को दूर करने में लाभदायक पाया गया है। बकरी का दूध पचाना आसान होता है और बच्चों और वयस्कों के लिए यह दूध अच्छा होता है। कार्यक्रम का संचालन पशुधन उत्पादन एवं प्रबंधन अनुभाग के वैज्ञानिक डॉ। अयोन तरफदार द्वारा किया। इस मौके पर डॉ। हरिओम पांडे, डॉ। एकेएस तोमर, डॉ। मुकेश सिंह, डॉ। विश्व बंधु चतुर्वेदी व डॉ। रघुवरन आदि उपस्थित रहे।